चीनी विदेश मंत्री वांग यी का दावा है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद मई 2025 के संघर्ष में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में बीजिंग ने मध्यस्थता की थी। हालांकि भारत ने तीसरे पक्ष की भूमिका को हमेशा खारिज किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बाद अब चीन ने भी इस साल मई महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष में मध्यस्थता करने का दावा किया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को बीजिंग में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि चीन ने कई वैश्विक हॉटस्पॉट मुद्दों पर मध्यस्थता की, जिनमें भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव भी शामिल है। भारत ने इस संघर्ष को ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया था।
वांग यी ने 'अंतरराष्ट्रीय स्थिति और चीन की विदेश नीति' पर आयोजित सम्मेलन में कहा, "शांतिपूर्ण समाधान के लिए हमने निष्पक्ष और न्यायपूर्ण रुख अपनाया। इस चीनी दृष्टिकोण के तहत हमने उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दे, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव, फिलिस्तीन-इसराइल मुद्दे तथा कंबोडिया-थाईलैंड संघर्ष में मध्यस्थता की।"
यह दावा उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कह रहे हैं कि उन्होंने व्यापार समझौतों और दबाव के जरिए भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका। ट्रंप ने कई मौकों पर कहा कि उन्होंने दोनों देशों को व्यापार रोकने की धमकी देकर संघर्ष विराम कराया। हालांकि, भारत ने ट्रंप के इन दावों को बार-बार खारिज किया है। ये दावे इतनी बार हुए हैं कि लोग इनकी गिनती तक भूल गए हैं।
भारत का स्पष्ट रुख रहा है कि मई 2025 में 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान 7 से 10 मई तक चले चार दिवसीय सैन्य टकराव का समाधान दोनों देशों के सैन्य महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत से हुआ। विदेश मंत्रालय ने 13 मई 2025 को प्रेस ब्रीफिंग में कहा था, "संघर्ष विराम की तारीख, समय और शर्तें दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच 10 मई 2025 को दोपहर 3:35 बजे शुरू हुई फोन बातचीत में तय की गईं। भारत-पाकिस्तान मामलों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जगह नहीं है।"
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में हुई थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमलों का आदान-प्रदान हुआ। 10 मई को संघर्ष विराम लागू हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में हुई थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत ने पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमलों का आदान-प्रदान हुआ। 10 मई को संघर्ष विराम लागू हुआ।
चीन ने भारत-चीन संबंधों में सुधार का भी जिक्र किया। वांग यी ने कहा कि इस वर्ष भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगस्त में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया, जो सफल रहा।
भारत ने किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लगातार अस्वीकार किया है, चाहे वह अमेरिका हो या चीन। विशेषज्ञों का मानना है कि ये दावे वैश्विक कूटनीतिक संकेत हैं, लेकिन भारत की द्विपक्षीय नीति बहुत साफ है।