ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी
इस घटनाक्रम के बाद तृणमूल के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष 73 वर्षीय सुब्रत बख्शी ने खुले तौर पर उम्मीद जताई कि डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक इस साल के अंत में होने वाला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। बख्शी ने कहा, "अभिषेक बनर्जी हमारे राष्ट्रीय महासचिव हैं। हमें यकीन है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेंगे। अगर वह लड़ेंगे तो ममता बनर्जी के नेतृत्व और पार्टी चिन्ह के तहत लड़ेंगे।" सुब्रत को ममता का काफी नजदीकी और वफादार माना जाता है। लेकिन सुब्रत के बयान को पार्टी के युवा नेताओं ने सहन नहीं किया।
इस बहस को ममता बनर्जी के करीबी वरिष्ठ टीएमसी नेता फिरहाद हकीम और सुदीप बंदोपाध्याय ने और हवा दे दी। बंदोपाध्याय, जो वर्षों से पार्टी में हैं, ने कहा- "एक बार जब पार्टी सुप्रीमो (ममता) बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ देंगी, तो राज्य अस्त-व्यस्त हो जाएगा।" मंत्री और शहर के मेयर हकीम ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी के नए नेताओं को टीएमसी के संघर्ष का इतिहास सीखना चाहिए। मेयर हकीम ने कहा- "हमें लोगों का विश्वास जीतने और राजनीतिक रूप से उस स्थान तक पहुंचने में कई साल लग गए जहां हम आज हैं।"