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चौतरफ़ा हाहाकारी संकट में फँस गया है पाकिस्तान

डॉलर के मुक़ाबले पाकिस्तानी रुपये का आज का भाव 150 रुपये है। पाकिस्तान में एक किलो टमाटर 300 रुपये किलो बिक रहा है। सड़कों पर लोग अटकलें लगाने लगे हैं कि क्या इस बार लश्कर और जैश के ख़िलाफ़ वाक़ई सरकार सचमुच क़दम उठाने वाली है?

ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि इमरान ख़ान का ‘नया पाकिस्तान’ इस समय चौतरफ़ा गम्भीर संकटों से घिर गया है। ज़रदारी और नवाज़ की गिरफ़्तारी के बाद देश के सामने नया राजनीतिक संकट है क्योंकि विपक्ष का नेतृत्व करने वाला कोई दमदार नेता नहीं बचा। अर्थव्यवस्था रसातल की ओर है, विकास दर बेदम पड़ी है, देश पर क़र्ज़ों का भारी बोझ है, ख़ज़ाना ख़ाली है, महँगाई हर दिन बढ़ रही है, अगर कहीं एफ़एटीएफ़ ने पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया, तब तो पाकिस्तान को एक-एक पैसे के लाले पड़ जायेंगे।
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क्या फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) जल्द ही पाकिस्तान को काली सूची में डाल देगा और उसके बाद विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम जैसी वित्तीय संस्थाएँ पाकिस्तान को मदद करना बंद कर देंगी?
क्या मूडीज़, स्टैंडर्ड एंड पूअर और फ़िच जैसी रेटिंग एजेन्सियाँ पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग कम कर देंगी और उसके बाद निजी कंपनियाँ भी वहाँ निवेश करने से कतराने लगेंगी?

क्या है एफ़एटीएफ़?

एफ़एटीएफ़ 36 देशों का संगठन है, जिसका मक़सद ऐसे तमाम वित्तीय लेनदेन को रोकना है, जिससे मनी-लॉन्डरिंग होती हो, आतंकवादी संगठनों या लोगों को धन मुहैया कराना मुमकिन हो या दूसरी तरह के ग़ैर-क़ानूनी आर्थिक क्रिया-कलाप होते हों। इसकी स्थापना 1989 में हुई और इसका मुख्यालय पेरिस है। इसकी स्थापना जी-7 देशों ने मनी-लॉन्डरिेंग रोकने के लिए की थी, पर 2001 में 9/11 के हमले के तुरन्त बाद अक्टूबर में हुई बैठक में आतंकवाद से लड़ने को भी इसमें शामिल कर लिया गया।  
All round deep crisis grips Pakistan - Satya Hindi

एफ़एटीएफ़ की कार्रवाई

एफ़एटीएफ़ ने 27 फ़रवरी 2015 को एक बेहद महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी। इसमें इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड लेवान्त (आईएसआईएल) के वित्तीय ढाँचे पर था। इसमें तीन महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें की गई थीं।
  • 1.किसी भी आतंकवादी व्यक्ति और आतंकवादी सगंठन को किसी तरह की वित्तीय मदद करना अपराध घोषित कर दिया जाए।
  • 2.आतंकवादी लोगों और संगठनों की हर किस्म की जायदाद को फ़्रीज कर दिया जाए और हर तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाएँ।
  • 3.ऐसी प्रक्रिया विकसित की जाए, जिससे संयुक्त राष्ट्र की सिफ़ारिशों के मुताबिक आतंकवाद से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सके।

क्या है पाकिस्तान का स्टैटस?

एफ़एटीएफ़ के रडार पर पाकिस्तान पहले से ही है। इसने फ़रवरी 2015 में कहा था कि मनी लॉन्डरिंग रोकने में  पाकिस्तान ने पहले से बेहतर काम किया है, लिहाज़ा उसे निगरानी सूची से बाहर कर दिया जाए। इसके बाद जुलाई 2018 में पाकिस्तान को एक बार फिर निगरानी सूची में डाल दिया गया। लेकिन इस बार उस पर ज़्यादा गंभीर आरोप हैं।
पाकिस्तान अभी भी ‘ग्रे लिस्ट’ में है। इसकी पूरी कोशिश है कि वह ‘ब्लैक लिस्ट’ में जाने से बचे। उसके लिए अच्छी बात यह है कि एफ़एटीएफ़ का अगला प्रमुख चीन होगा, जो पाकिस्तान का ‘ऑल वेदर फ्रेन्ड’ यानी दुख-सुख का साथी है। चीन अक्टूबर में कामकाज संभालेगा। इस साल तो पाकिस्तान को छूट मिल ही जाएगी, तब तक उसे अपना घर ठीक कर लेना होगा।

