ग़ज़ा पट्टी में बीते लगभग दो सालों से आसमान से बारूद बरस रहा है और ज़मीन भूख की आग में झुलस रही है। इसराइल के रात-दिन हमले का शिकार हुआ यह इलाक़ा एक अभूतपूर्व मानवीय संकट से जूझ रहा है। लंबे समय तक इसराइल के अमानवीय व्यवहार को नज़रंदाज़ कर रहा अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी अब इस संकट पर बात करने को मजबूर हो गया है। इसराइल की सारी तरफ़दारी के बावूजद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी स्वीकार करना पड़ा कि ग़ज़ा का संकट वास्तविक है न कि झूठ जैसा कि पीएम नेतन्याहू दावा करते हैं। हालत ये है कि ग़ज़ा में भूख से मरने वालों की तादाद बढ़ रही है और सहायता पहुँचाने की कोशिश करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएँ भी हमलों का शिकार बन रही हैं।