पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पाँचवें चरण में शनिवार को छह ज़िलों की जिन 45 सीटों के लिए मतदान होना है उनमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और अबकी सत्ता की प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी बीजेपी के बीच काँटे की टक्कर है। इस चरण में जाति ही सबसे बड़ा मुद्दा बन कर उभरी है। इस दौर में जहाँ उत्तर बंगाल के तीन ज़िलों—दार्जिलिंग, कालिम्पोंग और जलपाईगुड़ी ज़िले की 13 सीटों पर बीजेपी मज़बूत नज़र आ रही है तो दक्षिण बंगाल के तीन ज़िलों—उत्तर 24-परगना, पूर्व बर्दवान और नदिया ज़िले की 32 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस। लेकिन इस दौर में चाय बागान मज़दूरों के अलावा मतुआ और अल्पसंख्यक समुदाय की भूमिका निर्णायक होगी।
बंगाल- पाँचवाँ चरण: दलित, मुसलिम ही तय करेंगे कौन जीतेगा?
- पश्चिम बंगाल
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- 15 Apr, 2021

प्रतीकात्मक तसवीर।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पाँचवें चरण में शनिवार को छह ज़िलों की जिन 45 सीटों के लिए मतदान होना है उनमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और अबकी सत्ता की प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी बीजेपी के बीच काँटे की टक्कर है।
राज्य की आबादी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की तादाद क़रीब 25 फ़ीसदी है और वे इन इलाक़ों में रहती हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी के तमाम नेता ममता बनर्जी सरकार पर अनुसूचित जाति/जनजाति की उपेक्षा और अपमान करने का आरोप लगाते हुए इस तबक़े को अपने पाले में खींचने का प्रयास कर रहे हैं। खासकर दक्षिण बंगाल के ज़िलों में जहाँ तृणमूल कांग्रेस मज़बूत है, बीजेपी को जीत के लिए जातियों का ही सहारा है।