आर्थिक बदहाली

पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली एफ़एटीएफ़ के निशाने पर होने तक सीमित नहीं है। इसकी अर्थव्यवस्था एकदम ख़स्ताहाल है। हाल तो यह है कि सरकार के पास रोज़मर्रा के खर्च चलाने और कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं है। इसने आईएमएफ़ से पैसे लेने की जुगत भिड़ाई तो अमेरिका ने अड़ंगा लगाया। आईएमएफ़ ने कहा कि वह उस पैसे से पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे के मद में भुगतान कर देगा, इसलिए उसे पैसे नहीं दिए जाएँगे। ख़ैर अमेरिका को किसी तरह समझा-बुझा कर और उस पर चीन का दबाव डलवा कर उसने आईएमएफ़ से पैसे मिलने का रास्ता साफ़ किया।
लेकिन इससे पाकिस्तान को फ़ौरी मदद ही मिलेगी, समस्या से निजात नहीं। बुधवार को पाकिस्तान सरकार बजट पेश करेगी। इसकी पूरी संभावना है कि इसमें टैक्स की दरें बढ़ाई जाएँ, नए टैक्स लगाए जाएँ, कई तरह की सब्सिडी कम की जाएँ और कई तरह की लोक कल्याणकारी योजनाएँ बंद की जाएँ। आर्थिक बदहाली का आलम यह है कि पूरी व्यवस्था को नियंत्रित करने वाली सर्वशक्तिमान सेना ने ख़ुद कहा है कि सरकार रक्षा बजट में कटौती कर ले।

राजनीतिक उथल-पुथल?

पाकिस्तान पुलिस ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी को मनी-लॉन्डरिंग के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया। उन्होंने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए इमरान ख़ान सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया है और कहा है कि उनकी राजनीति ख़त्म करने की योजना के तहत किया गया है। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट जाने और मामला दर्ज करने का फ़ैसला भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनी संस्था नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो का था, इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती।
ज़रदारी की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के समर्थकों और पुलिस में कुछ जगहों पर झड़पें भी हुईं। पार्टी की सांसद शेरी रहमान ने कहा, ‘ज़रदारी को न तो अदालत ने भगोड़ा घोषित किया है न ही उनके भाग जाने की कोई आशंका है, ऐसे में सिर्फ़ इमरान ख़ान की पार्टी की मदद करने के लिए ही एनएबी ने उन्हें गिरफ्तार किया है।’

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज़ नेता नवाज़ शरीफ़ को पुलिस ने भ्रष्टाचार के मामले में पहले ही गिरफ़्तार कर लिया और वह भी जेल में हैं। उनकी पार्टी ने भी सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया था।

एक बेहद दिलचस्प बात यह है कि न तो सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) के किसी बड़े नेता को अब तक गिरफ़्तार किया गया है न ही सेना का कोई बहुत बड़ा अफ़सर एनएबी के निशाने पर है।
सेना के लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर का एक अफ़सर भारत के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और उसे कुछ दिन पहले आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई।

पाकिस्तान सरकार ने सभी लोगों से कहा है कि वे 30 जून तक अपनी बेनामी जायदाद की घोषणा कर देंगे तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी। लगता नहीं है कि इसका कोई ख़ास असर होगा।
सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान संक्रमण की दौर में है और नया पाकिस्तान की दिशा में बढ़ रहा है? या यह मुल्क़ वर्षों की उपेक्षा, ग़लत नीतियों और सेना के प्रभाव की वजह से इस तरह बदहाल हो चुका है कि इसे संभालना अब मुश्किल है। आने वाले दिनो में एक बेहतर पाकिस्तान बन कर उभरेगा या वह फिसलते हुए और नीचे चला जाएगा? उसके साथ खूबी यह है कि चीन उसे डूबने नहीं देगा और उसके बिखरने में अमेरिका का हित भी नहीं है। एक लोकतांत्रिक और एकजुट पाकिस्तान भारत के हित में भी है। इन कारणों से पाकिस्तान भले ही गंभीर संकट में हो, वह जल्द ही इससे उबरने लगेगा, यह उम्मीद की जा सकती है।  

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क़मर वहीद नक़वी
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