ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस के अंदर पुराने नेताओं और अभिषेक बनर्जी के युवा साथियों के बीच जबरदस्त टकराव शुरू हो गया है। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि पार्टी के अंदर रिटायरमेंट की उम्र तय होना चाहिए। दूसरी तरफ पार्टी के पुराने नेता कह रहे हैं कि अगला लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। अभिषेक को लोकसभा लड़कर पार्टी की राष्ट्रीय पहचान मजबूत करना चाहिए। इसी अंदरुनी कलह की खबरों के बीच अभिषेक बनर्जी ने सोमवार शाम को टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से मुलाकात की।
नई बनाम पुरानी टीएमसी का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है। इसमें पिछले महीने एक नया मोड़ आया जब मुख्यमंत्री ने युवा नेताओं से वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करने के लिए कहा, और इस दावे को खारिज कर दिया कि दिग्गजों को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। हालांकि, अभिषेक ने "कार्यक्षमता में गिरावट" का हवाला देते हुए कहा कि राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र होना चाहिए। अभिषेक का यह बयान 1 दिसंबर को सामने आया था।
इस घटनाक्रम के बाद तृणमूल के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष 73 वर्षीय सुब्रत बख्शी ने खुले तौर पर उम्मीद जताई कि डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक इस साल के अंत में होने वाला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बख्शी ने कहा, "अभिषेक बनर्जी हमारे राष्ट्रीय महासचिव हैं। हमें यकीन है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे। अगर वह लड़ेंगे तो ममता बनर्जी के नेतृत्व और पार्टी चिन्ह के तहत लड़ेंगे।" सुब्रत को ममता का काफी नजदीकी और वफादार माना जाता है। लेकिन सुब्रत के बयान को पार्टी के युवा नेताओं ने सहन नहीं किया।
इस बहस को ममता बनर्जी के करीबी वरिष्ठ टीएमसी नेता फिरहाद हकीम और सुदीप बंदोपाध्याय ने और हवा दे दी। बंदोपाध्याय, जो वर्षों से पार्टी में हैं, ने कहा- "एक बार जब पार्टी सुप्रीमो (ममता) बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ देंगी, तो राज्य अस्त-व्यस्त हो जाएगा।" मंत्री और शहर के मेयर हकीम ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी के नए नेताओं को टीएमसी के संघर्ष का इतिहास सीखना चाहिए। मेयर हकीम ने कहा- "हमें लोगों का विश्वास जीतने और राजनीतिक रूप से उस स्थान तक पहुंचने में कई साल लग गए जहां हम आज हैं।"
सुनील और हकीम के बयान पर तनातनी और बढ़ गई। अभिषेक के वफादार कुणाल घोष ने 2021 के विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम में ममता बनर्जी की लड़ाई और हार के दौरान वरिष्ठ नेताओं की भूमिका पर सवाल उठाया। घोष ने कहा- "वरिष्ठ लोग भाषण दे रहे हैं कि युवा नेताओं को पार्टी का इतिहास जानना चाहिए। जब हमारी नेता ममता बनर्जी नंदीग्राम में लड़ीं और हार गईं तो वे क्या कर रहे थे?"
बहरहाल, टीएमसी में सत्ता संघर्ष के लिए बयानबाजी के जरिए खेल जारी है। ममता पसोपेश में हैं। एक तरफ भतीजे का मोह है तो दूसरी तरफ पार्टी का अस्तित्व बचाने का संघर्ष है। पार्टी अपने पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं के दम पर खड़ी है। लेकिन अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में युवा नेताओं की नजर पार्टी पर पूरी तरह कब्जा करने पर लगी हुई है।