सीओपी30 में वनों की कटाई रोकने, जीवाश्म ईंधन कम करने और जलवायु लक्ष्यों पर बड़ा रोडमैप पेश किया गया। लेकिन विशेषज्ञ सवाल उठाते हैं- क्या देश वास्तव में इन प्रतिबद्धताओं का पालन करेंगे?
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के 30वें सत्र यानी सीओपी30 का समापन हो गया। ब्राज़ील के बेलेम शहर में हुए इस सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ब्राज़ील के जलवायु मंत्री आंद्रेई लागो ने व्यक्तिगत रूप से दो अहम ‘रोडमैप’ तैयार करने की प्रतिबद्धता जताई। एक वनों की कटाई को पूरी तरह रोकने व उसे उलटने के लिए और दूसरा कोयला, तेल, गैस जैसे जीवाश्म ईंधन से दूर होने का रास्ता अपनाना।
अंतिम सत्र में लागो ने कहा, 'ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुला दा सिल्वा ने इस कॉप के उद्घाटन में कहा था कि मानवता को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से न्यायपूर्ण और सुनियोजित तरीके से बाहर निकलने, वनों की कटाई रोकने-उलटने और इसके लिए संसाधन जुटाने के लिए रोडमैप चाहिए। मैं सीओपी30 के अध्यक्ष के नाते दो रोडमैप बनाऊंगा– एक वन संरक्षण के लिए, दूसरा जीवाश्म ईंधन से दूर जाने के लिए।'
‘ग्लोबल मुतिराओ’ समझौता अपनाया
सम्मेलन का मुख्य समझौता 'ग्लोबल मुतिराओ: यूनाइटिंग ह्यूमैनिटी इन अ ग्लोबल मोबिलाइज़ेशन अगेंस्ट क्लाइमेट चेंज' नाम से पारित हुआ। ‘मुतिराओ’ पुर्तगाली-ब्राज़ीलियाई शब्द है जिसका अर्थ है- सब मिलकर काम करना। यही इस कॉप का थीम भी रहा।
इस समझौते में क्या?
यह मुतिराओ क्लाइमेट बातचीत के सबसे विवादित टॉपिक पर आम सहमति से हुए समझौते की बात करता है। पेरिस समझौते की धारा 9 को लागू करना, जिसके तहत विकसित देशों का दायित्व है कि वे विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा की ओर जाने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएँ। देशों द्वारा ट्रेड पर रोक लगाने वाले एकतरफ़ा उपाय लागू करने के लिए इंटरनेशनल सहयोग को बढ़ावा देना। देशों द्वारा नेशनल लेवल पर तय किए गए कंट्रीब्यूशन पर प्रोग्रेस और 1.5°C के लक्ष्य और लागू करने के गैप को पूरा करना। ‘ग्लोबल इम्प्लीमेंटेशन एक्सीलरेटर’ शुरू करना, जिसमें अगले साल उच्च-स्तरीय संवाद शामिल होगा।जीवाश्म ईंधन को ख़त्म करने का विरोध भी
भारत, सऊदी अरब, नाइजीरिया आदि सहित विकासशील देशों के कड़े विरोध के कारण अंतिम दस्तावेज़ में जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं डाली गई। विकसित देश इस मुद्दे पर स्पष्ट भाषा चाहते थे ताकि 1.5°C लक्ष्य बना रहे, लेकिन वे इसमें असफल रहे।
हालाँकि अध्यक्ष लागो का व्यक्तिगत वक्तव्य विकसित देशों के लिए सांत्वना माना जा रहा है। चूंकि यह वक्तव्य आधिकारिक समझौते का हिस्सा नहीं है, इसलिए यह देशों पर बाध्यकारी नहीं होगा।
अन्य प्रमुख समझौते
मुतिराओ के अलावा 10 अलग-अलग समझौते हुए, जिनमें प्रमुख हैं-
- न्यायपूर्ण परिवर्तन– श्रमिकों को नई नौकरियों के लिए तैयार करना।
- हानि और क्षति कोष को और मज़बूत करना।
- स्वच्छ ऊर्जा तकनीक हस्तांतरण।
- वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य– जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से दुनिया की अनुकूलन क्षमता को मापने का ढांचा।
भारतीय विशेष दूत ने क्या कहा
दक्षिण एशिया का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के विशेष दूत और सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभ घोष ने कहा, 'इस साल जलवायु बहुपक्षीयता पर काफी सवाल उठे थे। सबसे अच्छा समझौता पाने के चक्कर में कोई समझौता न हो पाए, यह जोखिम था। ब्राज़ील में सीओपी30 ने वास्तविक दुनिया को फिर से बातचीत के कमरे में लौटाया। अनुकूलन वित्त को तीन गुना करने की मांग, विभिन्न देशों के अलग-अलग रास्तों को मान्यता, जलवायु वित्त पर दो साल का कार्यक्रम, एकतरफा उपायों को मनमाना भेदभाव न मानने की दोबारा पुष्टि और ग्लोबल इम्प्लीमेंटेशन एक्सीलरेटर जैसे कदम– यह अच्छा समझौता है, नाकामी से बेहतर है।'
सीओपी30 अब ख़त्म हो चुका है। अगला सम्मेलन सीओपी31 2026 में आयोजित होगा, जिसकी मेजबानी अभी तय नहीं हुई है। अध्यक्ष लागो द्वारा प्रस्तावित दोनों रोडमैप पर चर्चा अगले साल शुरू होगी– यह देखना बाकी है कि क्या वे जीवाश्म ईंधन और वन संरक्षण पर वैश्विक सहमति का नया आधार बन पाएंगे।