चीनी वैज्ञानिकों ने ऐसे कॉन्टैक्ट लेंस विकसित किए हैं जो आपको अंधेरे में और बंद आँखों से भी देखने में सक्षम बनाते हैं! जानें कि अल्ट्रासाउंड और इन्फ्रारेड तकनीक इसे कैसे संभव बनाती है।
ज़रा सोचिए, आप आँखें बंद करके भी सब कुछ साफ-साफ देख पाएँ! है ना कमाल की बात? चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ही कॉन्टैक्ट लेंस बनाए हैं, जो आपको यह सुपरपावर दे सकती है! जी हाँ, सही सुना आपने।
चीनी वैज्ञानिकों का दावा है कि इन लेंस की मदद से न सिर्फ अंधेरे में देखा जा सकता है बल्कि अगर आपकी आंखें बंद हो तब भी आप सब कुछ साफ-साफ देख सकते हैं । क्या यह सच है ? अगर हां, तो ये लेंस काम कैसे करते हैं । आपके मन में भी यही सवाल उठ रहे होंगे।
चीन की क़िंगदाओ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने अल्ट्रासाउंड तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसे कॉन्टेक्ट लेंस बनाए हैं जिनकी मदद से बंद आंखों से भी देखा जा सकता है । आसान भाषा में कहें तो, इन लेंस में छोटे-छोटे डिवाइस लगे हैं, जो ध्वनि की तरंगें छोड़ते हैं। ये तरंगें ठीक उसी तरह काम करती हैं जैसे ध्वनि की तरंगे काम करती हैं।
लेंस की तरंगे आपके आसपास की चीजों से टकराकर जैसे ही वापस आती हैं वैसे ही लेंस में लगे सेंसर इन तरंगों को पकड़ते हैं और तुरंत तस्वीरों में बदल देते हैं। फिर ये तस्वीरें वायरलेस तरीके से आपके फोन या स्मार्ट चश्मे पर भेजी जाती हैं। यानी, आप आँखें बंद करके भी अपने आसपास का नज़ारा देख सकते हैं! इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए आंखों की रोशनी की कोई भूमिका नहीं होती ।
इसी के साथ चीनी वैज्ञानिकों ने एक और कमाल कर दिखाया है। चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, फुडान यूनिवर्सिटी, और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ने मिलकर एक ऐसी कॉन्टैक्ट लेंस बनाए हैं, जो इंफ्रारेड रोशनी को देखने की ताकत देते है।
अब आप जान लीजिए कि इंफ्रारेड रोशनी होती क्या है, दरअसल यह एक ऐसी रोशनी है, जो हमारी नग्न आँखों को नहीं दिखती, क्योंकि इसकी तरंगें बहुत लंबी होती हैं। हमारी आँखें सिर्फ 400 से 700 नैनोमीटर की रोशनी देख सकती हैं, लेकिन इंफ्रारेड रोशनी इससे कहीं आगे जाती है। ये रोशनी पलकों को भी पार कर सकती है और शरीर की कोशिकाओं में गहराई तक जा सकती है, वो भी बिना किसी नुकसान के। वैज्ञानिकों ने खास नैनोकणों का इस्तेमाल करके इंफ्रारेड रोशनी को लाल, हरे, और नीले रंगों में बदला ताकि इन्हें देखा जा सके ।
और 22 मई को सेल नाम की एक मशहूर पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने एक खास कॉन्टैक्ट लेंस बनाया है, जो इंफ्रारेड रोशनी को रंगीन तस्वीरों में बदल देता है। इन लेंस की सबसे खास बात तो ये है कि इस लेंस को चलाने के लिए किसी बैटरी या बिजली की ज़रूरत नहीं होती ।
अब सवाल ये है कि इन लेंस का इस्तेमाल कहाँ-कहाँ हो सकता है? ये तकनीक किसी सुपरपावर से कम नहीं है! सबसे पहले, ये उन लोगों के लिए जीवन बदल सकता है जो लोग देख नहीं सकते । ये लेंस उन्हें अपने आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकते हैं। सैन्य और जासूसी क्षेत्र में ये लेंस सैनिकों या जासूसों को रात में, धुंध में, या धूल भरी जगहों पर रास्ता खोजने में मदद कर सकते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में, डॉक्टर इनका इस्तेमाल सर्जरी या जांच के लिए कर सकते हैं, जहाँ आम दृष्टि काम नहीं करती। यानी कि ये लेंस बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं ।
लेकिन इसी के साथ इन लेंस को लेकर कई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं । ये लेंस अब तक इतने छोटे और आरामदायक नहीं बने हैं कि इन्हें कई घंटों तक पहना जा सके। साथ ही, डेटा प्रोसेसिंग की प्रक्रिया को अभी और बेहतर करने की जरूरत है । हालांकि अभी ये शोध शुरुआती दौर में है इसलिए इन्हें बेहतर करने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही है ।
इस शोध के बारे में जानकर लोग अलग-अलग दिलचस्प प्रतिक्रिया दे रहे हैं । कोई कह रहा है कि ये तो जेम्स बॉन्ड की दुनिया अब हकीकत बनने जा रही है तो किसी का कहना है कि ये कॉन्टैक्ट लेंस तो चमत्कारी हैं ।