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हताहत चीनी सैनिकों के आँकड़े जारी नहीं, चीनियों ने कहा- भारत से सबक़ ले चीन

गलवान में चीनी सैनिकों की मौत को लेकर रिपोर्ट नहीं जारी किए जाने पर चीन की जनता सोशल मीडिया पर सवाल उठा रही है। वे कह रहे हैं कि सैनिकों के प्रति सम्मान दिखाने में चीन को भारत से सीख लेनी चाहिए। 

लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में एक अफ़सर सहित 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की ख़बर आई, लेकिन चीन की तरफ़ से कुछ भी नहीं कहा गया। सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के हवाले से इतना ही कहा गया है कि उस झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं। यह नहीं कहा गया है कि उनकी संख्या कितनी है। हालाँकि न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, चीन के 43 सैनिक हताहत हुए। चीन की तरफ़ से आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। 

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अब चीन की तरफ़ से आधिकारिक आँकड़े नहीं जारी होने पर चीन के नागरिक सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे हैं। 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी सोशल-मीडिया प्लेटफार्मों के एक ओपन-सोर्स विश्लेषण से पता चलता है कि कैसे नागरिकों ने बीजिंग के सख़्त नियमों पर अपनी पीड़ा को ऑनलाइन बताया है।

लद्दाख क्षेत्र में तैनात चीनी सैनिकों के परिवारों, मित्रों और चीन के आम नागरिकों के लिए यह समान रूप से रहस्य है। 

उनकी चिंता इसलिए बढ़ती जा रही है कि चीन ने न तो हताहत होने की ख़बरों का खंडन किया है और न ही उनको स्वीकार किया है। चीन को लोग इस मामले में पारदर्शिता चाहते हैं।

ट्विटर की तरह चीन की माइक्रो ब्लॉगिंग साइट वीबो (Weibo) पर लोग इस तरह के पोस्ट लिख रहे हैं। 'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार, एक चीनी वीबो यूजर ने 19 जून को पोस्ट किया था, 'भारत ने बलिदान देने वाले सैनिकों के लिए एक मेमोरियल का आयोजन किया है। यह पूरे देश और देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के प्रति उच्च सम्मान को दिखाता है। यह भारतीय राष्ट्र की एकजुटता की नई ऊँचाई को दिखाता है। हमारे बारे में क्या? हमें भारत से सीखना चाहिए और अपने सैनिकों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए। हम खुले तौर पर शहीद हुए सैनिकों के लिए मेमोरियल का आयोजन क्यों नहीं करते? क्या? चीनी सैनिकों की 0 मौतें हुई हैं? क्या घायलों को पहुँचाया गया? मुझे माफ करना?'

एक अन्य यूजर ने लिखा, '20 भारतीय सैनिकों की मौत। चीन की सेना 0? यह तार्किक नहीं है!' उसने लिखा, 'चीन की सेना को चाहिए कि सबूत के तौर पर वह वीडियोग्राफ़ जारी करे ताकि पता लगे कि वास्तव में हुआ क्या। यदि हमारा कोई जवान हताहत नहीं हुआ है तो हमें इसे दुनिया के सामने साबित करने की ज़रूरत है। यही एक तरीक़ा है जिससे अफ़वाहों और संदेहों को दूर किया जा सकता है।'

एक अन्य वीबो पोस्ट में यूजर ने लिखा, 'मैं कल से चीन और भारत के बीच की स्थिति के बारे में चिंतित हूँ। विदेशी समाचारों के वीडियो और लेखों से मुझे सबसे ज़्यादा चिंता इस बात की है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के हमारे युवा सैनिक हैं, क्या हताहत हुए हैं क्योंकि कोई विशिष्ट आँकड़े नहीं जारी किए गए हैं (भारत ने फोटो के साथ 20+ भारतीय सैनिकों की मृत्यु की घोषणा की है)। हमारे चीनी सीमा गार्ड और युवा सैनिकों के माता-पिता चिंतित होंगे।' 

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एक अन्य चीनी यूजर ने लिखा, 'भारत के साथ संघर्ष में सैकड़ों सैनिक शामिल हैं। भले ही हमारे पास कठोर अनुशासन और कठिन प्रशिक्षण है, लेकिन हम सब भी हाड़-मांस के बने हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हमारे कई सैनिकों को भी चोटें आई हैं।' एक अन्य यूजर ने लिखा, 'भारतीय हताहतों पर खुश होने वाले और उनका मज़ाक़ उड़ाने वालों को देखते हुए मुझे खुशी हो रही है और दुख भी। इन सेनानियों के परिवार निश्चित तौर पर अब बहुत परेशान होंगे।'

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चीन के सैकड़ों लोगों के ऐसे ही संदेश सोशल मीडिया पर आए हैं। बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। भारतीय सेना ने इसकी पुष्टि की। इनमें एक आर्मी अफ़सर भी शामिल थे। यह झड़प 15 जून को हुई थी। बताया गया है कि झड़प के दौरान पत्थरों, धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल दोनों ओर से किया गया लेकिन गोली नहीं चली है।
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क़मर वहीद नक़वी
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