बंगाल में एसआईआर योजना को लेकर अब तक 20 मौतों की ख़बरें सामने आई हैं। दावा है कि लोग नाम कटने के डर से तनाव में हैं। क्या यह योजना भय का माहौल बना रही है?
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की कवायद शुरू होने के बाद इसके कथित आतंक के कारण अब तक 20 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से कइयों की पुलिस ने पुष्टि की है और बाकी की परिवारों वालों और पड़ोसियों ने।
इस मुद्दे पर सियासत भी लगातार तेज हो रही है। तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी इन मौतों के लिए एक-दूसरे को ज़िम्मेदार ठहराने में जुटी हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को बांग्ला अस्मिता और बंगालियों के अपमान से जोड़ते हुए मृतकों के परिजनों की मदद के लिए बाकायदा एक टीम बना दी है। यह टीम मृतकों के घर जाकर परिजनों से मुलाकात कर रही है और उनको आर्थिक मदद भी दे रही है। पार्टी में इस अभियान की कमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी ने संभाल रखी है।
मुर्शिदाबाद में पांच लोगों की मौत
एसआईआर की घोषणा के बाद से ही इसके कथित आतंक के कारण मौतों का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के विभिन्न जिलों से लोगों को आत्महत्या करने या दिल का दौरा पड़ने से मौत की ख़बरें आ रही हैं। अकेले सीमावर्ती मुर्शिदाबाद जिले में ही अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
दरअसल, राज्य की मतदाता सूची में विवाद उतना ही पुराना है जितना बंगाल में राजनीतिक रूप से बीजेपी के मज़बूत होकर उभरने का। भगवा पार्टी लगातार तृणमूल कांग्रेस पर इस सूची में बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम शामिल करने के आरोप लगाती रही है। दरअसल, बीते क़रीब एक दशक से बीजेपी के निशाने पर तृणमूल कांग्रेस का अल्पसंख्यक वोट बैंक है। वह लगातार इसमें सेंध लगाने की कोशिश करती रही है। पार्टी के नेताओं का दावा है कि एसआईआर पूरा होने के बाद राज्य में क़रीब एक करोड़ अवैध वोटरों के नाम सूची से बाहर हो जाएंगे।ममता बनर्जी समेत उनकी पार्टी के तमाम नेता शुरू से ही एसआईआर का विरोध करते रहे हैं। पार्टी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर कर रखी है। तृणमूल का दावा है कि एसआईआर की यह कवायद पिछले दरवाजे से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस यानी एनआरसी तैयार करने जैसी है।
टीएमसी का आरोप
तृणमूल कांग्रेस ने एसआईआर के कथित आतंक के कारण होने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार और बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया है। पार्टी की वरिष्ठ नेता और मंत्री शशी पांजा का दावा है कि एसआईआर की वजह से राज्य के लोग भारी आतंक में दिन काट रहे हैं। कई लोग इसी आतंक के कारण अपनी जान दे चुके हैं। लेकिन चुनाव आयोग या बीजेपी ने अब तक इन मौतों पर एक शब्द भी नहीं कहा है।पश्चिम बंगाल से और ख़बरें
ममता की चेतावनी
खुद ममता बनर्जी भी कई बार यही आरोप दोहरा चुकी हैं। उन्होंने कहा है कि एसआईआर के ज़रिए एक भी वैध वोटर का नाम नहीं कटने देंगे। उनकी पार्टी ने ऐसी स्थिति में बड़े पैमाने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। ममता ने यह कवायद शुरू होने के दिन चार नवंबर को ही इसके विरोध में पदयात्रा की थी।
दूसरी ओर, बीजेपी ने इन मौतों के लिए तृणमूल कांग्रेस को ही ज़िम्मेदार ठहराया है। पार्टी के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस एसआईआर के मुद्दे पर भ्रामक प्रचार कर लोगों को गुमराह कर रही है। इसी से आतंकित होकर लोग अपनी जान दे रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्टी ने ऐसा माहौल बना दिया है जिससे लोगों में डर बैठ गया है कि मतदाता सूची से नाम कटते ही उनको बांग्लादेश भेज दिया जाएगा।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एसआईआर और इससे होने वाली मौतों को सत्ता के दोनों प्रमुख दावेदार यानी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी अपने सियासी हितों के लिए भुनाने में जुटे हैं। तृणमूल कांग्रेस पहले से ही बंगाल के प्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न को बांग्ला अस्मिता से जोड़ कर आंदोलन करती रही है। अब इसी कड़ी में एसआईआर भी जुड़ गया है।
राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं कि अगर एसआईआर की ड्राफ्ट सूची में भारी तादाद में लोगों के नाम कटते हैं तो बीजेपी के उस दावे को बल मिल जाएगा कि तृणमूल ने बड़े पैमाने पर अवैध वोटरों के नाम इस सूची में शामिल करा रखे हैं। लेकिन दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस भी इसे अपना चुनावी मुद्दा बनाएगी।