अब तक पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की बढ़िया मेहमानवाजी कर रहे डोनाल्ड ट्रंप ने अब उनको फँसा दिया है। ट्रंप ने मुनीर से कहा है कि वह उस ग़ज़ा में अपने सैनिक भेजें जहाँ की स्थिति उथल-पुथल है। वैसे, तो इसे शांति मिशन नाम दिया जा रहा है, लेकिन कई देश इस मिशन से हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि इसमें ग़ज़ा के इस्लामी उग्रवादी समूह हमास को निरस्त्रीकरण करना शामिल है। यह इसमें शामिल होने वाली सेना को संघर्ष में घसीट सकता है और उनके फिलिस्तीन-समर्थक तथा इसराइल-विरोधी जनता को भड़का सकता है। ऐसा हुआ तो मुनीर को पाकिस्तान में ही बड़ा विरोध का सामना करना पड़ सकता है।

इसका मतलब है कि पाकिस्तान के अब तक के सबसे शक्तिशाली सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को सबसे कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है कि वह ग़ज़ा स्टेबिलाइज़ेशन फोर्स में सैनिक योगदान दे। जानकारों का कहना है कि इस कदम से पाकिस्तान में मुनीर को तीखा विरोध झेलना पड़ सकता है। रॉयटर्स को दो सूत्रों ने बताया कि मुनीर आने वाले हफ्तों में वाशिंगटन जाकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। यह छह महीनों में उनकी तीसरी बैठक होगी, जो मुख्य रूप से ग़ज़ा बल पर केंद्रित होगी।
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ट्रंप की 20-सूत्री योजना से संबंध

ट्रंप की 20-सूत्री ग़ज़ा योजना में मुस्लिम देशों से एक बल की मांग की गई है जो युद्धग्रस्त फिलिस्तीनी क्षेत्र में पुनर्निर्माण और आर्थिक पुनर्बहाली के संक्रमण काल की निगरानी करे। यह क्षेत्र इसराइल की दो साल से अधिक की सैन्य बमबारी से तबाह हो चुका है। कई देश इस मिशन से हिचकिचा रहे हैं, क्योंकि इसमें ग़ज़ा के इस्लामी उग्रवादी समूह हमास को निरस्त्रीकरण करना शामिल है, जो उन्हें संघर्ष में घसीट सकता है और उनके फिलिस्तीन-समर्थक तथा इसराइल-विरोधी जनता को भड़का सकता है।

असीम मुनीर के ट्रंप से क़रीबी संबंध

मुनीर ने वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच वर्षों के अविश्वास को सुधारने के लिए ट्रंप से निकट संबंध बनाए हैं। जून में उन्हें व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन का निमंत्रण मिला था। यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को अकेले, बिना नागरिक अधिकारियों के साथ मेजबानी की।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने पिछले महीने कहा था कि इस्लामाबाद शांति रक्षा के लिए सैनिक योगदान पर विचार कर सकता है, लेकिन हमास को निरस्त्रीकरण 'हमारा काम नहीं है।'

रिपोर्ट के अनुसार वाशिंगटन स्थित अटलांटिक काउंसिल के दक्षिण एशिया वरिष्ठ फेलो माइकल कुगेलमैन ने कहा, 'यदि पाकिस्तानी इस मिशन का हिस्सा बनने से इनकार करते हैं, तो इससे ट्रंप निराश हो सकते हैं। और यह पाकिस्तान के लिए समस्या बन सकता है, क्योंकि यह साफ़ है कि असीम मुनीर ही नहीं, बल्कि पूरा नागरिक और सैन्य नेतृत्व अमेरिका से पाकिस्तान में निवेश और सुरक्षा सहायता चाहता है, जो लंबे समय से निलंबित है।'
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इस मामले में पाकिस्तान की सेना, विदेश मंत्रालय और सूचना मंत्रालय ने रॉयटर्स के सवालों का जवाब नहीं दिया। व्हाइट हाउस ने भी टिप्पणी के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

मुनीर के लिए पाकिस्तान में मुश्किलें

पाकिस्तान में घरेलू स्तर पर बड़ी चिंता यह है कि अमेरिका-समर्थित योजना के तहत ग़ज़ा में पाकिस्तानी सैनिकों की भागीदारी से पाकिस्तान की इस्लामी पार्टियां फिर से विरोध प्रदर्शन भड़का सकती हैं, जो अमेरिका और इसराइल की कट्टर विरोधी हैं।इस्लामी पार्टियों में हजारों को जुटाने की ताक़त है। एक ताक़तवर और हिंसक एंटी-इसराइल इस्लामी पार्टी को अक्टूबर में प्रतिबंधित कर दिया गया था। वह पार्टी पाकिस्तान के कठोर ईशनिंदा क़ानूनों को बनाए रखने के लिए लड़ती रही है।
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अधिकारियों ने उसके नेताओं और 1500 से अधिक समर्थकों को गिरफ्तार किया और उसकी संपत्ति और बैंक खातों को जब्त कर लिया। हालाँकि इस्लामाबाद ने समूह को ग़ैर-क़ानूनी घोषित कर दिया है, लेकिन उसकी विचारधारा अभी भी जीवित है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी भी मुनीर के खिलाफ भी दुश्मनी रखती है।

यह स्थिति पाकिस्तान की विदेश नीति और घरेलू राजनीति में नई चुनौतियां पैदा कर रही है। तो स्थिति यह है कि मुनीर की ट्रंप से निकटता पाकिस्तान को आर्थिक लाभ दे सकती है, लेकिन ग़ज़ा मिशन में भागीदारी से आंतरिक अस्थिरता बढ़ सकती है।