चीन में बुधवार 3 सितंबर को आयोजित एक भव्य सैन्य परेड ने न सिर्फ दुनिया का ध्यान खींचा है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चिंताओं को भी हवा दे दी है। ट्रंप का मानना है कि चीन, रूस और उत्तर कोरिया मिलकर अमेरिका के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को संदेश भेजा, जिसमें कहा, "पुतिन और किम जोंग को मेरी तरफ से शुभकामनाएं देना, क्योंकि आप तीनों मिलकर अमेरिका के खिलाफ चालें चल रहे हो।" यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित की गई थी, लेकिन इसके पीछे की मंशा और इसके ग्लोबल प्रभाव ने इसे एक साधारण उत्सव से कहीं अधिक महतवपूर्ण बना दिया है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी को बुलाना और नेपाल के प्रधानमंत्री का आना अपने आप में कम बड़ा संदेश नहीं है।

परेड की भव्यता और इसका संदेश 

बीजिंग के प्रसिद्ध तियानमेन स्क्वायर पर आयोजित इस परेड की मेजबानी स्वयं राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की। चीन ने इसे "शांति का उत्सव" करार दिया, लेकिन परेड में प्रदर्शित सैन्य शक्ति ने कुछ और ही कहानी बयां की। हजारों सैनिकों ने एकदम जबरदस्त मार्च किया। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने नवीनतम और आधुनिकतम हथियारों का प्रदर्शन किया। जिसमें ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइलें, स्टील्थ फाइटर जेट और यहाँ तक कि विमानवाहक पोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) शामिल थे। शी जिनपिंग ने अपने भाषण में कहा, "यह परेड न केवल हमारी ऐतिहासिक जीत की याद दिलाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि चीन वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।"  

चीनी सेना की भव्य परेड

हालांकि, परेड का पैमाना और इसकी टाइमिंग ने एक शक्तिशाली राजनीतिक तस्वीर बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आयोजन केवल अतीत की यादों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चीन की बढ़ती वैश्विक ताकत और प्रभाव को प्रदर्शित करने का एक प्रयास था। खासकर ऐसे समय में, जब दक्षिण चीन सागर में तनाव चरम पर है और ताइवान के आसपास चीन की सैन्य गतिविधियाँ तेज हो रही हैं, यह परेड एक स्पष्ट संदेश देती है कि चीन न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर रहा है। 
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विशेष मेहमान और ट्रंप की नाराजगी 

इस परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की उपस्थिति ने इसे और भी चर्चा का विषय बना दिया। रूस और उत्तर कोरिया, चीन के लंबे समय से सहयोगी रहे हैं, और हाल के वर्षों में रूस-चीन की नजदीकियाँ और बढ़ी हैं। इनके अलावा, बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको और कुछ अफ्रीकी व एशियाई देशों के नेता भी इस आयोजन में शामिल हुए। ट्रंप ने इस मौके पर अमेरिका की अनदेखी पर नाराजगी जताई। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि शी जिनपिंग ने पुतिन के साथ मुलाकात में चीन और रूस को युद्ध जीतने वाली शक्तियों के रूप में पेश किया, लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान को हराने में अमेरिका की महत्वपूर्ण भूमिका का कोई जिक्र नहीं किया। ट्रंप का कहना है कि यह जानबूझकर किया गया ताकि वाशिंगटन को नजरअंदाज किया जा सके।
यह नाराजगी ऐसे समय उभर कर आई है, जब चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव पहले से ही चरम पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परेड केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में एक ध्रुवीकरण का संकेत भी देती है। एक तरफ चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे देश एकजुट हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी देश अलग खेमे में नजर आ रहे हैं। खासकर यूक्रेन में चल रही जंग और कोरियाई इलाके में बढ़ते तनाव के बीच, इस परेड को एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

चीन के लिए इस जश्न का महत्व 

चीन के लिए द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत का विशेष महत्व है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का दावा है कि उसने इस युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई थी। शी जिनपिंग ने अपने भाषण में उस दौर के सैनिकों और आम लोगों के बलिदानों को याद किया। लेकिन इस परेड का पैमाना और इसका समय इसे विशुद्ध ऐतिहासिक उत्सव से कहीं अधिक बनाता है। यह परेड एक तरह से दुनिया को यह दिखाने का प्रयास थी कि चीन अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली खिलाड़ी है।

जापान और ग्लोबल प्रतिक्रियाएँ 

जापान ने इस परेड पर सतर्क प्रतिक्रिया दी। टोक्यो के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की उम्मीद करते हैं।" यह बयान संयमित होने के बावजूद इस बात का संकेत देता है कि जापान इस परेड को सिर्फ एक जश्न के रूप में नहीं देख रहा। अन्य पश्चिमी देशों ने भी इस आयोजन पर नजर रखी, और कई विशेषज्ञों ने इसे ग्लोबल राजनीति में एक नई धुरी के निर्माण के रूप में देखा। जापान के साथ चीन के ऐतिहासिक और क्षेत्रीय विवाद रहे हैं। 

यह परेड नहीं, चीन की रणनीति का प्रदर्शन है  

हाल के अपडेट्स के अनुसार, इस परेड के बाद चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियों को और तेज कर दिया है। साथ ही, रूस और चीन के बीच एक संयुक्त सैन्य अभ्यास की योजना की खबरें भी सामने आई हैं, जो इस बात का संकेत है कि दोनों देश अपनी साझेदारी को और मजबूत करना चाहते हैं। इसके अलावा, उत्तर कोरिया ने हाल ही में एक नई मिसाइल का परीक्षण किया, जिसे विश्लेषकों ने चीन की परेड के साथ जोड़कर देखा है। ये सभी घटनाएँ इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह परेड केवल एक स्मृति समारोह नहीं थी, बल्कि एक रणनीतिक कदम था, जिसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करना था।

क्या यह वाकई साजिश है? 

ट्रंप की चिंताएँ और उनके बयान इस सवाल को जन्म देते हैं कि क्या वाकई चीन, रूस और उत्तर कोरिया मिलकर अमेरिका के खिलाफ कोई साजिश रच रहे हैं? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह परेड और इसमें शामिल नेताओं की उपस्थिति वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव का संकेत है। दूसरी ओर, कुछ का कहना है कि यह केवल चीन की अपनी ताकत और ऐतिहासिक गौरव को प्रदर्शित करने का प्रयास था।
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चीन की इस भव्य परेड ने दुनिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। शी जिनपिंग ने इसे शांति और सहयोग का प्रतीक बताया, लेकिन ट्रंप इसे अमेरिका के खिलाफ एक रणनीतिक कदम मानते हैं। यह परेड केवल एक ऐतिहासिक जीत का उत्सव नहीं थी, बल्कि यह वैश्विक मंच पर चीन की बढ़ती ताकत और प्रभाव का प्रदर्शन थी। क्या यह एक साधारण समारोह था या वैश्विक सियासत में एक बड़ा दांव या फिर चीन का अपने तरीके से नया वर्ल्ड ऑर्डर बनाना है?