वैश्विक व्यापार युद्ध की आग में घिरे भारत को एक और झटका लगा है! अमेरिका के 50% टैरिफ के बाद अब मैक्सिको ने भी भारत पर टैरिफ़ लगाया है। हालाँकि, इसने भारत के साथ-साथ चीन और अन्य एशियाई देशों से आयात पर 1 जनवरी 2026 से 50% तक की ऊंची दरों वाले टैरिफ लगाने का फैसला किया है। मैक्सिको की सीनेट ने बुधवार को इस विधेयक को 76 वोटों से पारित कर दिया, जिसमें केवल 5 वोट विरोध में और 35 तटस्थ पड़े। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने और यूएस-मैक्सिको-कनाडा व्यापार समझौते की समीक्षा से पहले घरेलू उद्योगों को मज़बूत करने का प्रयास है।

मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शेनबाउम सरकार का दावा है कि यह कदम स्थानीय रोजगारों और विनिर्माण को बढ़ावा देगा, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह ट्रंप के दबाव में लिया गया फैसला है। ट्रंप ने हाल ही में मैक्सिको पर स्टील और एल्यूमीनियम पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, साथ ही फेंटेनिल ड्रग्स की तस्करी रोकने में नाकामी पर 25% अतिरिक्त शुल्क की चेतावनी दी। इस हफ्ते ही ट्रंप ने 1944 के जल संधि के उल्लंघन पर मैक्सिको को 5% टैरिफ की धमकी दी। ऐसे में मैक्सिको ने एशियाई आयात पर ब्रेक लगाकर वाशिंगटन को संकेत भेजा है कि वह अमेरिकी हितों का ख्याल रख रहा है।
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रिपोर्ट के अनुसार मैक्सिको की अर्थव्यवस्था समिति के चेयरमैन इमैनुएल रेयेस ने कहा, 'यह केवल राजस्व बढ़ाने का उपकरण नहीं है, बल्कि आर्थिक और व्यापार नीति को सामान्य कल्याण के हित में निर्देशित करने का माध्यम है।' सरकार का अनुमान है कि इससे अगले साल 3.76 अरब डॉलर यानी क़रीब 33 हज़ार 910 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटेगा, जो वित्तीय घाटे को कम करने में मदद करेगा।

कौन से देश होंगे प्रभावित?

यह टैरिफ उन देशों पर लागू होगा जिनके साथ मैक्सिको का कोई मुक्त व्यापार समझौता यानी एफ़टीए नहीं है। सूची में भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया प्रमुख हैं। क़रीब 1400 उत्पादों पर 5% से 50% तक की दरें लगेंगी, लेकिन ज्यादातर पर 35% तक ही सीमित रहेंगी। मुख्य उत्पादों में शामिल हैं-
  • ऑटोमोबाइल और पार्ट्स: कारों पर टैरिफ 20% से बढ़कर 50% हो जाएगा।
  • टेक्सटाइल, कपड़े, प्लास्टिक और स्टील।
  • इलेक्ट्रिकल मशीनरी, रसायन, चमड़ा, जूते और फर्नीचर।

मैक्सिको ने पहले ही इस साल चीनी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाए थे, लेकिन ट्रंप की शिकायतें जारी रहीं। अब यह नया कदम यूएस-मेक्सिको-कनाडा ट्रेड समझौता की समीक्षा से पहले अमेरिकी दबाव का नतीजा लगता है।

भारत पर कितना असर पड़ेगा?

भारत-मैक्सिको द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 11.7 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था, जिसमें भारत का व्यापार अधिशेष 6.1 अरब डॉलर रहा। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार भारत के निर्यात 8.9 अरब डॉलर और आयात 2.8 अरब डॉलर थे। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-अक्टूबर तक निर्यात 2.292 अरब डॉलर रहा। मैक्सिको भारत का लैटिन अमेरिका में ब्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

मोटर वाहन और पार्ट्स के निर्यात पर असर पड़ेगा। वोल्क्सवैगन, ह्यूंडई, निसान और मारुति सुजुकी जैसे प्रमुख निर्यातक प्रभावित होंगे। इसके अलावा लोहा-स्टील, एल्यूमीनियम, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, कपड़े, टेक्सटाइल, रसायन और फार्मास्यूटिकल्स पर भी असर होने की आशंका है।
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रॉयटर्स के अनुसार, भारतीय ऑटो उद्योग ने नवंबर में वाणिज्य मंत्रालय से लॉबीइंग की थी कि वह मैक्सिको से स्टेटस को बनाए रखने की मांग करे। इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स सोसाइटी ने पत्र लिखा था कि ये वाहन मैक्सिको के बाजार के लिए डिजाइन किए गए हैं, न कि अमेरिका के लिए री-एक्सपोर्ट के लिए।

विश्लेषकों का अनुमान है कि 2026 में भारतीय निर्यात में 20-30% की गिरावट आ सकती है। मैक्सिको को अमेरिकी बाजार में प्रवेश का द्वार मानने वाले निर्यातक अब आपूर्ति श्रृंखला बदलने पर विचार कर रहे हैं।

मैक्सिको के स्थानीय व्यवसाय समूहों ने चेतावनी दी है कि ये टैरिफ उत्पादन लागत बढ़ाएंगे और महंगाई को बढ़ाएँगे। लेकिन शेनबाउम सरकार इसे राष्ट्रीय हित में बता रही है। वैश्विक व्यापार युद्ध के इस नए दौर में भारत को अब नई रणनीति बनानी होगी, जहां अमेरिका, मैक्सिको और चीन जैसे साझेदारों के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।