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अमेरिका पर्ल हार्बर जैसी त्रासदी के मुहाने पर, तबाही के लिए ट्रंप ज़िम्मेदार?

कोरोना वायरस के कारण अमेरिका उस मुहाने पर खड़ा है जहाँ उसे सिर्फ़ तबाही दिख रही है। बड़ी संख्या में लोगों की मौत की आशंका है। इस मामले में ट्रंप पूरी तरह फ़ेल हुए हैं। रविवार को अमेरिका के सर्जन जनरल ने ये कह कर सनसनी फैला दी कि देश पर्ल हार्बर जैसी त्रासदी के लिए तैयार रहे।

पर्ल हार्बर त्रासदी अमेरिका पर हवाई हमले से जुड़ी है जिसमें अमेरिका को काफ़ी बड़ा नुक़सान हुआ था। पर्ल हार्बर अमेरिका का सैनिक अड्डा है। जापानी नौसेना ने 7-8 दिसम्बर 1941 को पर्ल हार्बर नौसैनिक अड्डे पर अचानक आक्रमण कर दिया था। इस हमले से अमेरिका का संपूर्ण बेड़ा, फोर्ड द्वीप स्थित नौसैनिक वायुकेंद्र एवं बंदरगाह बुरी तरह नष्ट हो गये थे। 

इस हमले में ढाई हज़ार अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। एक हज़ार से अधिक घायल हुए और क़रीब एक हज़ार लापता हो गए थे। आज़ादी के बाद से अमेरिका की अपनी धरती पर कोई विदेशी हमला नहीं हुआ था और यह पहला ऐसा हमला था जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। इसे अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदी माना जाता है। 

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दरअसल, अमेरिका में इस वक़्त ट्रंप के कोरोना से लड़ने के रवैये से भारी नाराज़गी है। कई राज्यों के गवर्नर खुलेआम अपना ग़ुस्सा ज़ाहिर कर चुके हैं। सर्जन जनरल के इस बयान के बाद वाशिंगटन के गर्वनर जे इंसली ने कहा, 'सर्जन जनरल ने पर्ल हार्बर की ओर संकेत किया है। क्या आप सोच सकते हैं कि तब क्या होता जब फ्रेंकलिन रूजवेल्ट ने कह दिया होता कि कनेक्टिकट, मैं तुम्हारे पीछे हूँ, युद्धपोतों के निर्माण के लिए शुभकामनाएँ'? पर्ल हार्बर पर जब हमला हुआ था तब रूज़वेल्ट अमेरिका के राष्ट्रपति थे। रूज़वेल्ट को अमेरिका के महानतम राष्ट्रपतियों में गिना जाता है। 

इंसली इस बात से नाराज़ हैं कि ट्रंप के पास राज्य सरकारों की मदद के लिए कोई निश्चित योजना नहीं है। उनकी प्रतिक्रिया ट्रंप के उस बयान को लेकर है जिसमें ट्रंप ने राज्यों से कहा था कि ‘संघीय सरकार उनका साथ देगी यानी उनके पीछे खड़ी रहेगी, लेकिन उन्हें अपनी चिकित्सा आपूर्ति की चीजें स्वयं खरीदने की कोशिश करनी चाहिए’।

कई राज्यों के गर्वनरों ने आरोप लगाया है कि फ़ेडरल यानी केंद्र सरकार उनको सहयोग नहीं कर रही। तो क्या यही वे वजहें हैं जिनके कारण अमेरिका दुनिया में कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित देश हो गया है। क़रीब साढ़े तीन लाख लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। यह संख्या उतनी है जितनी कि स्पेन, इटली और जर्मनी की संख्या को जोड़ दें। अमेरिका में मौत का आँकड़ा भी क़रीब 10 हज़ार पहुँच चुका है और आशंका है कि यह संख्या अभी काफ़ी ज़्यादा बढ़ेगी। कोरोना से इतनी बड़ी संख्या में मौत के कारण ही देश के सर्जन जनरल ने ‘पर्ल हार्बर’ की चेतावनी दी है।

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फॉक्स न्यूज' के कार्यक्रम में डेमोक्रेट और मिशिगन के गवर्नर मिशो ग्वेचेन व्हिटमर ने कहा कि एक राष्ट्रीय रणनीति नहीं होने का ख़ामियाज़ा देश भुगत रहा है। जिस न्यूयॉर्क में क़रीब सवा लाख पॉजिटिव केस आए हैं और 4 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है वहाँ के गवर्नर एंड्रयू एम कुअमो ने कहा है कि हॉस्पिटल में ज़रूरी उपकरणों के लिए वह संघर्ष कर रहे हैं।

इलेन्वाय के गवर्नर जे. बी प्रित्ज़्कर ने ट्रंप प्रशासन पर आरोप लगाया कि जनवरी और फ़रवरी में ही इस बीमारी की गंभीरता के बारे में सचेत करने के बाद भी तेज़ी से क़दम नहीं उठाए गए।

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लेकिन आलोचनाओं का ट्रंप पर कोई असर नहीं हैं। उनका दावा है कि सरकार ने वेंटिलेटर, मास्क, ग्लव्स, कवरॉल पूरे देश भर में भेजे हैं। ट्रंप ने तो यहाँ तक दावा किया है 'हमारे पास सर्वश्रेष्ठ डॉक्टर, सर्वश्रेष्ठ सैन्य नेता और दुनिया में कहीं भी लॉजिस्टिक्स के सर्वश्रेष्ठ पेशेवर हैं। और हम बड़े पैमाने पर ऐसा संघीय प्रयास कर रहे हैं जैसा हमारे देश ने न तो कभी ऐसा संघीय प्रयास देखा है और न ही किया है।'

अब जब ट्रंप ऐसे दावे कर रहे हैं तो सीधा सवाल यही उठता है कि फिर कोरोना पर दुनिया में सबसे बुरी हालत अमेरिका की क्यों है? और क्यों उनके अपने अधिकारी कह रहे हैं कि अमेरिका में पर्ल हार्बर जैसी त्रासदी के लिये तैयार रहे?

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क़मर वहीद नक़वी
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