मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी ने कंजर्वेटिव पियरे पोलीवरे और एनडीपी के जगमीत सिंह को हराकर कनाडा के 2025 के संघीय चुनाव में चौथी बार जीत हासिल की है। यह जीत भारत-कनाडा संबंधों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
मार्क कार्नी
कनाडा में हुए संघीय चुनावों में मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी ने चौथी बार जीत हासिल की है। यह जीत न केवल कनाडा की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत-कनाडा संबंधों के लिए भी खास है। कनाडाई मीडिया के अनुसार, लिबरल पार्टी ने 50.6% वोटों के साथ 91 सीटों पर बढ़त बनाई, जबकि कंजर्वेटिव पार्टी, जिसका नेतृत्व पियरे पॉइलिव्रे कर रहे थे, 38.8% वोटों के साथ 61 सीटों पर आगे रही।
यह चुनाव कई मायनों में असाधारण रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने की विवादास्पद टिप्पणियों और टैरिफ की धमकियों ने कनाडाई मतदाताओं में राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काया। ट्रम्प के बयानों ने लिबरल पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया, जिसने कनाडा की संप्रभुता और आर्थिक स्थिरता की रक्षा का वादा किया। मार्क कार्नी, जो पहले बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रह चुके हैं, ने अपनी वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए मतदाताओं को आकर्षित किया। इस जीत का श्रेय मार्क कार्नी को ही दिया जा रहा है।
लिबरल पार्टी की जीत भारत के लिए मिलाजुला संदेश लेकर आई है। तमाम विश्लेषकों का मानना है कि मार्क कार्नी के नेतृत्व में भारत-कनाडा संबंध जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल की तुलना में गर्मजोशी वाले हो सकते हैं। ट्रूडो के समय में, खालिस्तानी तत्वों को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया था। कार्नी के नेतृत्व में कनाडा की नीतियां अधिक तटस्थ और आर्थिक रूप से केंद्रित हो सकती हैं, लेकिन खालिस्तानी समर्थकों को लेकर भारत की चिंताएं बरकरार रहेंगी। जब तक कार्नी इस संबंध में भारत से ठोस वादा नहीं करते, तब तक कुछ नहीं किया जा सकता। आरोप है कि कनाडा से खालिस्तानी संगठन और उनके नेता भारत विरोधी गतिविधियों में लगे रहते हैं।
343 निर्वाचन क्षेत्रों में लगभग 20 लाख 80 हजार कनाडाई मतदाताओं के मतदान के साथ, लिबरल्स अब सत्ता में लौटने के लिए तैयार हैं, हालांकि यह देखना अभी बाकी है कि वे बहुमत से शासन करेंगे या अल्पमत से।
कनाडा और भारत के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत रहे हैं, विशेष रूप से ऊर्जा, कृषि, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। कार्नी की आर्थिक नीतियां, जो वैश्विक व्यापार और स्थिरता पर जोर देती हैं, भारत के साथ व्यापार को बढ़ावा दे सकती हैं। हालांकि, ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ और कनाडा की अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव से भारत के निर्यात पर भी असर पड़ सकता है। भारत को कनाडा के साथ अपनी कूटनीतिक रणनीति को और मजबूत करने की आवश्यकता होगी ताकि दोनों देश आपसी हितों को बढ़ावा दे सकें।
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह, जो भारतीय मूल के हैं, इस चुनाव में केवल 8.4% वोट हासिल कर पाए। उनकी पार्टी ने कुछ सीटों पर बढ़त बनाई, लेकिन लिबरल और कंजर्वेटिव के बीच की कड़ी टक्कर में एनडीपी का प्रभाव सीमित रहा। सिंह ने ट्रम्प की टिप्पणियों का जवाब देते हुए X पर लिखा था- "ट्रम्प हमारे भविष्य का फैसला नहीं करते, हम करेंगे।" कनाडा में किसी भी पार्टी के नेता ने ट्रम्प की नीतियों का समर्थन नहीं किया है।
मार्क कार्नी के नेतृत्व में लिबरल पार्टी की जीत कनाडा के लिए एक नया अध्याय शुरू करेगी। लेकिन भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा अपने संबंधों का भारत को लेकर पुनर्मूल्यांकन करेगा या नहीं। कनाडा को लेकर भारत की कूटनीति की जल्द ही परीक्षा होने वाली है।