ग़ज़ा पट्टी में बीते लगभग दो सालों से आसमान से बारूद बरस रहा है और ज़मीन भूख की आग में झुलस रही है। इसराइल के रात-दिन हमले का शिकार हुआ यह इलाक़ा एक अभूतपूर्व मानवीय संकट से जूझ रहा है। लंबे समय तक इसराइल के अमानवीय व्यवहार को नज़रंदाज़ कर रहा अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी अब इस संकट पर बात करने को मजबूर हो गया है। इसराइल की सारी तरफ़दारी के बावूजद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी स्वीकार करना पड़ा कि ग़ज़ा का संकट वास्तविक है न कि झूठ जैसा कि पीएम नेतन्याहू दावा करते हैं। हालत ये है कि ग़ज़ा में भूख से मरने वालों की तादाद बढ़ रही है और सहायता पहुँचाने की कोशिश करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएँ भी हमलों का शिकार बन रही हैं।
अभूतपूर्व मानवीय संकट के शिकार ग़ज़ा में भूख से बिलबिला रहे हैं बच्चे
- दुनिया
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- 30 Jul, 2025

भूतपूर्व मानवीय संकट के शिकार ग़ज़ा में भूख से बिलबिला रहे हैं बच्चे
ग़ज़ा का भयावह मंजर
ग़ज़ा की तस्वीरें दिल दहलाने वाली हैं। बारूदी गंध के बीच भूख से बिलबिलाते लोग, कचरे में खाना तलाशते बच्चे, और खतरनाक रास्तों पर भोजन की तलाश में जान गँवाते परिवार— यह ग़ज़ा की हकीकत है। संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध संगठन इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज़ क्लासिफिकेशन (IPC) ने 29 जुलाई 2025 को चेतावनी जारी की कि ग़ज़ा में "सबसे खराब स्थिति वाला अकाल" सामने आ रहा है। ग़ज़ा की 21 लाख की आबादी में से एक तिहाई लोग कई दिनों तक बिना भोजन के रह रहे हैं। ग़ज़ा सिटी में कुपोषण का स्तर मई 2025 में 4.4% से बढ़कर जुलाई 2025 में 16.5% तक पहुँच गया है, जो अकाल की स्थिति को पार करता है।