नेपाल की सड़कों पर उबाल, हिंसक प्रदर्शन और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बीच एक नया नाम गूंज रहा है- बालेंद्र शाह, यानी बालेन शाह। सोशल मीडिया पर 'बालेन दाई, लीड लो' जैसे नारे ट्रेंड करने लगे हैं। काठमांडू के मेयर और पूर्व रैपर बालेन ने Gen Z प्रदर्शनकारियों के दिलों में जगह बनाई है, जो उन्हें देश का अगला नेता देखना चाहते हैं। उनकी बेबाक छवि, भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस, और युवाओं की आवाज़ सुनने की इच्छा ने उन्हें नेपाल की सियासत में एक चमकता सितारा बना दिया है। आखिर कौन हैं बालेन शाह, जिन्हें नेपाल की नई पीढ़ी अपना मसीहा मान रही है?


दरअसल, सोशल मीडिया पर चल रहे अभियानों और प्रदर्शनकारियों की मांगों के बीच बालेन शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। उनकी स्वच्छ छवि, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आक्रामक रवैया और युवाओं के प्रति उनके समर्थन ने उन्हें नेपाल के राजनीतिक माहौल में एक बड़ा नाम बना दिया है। आइए, जानते हैं कि बालेन शाह कौन हैं और क्यों Gen Z उन्हें अपना नेता मान रही है।

रैपर से मेयर तक का सफर

बालेन शाह फ़िलहाल काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर हैं। 35 वर्षीय बालेन ने सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है और अपने करियर की शुरुआत एक रैपर के रूप में की थी। सामाजिक मुद्दों और भ्रष्टाचार के खिलाफ तीखी टिप्पणियों वाले उनके गीत नेपाल के युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुए। 2022 में उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू के मेयर चुनाव में हिस्सा लिया और पारंपरिक राजनीतिक दलों को पछाड़ते हुए जीत हासिल की। यह जीत नेपाल की राजनीति में एक पीढ़ीगत बदलाव के रूप में थी, क्योंकि वह काठमांडू के पहले स्वतंत्र मेयर बने।


बालेन की मेयर के रूप में कार्यशैली ने उन्हें जनता, खासकर युवाओं का चहेता बना दिया। उन्होंने काठमांडू की सड़कों को साफ़ करने, पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ को सुरक्षित बनाने, सरकारी स्कूलों की निगरानी को बेहतर करने और टैक्स चोरी करने वाली निजी संस्थाओं पर सख्त कार्रवाई जैसे सुधार किए। उनकी भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति ने उन्हें एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया।

2023 में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें 'टॉप 100 इमर्जिंग लीडर्स' की सूची में शामिल किया और न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे वैश्विक मीडिया ने भी उनकी प्रशंसा की।

प्रोटेस्ट में बालेन शाह की भूमिका

नेपाल में हाल के प्रदर्शन सरकार द्वारा फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ शुरू हुए। यह प्रतिबंध बाद में हटा लिया गया, लेकिन युवाओं का गुस्सा भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन में बदल गया। सोमवार को प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें पुलिस की गोलीबारी में कई लोग मारे गए और बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन को आग के हवाले कर दिया और प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मंत्रियों के आवासों पर तोड़फोड़ की। मंगलवार को भारी दबाव के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।


इन प्रदर्शनों के बीच बालेन शाह ने Gen Z प्रदर्शनकारियों के प्रति अपनी सहानुभूति और समर्थन जताया। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा, 'यह Gen Z का एक स्वतःस्फूर्त आंदोलन है, जिनके लिए शायद मैं भी बूढ़ा लगता हूँ। मैं उनकी आकांक्षाओं, उद्देश्यों और सोच को समझना चाहता हूँ।' उन्होंने यह भी कहा कि वह आयु सीमा के कारण प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उनका 'पूर्ण समर्थन' युवाओं के साथ है।

ओली के इस्तीफे के बाद बालेन ने मंगलवार को एक और फेसबुक पोस्ट में प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाने की अपील की। उन्होंने लिखा, 'प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। अब और जान-माल का नुकसान नहीं होना चाहिए। यह हमारा सामूहिक नुक़सान है। अब आपकी पीढ़ी को देश का नेतृत्व करना है।' इस बयान ने उन्हें Gen Z के बीच और लोकप्रिय बना दिया और सोशल मीडिया पर 'बालेन दाई, लीड लो' जैसे नारे ट्रेंड करने लगे।

Gen Z का बालेन शाह पर भरोसा

पारंपरिक राजनीतिक दलों और नेताओं से निराश Gen Z बालेन शाह को एक ताज़ा और विश्वसनीय चेहरा मानती है। उनकी स्वतंत्र छवि, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया और युवाओं की आवाज़ को सुनने की इच्छा ने उन्हें प्रदर्शनकारियों का पसंदीदा बनाया है। सोशल मीडिया पर कई यूजरों ने उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देखने की मांग की है। एक नेपाली दैनिक द हिमालया टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा, "आज के आंदोलन के लोग स्पष्ट रूप से कह रहे हैं, 'आओ बालेन, हमें इस संकट से बचाओ'।"


प्रदर्शनकारियों का मानना है कि बालेन शाह जैसे नेता ही देश को भ्रष्टाचार और कुशासन से मुक्ति दिला सकते हैं।

क्या बालेन शाह की राह आसान?

बालेन शाह का नाम भले ही अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए उछल रहा हो, लेकिन उनकी राह आसान नहीं है। नेपाल की राजनीति में पारंपरिक दल जैसे नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियाँ अभी भी मजबूत हैं। बालेन की स्वतंत्र छवि और युवाओं का समर्थन उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाता है, लेकिन राजनीतिक दलों के बीच सत्ता के लिए चल रही खींचतान में उन्हें समर्थन जुटाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।


इसके अलावा, नेपाल में हाल की हिंसा और अशांति ने देश को एक नाजुक स्थिति में ला खड़ा किया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि नया नेतृत्व नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और राज्य द्वारा बल प्रयोग को रोका जाए। बालेन ने अपनी पोस्ट में इस दिशा में संवाद और शांति की वकालत की है, लेकिन क्या वह इन मांगों को पूरा कर पाएंगे, यह सवाल बड़ा है। लेकिन इतना तो तय है कि बालेन शाह आज नेपाल की Gen Z के लिए एक उम्मीद की किरण बन गए हैं।