बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शनों के बीच सोमवार को नेशनल सिटिजन्स पार्टी (एनसीपी) के एक वरिष्ठ श्रमिक नेता पर खुलना में दिनदहाड़े गोली चलाई गई। यह इस महीने किसी युवा नेता पर दूसरा बड़ा हमला है, जिससे देश में राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।

एनसीपी के श्रमिक संगठन 'जातीय श्रमिक शक्ति' के केंद्रीय आयोजक और खुलना डिवीजन संयोजक मोहम्मद मोतालिब सिकदार (42) पर सोनाडांगा इलाके में एक घर के अंदर दोपहर करीब 12:15 बजे अज्ञात हमलावरों ने सिर में गोली मारी। एनसीपी के खुलना महानगरीय इकाई के आयोजक सैफ नेवाज ने प्रथम आलो अखबार को बताया कि सिकदार पार्टी के श्रमिक विंग के प्रमुख नेता हैं और खुलना में आगामी दिनों में होने वाली डिवीजनल श्रमिक रैली की तैयारी में जुटे थे।

पुलिस के अनुसार, हमलावरों ने उनके सिर को निशाना बनाया, लेकिन गोली खोपड़ी को चीरती हुई निकल गई। शुरुआती रिपोर्टों में उनकी हालत गंभीर बताई गई थी, लेकिन पार्टी सूत्रों ने बाद में कहा कि गोली सिर को रगड़ते हुए गुजर गई और अब उनकी स्थिति स्थिर है। उन्हें खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सोनाडांगा पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी ने पुष्टि की कि घटना के बाद इलाके में पुलिस तैनात कर दी गई है और हमलावरों की तलाश जारी है।

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यह हमला ऐसे समय हुआ है जब देश छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या से भड़की हिंसा की चपेट में है। हादी, जो पिछले साल की जुलाई में हुई तख्तापलट की घटना से जुड़े प्रमुख छात्र नेता और 'इंकलाब मंच' के प्रवक्ता थे, को 12 दिसंबर को ढाका के बिजॉयनगर इलाके में गोली मार दी गई। उस समय वो बैट्री वाले ऑटो-रिक्शा में बैठे हुए थे, तभी मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने पास आकर उनके सिर में गोली मार दी।

उन्हें पहले ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां ब्रेन स्टेम में गंभीर क्षति पाई गई। गंभीर हालत को देखते हुए 15 दिसंबर को उन्हें सिंगापुर ले जाया गया, जहां सिंगापुर जनरल अस्पताल के न्यूरोसर्जिकल आईसीयू में भर्ती किया गया। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने बाद में पुष्टि की कि व्यापक चिकित्सा प्रयासों के बावजूद हादी की 18 दिसंबर को मौत हो गई।

हादी 2024 की छात्र-नेतृत्व वाली क्रांति के प्रमुख चेहरे थे और फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव में ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। वे भारत की बांग्लादेश की घरेलू राजनीति में भूमिका की तीखी आलोचना के लिए जाने जाते थे, खासकर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत भाग जाने के बाद।

हादी की मौत की खबर फैलते ही देशभर में प्रदर्शन भड़क उठे। ढाका के शाहबाग चौराहे सहित कई शहरों में प्रदर्शनकारी न्याय और दोषियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। अधिकारियों ने आगे हिंसा न फैलने की चेतावनी दी है और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

शेख हसीना का बयान

भारत में निर्वासित जीवन बिता रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को भारत-बांग्लादेश संबंधों के बिगड़ने का पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सोमवार को  कहा कि वर्तमान तनाव पूरी तरह यूनुस की देन है, क्योंकि उनकी सरकार भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण बयान जारी कर रही है और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में विफल साबित हो रही है।


हसीना ने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार कट्टरपंथी तत्वों को सशक्त बना रही है, जिससे देश में अराजकता और हिंसा बढ़ रही है। यह स्थिति न केवल बांग्लादेश को अंदरूनी रूप से अस्थिर कर रही है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को भी प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत अराजकता, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार और हम दोनों देशों द्वारा मिलकर बनाई गई उपलब्धियों के क्षय को देख रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत और बांग्लादेश के संबंध गहरे और बुनियादी हैं, जो किसी अस्थायी सरकार से कहीं अधिक समय तक टिके रहेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि जब बांग्लादेश में वैध शासन बहाल होगा और लोकतंत्र वापस आएगा, तो दोनों देशों के बीच वह समझदार साझेदारी फिर से स्थापित हो जाएगी, जिसे उन्होंने 15 वर्षों में विकसित किया था।

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हसीना ने अंतरिम सरकार पर विदेश नीति को कट्टरपंथियों की विचारधारा के अनुसार बदलने का भी आरोप लगाया, जबकि यूनुस को ऐसा करने का कोई जनादेश नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि जब बांग्लादेशी लोग स्वतंत्र रूप से मतदान कर सकेंगे, तभी विदेश नीति राष्ट्रीय हितों की सेवा करेगी, न कि अस्थायी सत्ता हासिल करने वालों की वैचारिक कल्पनाओं की।