बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान क़रीब 17 साल के निर्वासन के बाद गुरुवार को ढाका लौट आए। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक को लाखों की संख्या में पार्टी समर्थकों ने एयरपोर्ट से घर तक रोड शो में शामिल होकर जोरदार स्वागत किया। यह वापसी बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ है, खासकर फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव से पहले। क्या उनकी वापसी बांग्लादेश के लिए एक बड़ी उम्मीद साबित होंगी? भारत के लिए उनकी वापसी के क्या मायने हैं? उनकी वापसी के बाद भारत के साथ संबंध सुधरेंगे या और बिगड़ते ही चले जाएँगे?

तारिक रहमान लंदन से फ्लाइट से सुबह ढाका पहुंचे। एयरपोर्ट पर पार्टी के बड़े नेताओं ने उनका स्वागत किया। इसके बाद लाखों समर्थक सड़कों पर उतर आए। बीएनपी का दावा है कि लाखों कार्यकर्ता रोड शो में शामिल हुए। लोग झंडे लहराते, नारे लगाते और फूल बरसाते नजर आए। सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। तारिक के साथ उनकी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान और बेटी जैमा रहमान भी थीं। वे पहले अपनी बीमार मां खालिदा जिया से अस्पताल में मिले। बीएनपी के वरिष्ठ नेता रुहुल कबीर रिजवी ने कहा है कि यह बांग्लादेश की राजनीति का ऐतिहासिक पल है।
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तारिक रहमान कौन हैं?

तारिक रहमान पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे हैं। 2008 से वे लंदन में निर्वासन में थे। शेख हसीना की सरकार में उन पर भ्रष्टाचार और 2004 के ग्रेनेड अटैक जैसे कई केस लगे थे। उनको 2007 में गिरफ़्तार किया गया था। इसके अगले साल उनको ज़मानत मिली और अपना इलाज के लिए लंदन जाने की अनुमति भी मिल गई। तब से वह लंदन में ही रह रहे थे। बीएनपी का कहना था कि ये केस राजनीतिक बदले की कार्रवाई वाले थे। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद कोर्ट ने उन्हें सभी बड़े केसों में बरी कर दिया है।

2001-2006 में बीएनपी की सरकार के समय तारिक को 'डार्क प्रिंस' कहा जाता था, क्योंकि वे बहुत ताकतवर थे। अब वे बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और चुनाव में प्रधानमंत्री पद के मज़बूत दावेदार माने जा रहे हैं। वे बोगरा-6 सीट से चुनाव लड़ेंगे। चुनाव से पहले बांग्लादेश में जो सर्वे आ रहे हैं उसमें बीएनपी की स्थिति बेहतर बताई जा रही है। माना जा रहा है कि रहमान की पार्टी फ़रवरी में होने वाले चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। 

हाल के ओपिनियन पोल में बीएनपी सबसे आगे है। तारिक की वापसी से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश आएगा और सरकार बनाने की उम्मीद बढ़ेगी।

भारत के लिए रहमान की वापसी के मायने क्या?

बांग्लादेश में अभी अंतरिम सरकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में है। भारत समर्थित मानी जाने वाली शेख हसीना की अवामी लीग को चुनाव से बाहर रखा गया है। यूनुस सरकार में पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ी हैं और भारत से दूरी। शेख हसीना के सत्ता से हटाए जाने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी ताक़तें आक्रामक हैं और उनकी ताक़त भी बढ़ी है। इसमें ख़ासकर कट्टरपंथी आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं और वे पाकिस्तान समर्थित हैं।
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कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी फिर सक्रिय हो गई है, जो पाकिस्तान की आईएसआई से जुड़ी मानी जाती है। हाल में ढाका यूनिवर्सिटी चुनाव में जमात के स्टूडेंट विंग की जीत ने भारत को चिंता में डाल दिया है। यानी बांग्लादेश में मौजूदा ताक़तें या तो कट्टरपंथी या भारत विरोधी हैं। ऐसे हालात में बीएनपी भारत के लिए ज्यादा लोकतांत्रिक और उदार विकल्प है। भारत के लिए एक अच्छी ख़बर यह भी है कि रहमान और उनकी पार्टी बीएनपी की ओर से भारत को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं।

तारिक रहमान के संकेत क्या?

भारत-बीएनपी संबंध पहले तनावपूर्ण थे, लेकिन अब रिश्ते सुधारने के संकेत मिले हैं। 1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खालिदा जिया की बीमारी पर चिंता जताई और मदद की पेशकश की। बीएनपी ने भी इसका शुक्रिया अदा किया। इसके अलावा तारिक रहमान यूनुस सरकार के आलोचक रहे हैं और उन्होंने जमात से गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने 'बांग्लादेश फर्स्ट' की नीति की बात की है। उन्होंने हाल ही में कहा था कि 'न दिल्ली, न पिंडी, सबसे पहले बांग्लादेश।' यानी वह संकेत दे रहे हैं कि वह पाकिस्तान के पाले में नहीं जाना चाहेंगे, हालाँकि वह भारत को लेकर भी ऐसी ही बातें कर रहे हैं। लेकिन वह कट्टरपंथ के खिलाफ हैं, जो भारत के लिए राहत की बात है। अगर बीएनपी सत्ता में आई तो बांग्लादेश की विदेश नीति में बदलाव की उम्मीद है, जो मौजूदा परिस्थितियों में सबसे अच्छी स्थिति यही होगी जो भारत के हित में हो।
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तारिक की वापसी से बीएनपी मज़बूत होगी, लेकिन युवाओं को जोड़ना और पार्टी को एकजुट रखना बड़ी चुनौती है। बांग्लादेश में हिंसा और अस्थिरता जारी है। जमात और अन्य ग्रुप से टक्कर तय है। अब नज़र इस पर है कि आने वाले चुनाव में बीएनपी का प्रदर्शन कैसा रहता है और यदि वह चुनाव जीतते हैं तो भारत के प्रति उनका रवैया कैसा रहता है।