मुल्ला उमर के नेतृत्व में 1996-2001 के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में जिस तरह की शासन व्यवस्था थी, वहाँ वैसा ही राज एक बार फिर होने जा रहा है, इसके सबूत मिलने लगे हैं। तालिबान का यह दावा कि वह नरम, लचीला और मानवीय स्वरूप वाला इसलामी निज़ाम कायम करेगा, खोखला साबित हो चुका है।