बढ़ते तनाव के बीच, नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग ने सोमवार को अनिश्चित काल के लिए वीजा सेवाओं को निलंबित कर दिया। यह फैसला मिशन के दफ्तर के पास प्रदर्शनकारियों के जमा होने के बाद लिया गया।

त्रिपुरा में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग ने टिपरा मोथा पार्टी और अन्य समूहों द्वारा मिशन के बाहर विरोध प्रदर्शन के बाद रविवार को ही वीजा सेवाओं को निलंबित करने की घोषणा कर दी थी। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में बांग्लादेश की ओर से वीजा सेवाएं देने वाले एक निजी ऑपरेटर ने भी तोड़फोड़ की घटना के बाद अपनी सेवाएं रोक दी हैं।

"अपरिहार्य परिस्थितियों" का हवाला

नई दिल्ली और अगरतला स्थित मिशनों द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि "अपरिहार्य परिस्थितियों" के कारण सभी कांसुलर और वीजा सेवाएं अगले आदेश तक निलंबित कर दी गई हैं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग का स्टाफ अभी भी वहां तैनात है।
बांग्लादेश में पिछले हफ्ते कट्टरपंथी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से अशांति और व्यापक प्रदर्शन जारी हैं, जिसमें भारत विरोधी सुर देखे जा रहे हैं। भारत के मुखर आलोचक रहे हादी की ढाका में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा गोली मारे जाने के बाद सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला

चटगाँव: 18 दिसंबर को एक बड़ी भीड़ ने चटगाँव स्थित भारतीय सहायक उच्चायोग में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस को आंसू गैस और लाठियों का प्रयोग करना पड़ा। इसके बाद वहां भारतीय वीजा सेवाएं निलंबित कर दी गईं।

अन्य शहर: पिछले सप्ताह ढाका, खुलना और राजशाही में भी भारतीय मिशनों के पास विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए।
कई दिनों तक बांग्लादेश के कुछ छात्र नेताओं और राजनेताओं ने दावा किया कि हादी के हत्यारे भारत भाग गए हैं और उन्होंने नई दिल्ली से उन्हें सौंपने की मांग की। हालांकि, रविवार को बांग्लादेश पुलिस ने स्पष्ट किया कि हमलावरों के ठिकाने के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।

सुरक्षा चूक और हिंदू युवक की हत्या पर विवाद

भारत ने रविवार को नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग में सुरक्षा चूक की खबरों को "भ्रामक प्रचार" बताते हुए खारिज कर दिया। साथ ही, भारत ने हालिया विरोध प्रदर्शनों के दौरान दीपू चंद्र दास की "बर्बर हत्या" पर गहरी चिंता व्यक्त की। दास पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उनकी पीट-पीटकर हत्या (लिंचिंग) कर दी गई थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि शनिवार देर रात 20 से 25 युवक उच्चायोग के सामने इकट्ठा हुए थे और दास की हत्या के विरोध में नारे लगा रहे थे, जिन्हें पुलिस ने तुरंत हटा दिया था।

दूसरी ओर, बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने भारत के रुख का विरोध करते हुए इसे एक गंभीर सुरक्षा विफलता बताया। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने दीपू दास की लिंचिंग को अल्पसंख्यकों पर हमले के रूप में पेश किए जाने को भी खारिज कर दिया।
छात्र आंदोलन के कारण शेख हसीना सरकार के गिरने और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं। हादी की मौत के बाद उपजी ताज़ा अशांति ने इन संबंधों में कड़वाहट और बढ़ा दी है।