डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल के आयात को लेकर भारत को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि व्यापार जारी रहा तो अमेरिका टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करेगा। इस फ़ैसले का क्या असर होगा?
भारत ने रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ़ चेतावनी का करारा जवाब दिया है। ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए भारत ने उनके दोहरे रवैये पर सवाल उठाए, कहा- 'हम राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेंगे!' इसके साथ भी भारत ने रूस से अमेरिका और यूरोपीय देशों में आयात होने वाले सामानों की याद दिलाई है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पलैडिएम, फर्टिलाइजर और केमिकल्स आयात कर रहा है। यूरोप फर्टिलाइजर, माइनिंग प्रोडक्ट, केमिकल्स आयरल, स्टील, मशीनरी व ट्रांसपोर्ट के सामान आयात कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि ऐसे में भारत भारत पर निशाना साधना ग़लत और अतार्किक है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'भारत न केवल रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए तेल का बड़ा हिस्सा खुले बाजार में बड़े मुनाफे के साथ बेच रहा है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं कि यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीन द्वारा कितने लोग मारे जा रहे हैं।' इस बयान ने भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जो पहले से ही
1 अगस्त से लागू 25% टैरिफ और रूस से तेल और हथियार खरीद के लिए अतिरिक्त पेनल्टी की घोषणा के कारण तनावग्रस्त हैं।
ट्रंप ने हाल में की थी 25% टैरिफ़ की घोषणा
ट्रंप ने 30 जुलाई को घोषणा की थी कि भारत से आयातित सामानों पर 1 अगस्त से 25% टैरिफ़ लगाया जाएगा। इसके साथ ही रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के लिए पेनल्टी भी लागू होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना करते हुए कहते रहे हैं कि भारत अमेरिकी सामानों पर काफ़ी ज़्यादा टैरिफ लगाता है और गैर-टैरिफ व्यापारिक बाधाएं भी लागू करता है। ट्रंप कहते रहे हैं कि भारत रूस से भारी मात्रा में सैन्य उपकरण और ऊर्जा खरीदता रहा है, जो यूक्रेन में चल रहे युद्ध को बढ़ावा देता है।
इसके बाद सोमवार को ट्रंप ने अपने ताजा बयान में टैरिफ को काफी ज़्यादा बढ़ाने की धमकी दी। इससे भारत के सामने आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों में मतभेदों के कारण कोई सहमति नहीं बन पाई है।
अमेरिका भारत के साथ अपने 45.8 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को कम करना चाहता है, जबकि भारत अपनी खाद्य सुरक्षा और छोटे किसानों के हितों की रक्षा के लिए कृषि क्षेत्र को खोलने में आनाकानी कर रहा है।
भारत का रूस से तेल आयात कितना?
रूस 2022 के बाद से भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बन गया है, जब यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूसी तेल का बहिष्कार किया था। रूस ने तब भारत को रियायती दरों पर तेल की पेशकश की, जिसके कारण भारत ने अपनी तेल आयात रणनीति में बदलाव किया। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर यानी CREA के अनुसार, 2024 में भारत ने अपनी कुल कच्चे तेल की जरूरत का 35% रूस से आयात किया, जो 2022 में मात्र 2.1% था। इस दौरान रूस से तेल आयात का मूल्य 2,256 मिलियन डॉलर से बढ़कर 50,285 मिलियन डॉलर हो गया। 2025 में तो यह और ज़्यादा हो गया।
भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रूसी तेल खरीद को जारी रखा है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कहा कि भारत 40 देशों से तेल आयात करता है और ट्रंप की धमकी से घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर कुछ होता है तो हम उसका सामना करेंगे।' भारत ने 2025 की पहली छमाही में अमेरिका से तेल आयात में 50% और ब्राजील से 80% की वृद्धि की है, जो आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाने की रणनीति को दिखाता है।
ट्रंप की धमकी के मायने
ट्रंप ने रूस को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए 8 अगस्त तक की समय सीमा दी है, अन्यथा रूस के व्यापारिक साझेदारों पर 100% "सेकेंडरी टैरिफ" लगाए जाएंगे। इसके अलावा, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम और रिचर्ड ब्लूमेंथल द्वारा प्रस्तावित 'रशियन सैंक्शंस एक्ट 2025' में रूसी तेल, गैस और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने का प्रावधान है। ट्रंप ने इस बिल का समर्थन करते हुए कहा कि वह इसे लागू करने में पूर्ण विवेकाधिकार चाहते हैं।
ट्रंप पर भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने पहले ट्रंप की धमकियों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने हाल में कहा, 'हमारी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम बाजार में उपलब्ध ऑफर और वैश्विक परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेते हैं। हम दोहरे मापदंडों के खिलाफ चेतावनी देते हैं।' यह बयान संभवतः इस ओर इशारा करता है कि यूरोपीय संघ के कुछ देश भी रूस से तेल और गैस आयात कर रहे हैं, लेकिन उन पर समान दबाव नहीं डाला जा रहा।
वाणिज्य मंत्रालय ने ट्रंप के बयान पर कहा कि सरकार इसका अध्ययन कर रही है और राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि भारत एक निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत अपने किसानों और छोटे उद्यमियों के हितों की रक्षा करेगा।
भारत-अमेरिका संबंध ख़राब होंगे?
ट्रंप का यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों को तनावग्रस्त कर सकता है, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गर्मजोशी भरे रहे थे। हाल के महीनों में व्यापार और आप्रवासन जैसे मुद्दों पर मतभेद उभरे हैं। ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन के संघर्ष को हल करने में मध्यस्थता की थी, जिसे मोदी ने खारिज कर दिया था।
जानकारों का मानना है कि ट्रंप का टैरिफ खतरा एक कूटनीतिक रणनीति हो सकता है, जिसका उद्देश्य भारत को रूस से तेल आयात कम करने और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर दबाव डालना है। ट्रंप की धमकी ने भारत को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया है, जहां उसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा, रूस के साथ लंबे समय से चले आ रहे संबंधों और अमेरिका के साथ व्यापारिक साझेदारी के बीच संतुलन बनाना होगा।