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ज्यादातर मौतें तृणमूल वालों की, तो टीएमसी कैसे जिम्मेदार: ममता की पार्टी

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा के लिए बीजेपी सहित विपक्षी दलों की ओर से हमले के बीच टीएमसी ने खुद को हिंसा का पीड़ित बताया है। इसने दावा किया है कि हिंसा में ज़्यादातर हताहत लोग टीएमसी के कार्यकर्ता हैं और इसलिए पार्टी को इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। टीएमसी नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह दावा किया है।

टीएमसी की ओर से यह बयान तब आया है जब पंचायत चुनाव में हिंसा में 13 लोगों के मारे जाने, दर्जनों के घायल होने और मतदान केंद्रों पर हमलों की रिपोर्ट आई है। राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने रविवार को बड़े पैमाने पर हिंसा के आरोपों का खंडन किया। इसने कहा है कि 61,000 मतदान केंद्रों में से सिर्फ़ 60 में हिंसा की सूचना है। 

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हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में मुर्शिदाबाद, कूच बिहार, मालदा, दक्षिण 24 परगना, उत्तरी दिनाजपुर और नादिया शामिल हैं। भाजपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने चुनाव के दौरान हिंसा की निंदा की और इसके लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया।

राज्य के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने भी हिंसा की निंदा की और स्थिति को बेहद परेशान करने वाला क़रार दिया। उन्होंने हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ितों से बातचीत की।

राज्य में ऐसी हिंसा के लिए आलोचनाएँ झेल रही टीएमसी ने रविवार को सफाई दी। पार्टी नेता कुणाल घोष, डॉ. शशि पांजा और ब्रत्य बसु ने एक संवाददाता सम्मेलन में हिंसा की निंदा की। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार इसमें कहा गया कि हर मौत अफसोसजनक है। 

इसके साथ ही टीएमसी नेताओं ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल और कुछ मीडिया आउटलेट चुनावों को बदनाम करने के लिए 'हिंसा की मार्केटिंग' कर रहे हैं।
कुणाल घोष ने कहा, 'विपक्षी दल पूरी चुनाव प्रक्रिया को हिंसक बताने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव का श्रेय आम जनता को जाता है। ज्यादातर मौतें तृणमूल कार्यकर्ताओं की हुई हैं, इसलिए अगर तृणमूल हिंसा भड़का रही थी, तो वे अपने कार्यकर्ताओं को क्यों निशाना बनाएंगे?'
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टीएमसी नेता पांजा ने कहा कि हिंसा को नियंत्रित करने में केंद्रीय बलों की चूक हुई। उन्होंने उनकी क्षमता और उद्देश्यों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'विपक्षी दलों ने केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की। लेकिन ये बल कहां थे, और वे हिंसा को क्यों नहीं रोक सके? ऐसे उदाहरण हैं जहां सीमा सुरक्षा बल सहित केंद्रीय बलों को कैमरे पर मतदाताओं को धमकी देते और उनसे एक विशिष्ट पार्टी के लिए वोट करने के लिए कहते देखा गया था। इससे पता चलता है कि केंद्रीय बलों को राजनीतिक आकाओं के इशारे पर तैनात किया गया था।'

हालाँकि, टीएमसी के आरोपों से पहले ही सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ ने राज्य चुनाव आयोग पर आरोप लगाए हैं। बीएसएफ़ के उप महानिरीक्षक एसएस गुलेरिया ने पहले कहा था कि संवेदनशील मतदान केंद्रों पर जानकारी के लिए उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने पर्याप्त विवरण नहीं दिया, जिससे इन क्षेत्रों को पर्याप्त रूप से सुरक्षित करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई।

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बता दें कि पंचायत चुनावों से पहले राज्य चुनाव आयोग ने कुल 61,539 में से 4,834 संवेदनशील बूथों की पहचान की थी और अतिरिक्त सुरक्षा का अनुरोध किया था। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि विपक्ष ने गड़बड़ी फैलाने के लिए गैर-संवेदनशील बूथों को निशाना बनाया।
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क़मर वहीद नक़वी
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