पाकिस्तान के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) नियुक्त होने के बाद अपने पहले संबोधन में, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने भारत को एक और चेतावनी जारी की है। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में किसी भी आक्रामकता की स्थिति में इस्लामाबाद की प्रतिक्रिया पहले से कहीं ज़्यादा "तेज़, गंभीर और कठोर" होगी।
गार्ड ऑफ ऑनर के बाद अधिकारियों को संबोधित करते हुए, मुनीर ने कहा, "भारत को किसी भी भ्रम में नहीं रहना चाहिए [ क्योंकि किसी भी आक्रामकता की स्थिति में] पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भी कड़ी होगी।"

मुनीर के भाषण की खास बातें

  • मुनीर ने नवगठित रक्षा बल मुख्यालय (Defence Forces Headquarters) की स्थापना को "ऐतिहासिक" बताते हुए इसका वर्णन किया।

  • पाकिस्तानी समाचार चैनल जियो न्यूज़ के अनुसार, उन्होंने समझाया कि इसका उद्देश्य सेना, वायु सेना और नौसेना की एकीकृत प्रणाली के जरिए कई सारी सेनाओं की गतिविधियों (multi-domain) के संचालन को बढ़ाना है।
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युद्ध की बदलती प्रकृति और उसके हिसाब से ढालना

  • "बढ़ते और बदलते खतरों" पर प्रकाश डालते हुए, मुनीर ने कहा कि नए शुरू किए गए रक्षा बल मुख्यालय के नेतृत्व में तीनों सेवाओं को एक करना समय की मांग थी।

  • उन्होंने कहा, "रक्षा बल मुख्यालय (तीनों) सेवाओं के अभियानों को एकीकृत करेगा और उन्हें तैयार करेगा। हाई कमांड की तालमेल (Synergy) के साथ, तीनों सेवाएं अपनी (व्यक्तिगत) स्वायत्तता और संगठनात्मक संरचना बनाए रखेंगी।"

  • आधुनिक युद्ध के तरीके पर जोर देते हुए, मुनीर ने पाकिस्तानी लोगों के लचीलेपन और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के प्रदर्शन की प्रशंसा की, इसे भविष्य के संघर्षों के लिए एक "केस स्टडी" कहा।

  • उन्होंने कहा, "युद्ध अब साइबरस्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम, अंतरिक्ष, सूचना संचालन, एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग तक फैल गए हैं; इसलिए], सशस्त्र बलों को युद्ध की नई जरूरतों के हिसाब से चलना होगा।"

प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति और मुनीर की दोहरी भूमिका

समारोह में एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू और नौसेना स्टाफ प्रमुख, एडमिरल नावेद अशरफ सहित तीनों सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मुनीर अब चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रूप में अपने पाँच साल के कार्यकाल के साथ CDF का पद भी संभालेंगे।
मुनीर, जिन्हें ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान को भारी नुकसान पहुँचाए जाने के बाद फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया है। मुनीर देश के दूसरे फील्ड मार्शल और छह दशकों से अधिक समय में पहले फील्ड मार्शल हैं। CDF का पद राष्ट्रपति ज़रदारी द्वारा पाकिस्तान सेना, वायु सेना और नौसेना (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दिए जाने के बाद बनाया गया है।

आसिम मुनीर से जुड़े विवाद

पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर कई विवादास्पद मुद्दों से जुड़े हुए हैं। नवंबर में पाकिस्तानी संसद ने उन्हें नई शक्तियां प्रदान कीं और आजीवन गिरफ्तारी तथा मुकदमे से छूट दी, जिसे विपक्ष ने लोकतंत्र पर हमला बताया। मार्च में एक रिपोर्ट में उनके रिश्तेदारों और करीबियों पर महत्वपूर्ण नियुक्तियों में हस्तक्षेप के आरोप लगे, जिससे भाई-भतीजावाद का सवाल उठा। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने उन्हें 'मानसिक रूप से अस्थिर' करार देते हुए कहा कि उनकी नीतियां पाकिस्तान के लिए विनाशकारी हैं, खासकर आतंकवाद को नियंत्रण से बाहर होने के लिए। ये विवाद मुनीर की हालिया पदोन्नति के बाद और तेज हो गए, जब ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा।


क्रिप्टो बिजनेस और ट्रंप परिवार

हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर मुनीर का नाम एक बड़े विवाद में फंसा है। दिसंबर 2025 में उन्होंने बिनेंस के सीईओ रिचर्ड तेंग से उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें आईएसआई प्रमुख भी शामिल थे। यह बैठक पाकिस्तान की क्रिप्टो नीति को तेजी से लागू करने पर केंद्रित थी, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे ट्रंप परिवार से जुड़े सौदों से जोड़कर संदेह जताया। अफवाहें हैं कि पाकिस्तान ने अपनी क्रिप्टो अधिकारों को ट्रंप के करीबियों को बेच दिया, जो आर्थिक संकट में फंसे देश की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं। मुनीर की भागीदारी को राजनीतिक साजिश के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके संबंधों को मजबूत करने का प्रयास लगता है।

फौजी फाउंडेशन का धंधा

फौजी फाउंडेशन, जो पाकिस्तानी सेना से जुड़ा एक प्रमुख औद्योगिक समूह है, मुनीर के नेतृत्व में आर्थिक क्षेत्रों में विस्तार के लिए चर्चा में है। दिसंबर 2025 में आईएमएफ के दबाव में पाकिस्तान ने घाटे में चल रही राष्ट्रीय एयरलाइन पीआईए को निजीकरण के लिए बोली लगाई।जिसमें फौजी फाउंडेशन प्रमुख बोलीदाता के रूप में उभरा। 23 दिसंबर को होने वाली नीलामी में यह समूह बहुमत हिस्सेदारी हासिल करने की दौड़ में है, जो सेना का आर्थिक नियंत्रण बढ़ाने का प्रतीक माना जा रहा है। आलोचक कहते हैं कि यह पाकिस्तान की आर्थिक तबाही को और गहरा करेगा, क्योंकि फौजी फाउंडेशन पहले से ही खाद, रियल एस्टेट और अन्य क्षेत्रों में हावी है।


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इन विवादों से पाकिस्तान की राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं। मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस बनाने में देरी और सैन्य सुधारों को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अनुपस्थिति ने अटकलों को जन्म दिया। सोशल मीडिया पर व्यंग्य और आलोचना की बाढ़ आ गई है, जहां फौजी फाउंडेशन को 'धोखेबाज धंधेबाज' कहा जा रहा है। इमरान खान जैसे नेता इसे सैन्य तानाशाही का प्रतीक बता रहे हैं, जबकि क्षेत्रीय तनाव बढ़ने से भारत-पाकिस्तान संबंध और बिगड़ सकते हैं। कुल मिलाकर, मुनीर का उदय पाकिस्तान को 'हार्ड स्टेट' की ओर धकेल रहा है, जहां सैन्य हस्तक्षेप अर्थव्यवस्था और विदेश नीति पर हावी हो रहा है।