अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा को लेकर एक नया नियम लागू किया है, जिससे भारतीय पेशेवरों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। अब इस वीजा के लिए कंपनियों को हर साल 1 लाख डॉलर यानी क़रीब 90 लाख रुपये की भारी फीस देनी होगी। यह नियम 21 सितंबर 2025 से लागू होगा। H-1B वीजा का सबसे ज्यादा फायदा भारतीय आईटी पेशेवरों को मिलता है और इस नए नियम से उनके लिए अमेरिका में काम करना मुश्किल हो सकता है।
H-1B वीजा के लिए 90 लाख रुपये? ट्रंप की नई नीति से भारतीयों की मुश्किलें बढ़ीं
- दुनिया
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- 20 Sep, 2025
डोनाल्ड ट्रंप की नई इमिग्रेशन नीति से H-1B वीजा पाना भारतीयों के लिए महंगा और कठिन हो गया है। 90 लाख रुपये लगने से पेशेवरों में चिंता बढ़ी।

H-1B वीजा एक खास तरह का वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को नौकरी देने की इजाजत देता है। यह उन लोगों के लिए है जो आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिसिन या फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में खास स्किल रखते हैं। यह वीजा आमतौर पर 3 साल के लिए मिलता है और इसे एक बार और 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। भारतीय पेशेवर, खासकर आईटी क्षेत्र में काम करने वाले, इस वीजा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। 2024 के आँकड़ों के मुताबिक़, H-1B वीजा पाने वालों में 70% भारतीय थे।