ईरान से युद्ध के बीच इसराइल की हवाई रक्षा प्रणाली अब एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसराइल के पास अपनी रक्षा मिसाइलों का भंडार तेजी से कम हो रहा है। मौज़ूदा हालात जारी रहे तो उसके पास रक्षा मिसाइलें केवल 10-12 दिनों तक ही चल सकती हैं। किसी देश के पास रक्षा मिसाइलें नहीं होने का मतलब है कि पूरी तरह निढाल हो जाना और बाहरी हमले की स्थिति में पूरी तरह तबाह होने की कगार पर पहुँच जाना। इसराइल पर आई ऐसी रिपोर्ट के बीच ही डोनाल्ड ट्रंप की वह चेतावनी आई है जिसमें उन्होंने ईरान को धमकाया है कि ईरान बिना शर्त आत्मसमर्पण करे। तो क्या ये दोनों घटनाएँ आपस में जुड़ नहीं रही हैं? और इन दोनों बयानों के मायने क्या हैं?

इन सवालों के जवाब जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर इसराइल के रक्षा सिस्टम को लेकर क्या रिपोर्ट आई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक अनाम अमेरिकी अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट दी है कि यदि ईरान अपने हमलों को इसी तरह जारी रखता है तो इसराइल की रक्षा मिसाइलों का भंडार केवल 10-12 दिनों तक ही चल सकता है। इसके बाद बिना किसी सप्लाई या अमेरिकी सैन्य सहायता के इसराइल की हवाई रक्षा प्रणाली कमजोर पड़ सकती है।
ताज़ा ख़बरें
यह रिपोर्ट तब आई है जब इसराइल और ईरान के बीच लगातार मिसाइल हमले हो रहे हैं। हाल ही में इसराइल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' शुरू किया है। इसके बाद से ईरान ने क़रीब 400 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। माना जाता है कि ईरान के पास ऐसी 2000 मिसाइलें हैं जो इसराइल तक पहुंच सकती हैं। रिपोर्ट है कि इसराइल की रक्षा प्रणाली ने ज़्यादातर मिसाइलों को तबाह कर दिया है, लेकिन इस प्रक्रिया में उसकी रक्षा प्रणाली पर बहुत दबाव पड़ रहा है। खास तौर पर ऊँचाई पर आने वाली मिसाइलों को रोकने वाला 'एरो सिस्टम' को लेकर इस तरह की रिपोर्टें आ रही हैं।

इसराइल की हवाई रक्षा प्रणाली में आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एरो मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। इनको दुनिया के सबसे उन्नत डिफ़ेंस सिस्टम में से एक माना जाता है। ये सिस्टम छोटी दूरी के रॉकेट्स से लेकर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों तक को रोकने में सक्षम हैं। 

हाल में ईरान और हिजबुल्लाह जैसे उसके समर्थित समूहों द्वारा किए गए बार-बार के हमलों ने इसराइल के डिफ़ेंस सिस्टम पर भारी दबाव डाला है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, ख़ासकर लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को तबाह करने के लिए डिज़ाइन की गई इसराइल की एरो मिसाइलें तेज़ी से कम हो रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार प्रत्येक एरो मिसाइल की लागत क़रीब 30 लाख अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 25 करोड़ रुपये है, और इनका भारी उपयोग इसराइल की रक्षा लागत को आसमान छूने पर मजबूर कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक़, इसराइल एक रात में मिसाइल रक्षा पर लगभग 285 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 2400 करोड़ रुपये ख़र्च कर रहा है।

अमेरिकी सहायता पर निर्भरता

इसराइल लंबे समय से अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य सहायता पाने वाला देश रहा है। हाल के वर्षों में अमेरिका ने इसराइल को हवाई रक्षा प्रणालियों के लिए अरबों डॉलर की सहायता दी है। हालाँकि, हाल की रिपोर्टों में यह भी सामने आया है कि अमेरिका भी अपनी मिसाइल रक्षा आपूर्ति को लेकर दबाव में है, क्योंकि वह यूक्रेन और इसराइल दोनों को एक साथ समर्थन दे रहा है।
दुनिया से और ख़बरें

ट्रंप ने ईरान को क्यों चेताया?

इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ईरान को सनसनीखेज चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि ईरान बिना शर्त आत्मसमर्पण करे।

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'ईरान के अयातुल्ला अली खामेनेई को बिना शर्त आत्मसमर्पण करना होगा। हमें पता है कि वह कहाँ छिपे हैं।' ट्रंप ने आगे कहा, 'हमारी धैर्य की सीमा ख़त्म हो रही है। यह अंतिम चेतावनी है।' उनकी इस पोस्ट में न तो कोई समझौते की बात थी और न ही कूटनीतिक चर्चा का ज़िक्र। 

सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्रंप के इस बयान और इसराइल की डिफ़ेंस मिसाइलों के कम पड़ने की रिपोर्टों में कुछ संबंध है?

रिपोर्ट है कि इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिसाइलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए काम में तेज़ी ला दी है। कहा जा रहा है कि वे दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि मिसाइलों की कमी को पूरा किया जा सके। हालाँकि, जानकारों का कहना है कि नए इंटरसेप्टर मिसाइलों का उत्पादन और तैनाती समय लेने वाली प्रक्रिया है और यह तत्काल संकट को हल करने में सक्षम नहीं हो सकता।

हाल के दिनों में इसराइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने इसराइल पर कई मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं, जिनमें से कुछ ने इसराइल की रक्षा प्रणाली को भेदने में सफलता हासिल की। एनपीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक रात में कम से कम 10 लोग इसराइल में मारे गए जब ईरानी मिसाइलें देश की रक्षा प्रणाली को चकमा देने में सफल रहीं।
सर्वाधिक पढ़ी गयी ख़बरें
कहा जा रहा है कि यदि हिजबुल्लाह जैसे समूह भी बड़े पैमाने पर रॉकेट और मिसाइल हमले शुरू करते हैं तो इसराइल की रक्षा प्रणाली और भी अधिक दबाव में आ सकती है।

इसराइल की हवाई रक्षा प्रणाली पर मौजूदा संकट ने क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति को और उलझन में डाल दिया है। मिसाइलों की कमी और बढ़ती लागत ने इसराइल को एक मुश्किल स्थिति में डाल दिया है, जहां उसे न केवल अपनी रक्षा प्रणाली को बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि क्षेत्रीय तनाव को भी नियंत्रित करने की चुनौती भी है।