पाकिस्तान से ज्यादा भारत में इस बात पर चर्चा हो रही है कि पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और यूएस राष्ट्रपति ट्रंप के बीच लंच बैठक किसने कराई। क्या मुनीर को ईरान के खिलाफ अमेरिका इस्तेमाल करना चाहता है।
आसिम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप
व्हाइट हाउस में 18 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के बीच हुई बैठक ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। यह पहली बार था जब किसी पाकिस्तानी सेना प्रमुख, जो राजनीतिक पद पर नहीं थे, को किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस स्तर पर औपचारिक मुलाकात के लिए बुलाया। हालांकि, इस बैठक की व्यवस्था पारंपरिक राजनयिक चैनलों के माध्यम से नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात सलाहकारों, कारोबारियों और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों के "अपरंपरागत प्रयासों" का नतीजा थी। अंग्रेजी में इन्हें फिक्सर्स भी कहा जाता है।
वाशिंगटन के राजनयिक सूत्रों ने खुलासा किया कि यह बैठक महीनों से तैयार की जा रही थी और इसे गोपनीय रखा गया था, जब तक कि मंगलवार को व्हाइट हाउस ने ट्रम्प का आधिकारिक शेड्यूल जारी नहीं किया। डॉन अखबार की रिपोर्ट बताती है कि इस मुलाकात को सामान्य राजनयिक प्रक्रियाओं के बजाय सलाहकारों, व्यवसायियों और प्रभावशाली हस्तियों के एक समूह ने संभव बनाया। इस प्रक्रिया को "अपरंपरागत प्रयास" कहा गया, जो इसे और भी असाधारण बनाता है।
इतिहास में दर्ज है कि पाकिस्तान के पिछले सैन्य शासक, जैसे फील्ड मार्शल अयूब खान, जनरल जिया-उल-हक और जनरल परवेज मुशर्रफ, केवल तभी अमेरिकी राष्ट्रपतियों से मिल पाए थे, जब वे देश के प्रमुख के रूप में सत्ता में आए। लेकिन आसिम मुनीर की स्थिति सेना प्रमुख की है, जो इस मुलाकात को कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण बनाती है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक के लिए रास्ता बनाने में एक प्रमुख व्यक्ति का नाम सामने आया है- सजिद तराड़। जो एक पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी और "अमेरिकन मुस्लिम्स फॉर ट्रम्प" के संस्थापक हैं। तराड़ लंबे समय से ट्रम्प के समर्थक रहे हैं और उन्होंने पिछले तीन रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में वक्ता के रूप में भाग लिया है। उनके बेटे ने ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान स्टेट डिपार्टमेंट में भी काम किया था। तराड़ ने न केवल इस मुलाकात की व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि वाशिंगटन के फोर सीजन्स होटल में मुनीर के लिए एक पाकिस्तानी अमेरिकी लोगों की ओर से स्वागत समारोह भी आयोजित किया।
आसिम मुनीर और ईरान
ईरान-इसराइल तनाव के बीच पाकिस्तान की स्थिति भी इस बैठक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। ट्रम्प ने ईरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया हुआ है, और मुनीर की मुलाकात को ईरान के खिलाफ एक संभावित गठबंधन बनाने की रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, मुनीर ने वाशिंगटन में एक भाषण में ईरान के प्रति समर्थन व्यक्त किया था, जो ट्रम्प के रुख के विपरीत है। लेकिन पाकिस्तान लौटने के बाद मुनीर ईरान को लेकर क्या रुख अपनाते हैं, वो बहुत जल्द साफ हो जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका अब आसिम मुनीर के जरिए पाकिस्तान के रास्ते ईरान पर दबाव बनाएगा। साथ ही पाकिस्तान पर चीन का प्रभाव जगजाहिर है। अमेरिका मुनीर के जरिए उस प्रभाव को खत्म भी करना चाहता है।
क्रिप्टोकरंसी का धंधा और यह मुलाकात
मुद्दे डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इस बैठक में क्रिप्टो-लिंक्ड नेटवर्क के साथ जुड़ाव और वाशिंगटन में रिपब्लिकन से जुड़ी फर्म्स के जरिए टारगेट लॉबिंग शामिल थी। विशेष रूप से, पाकिस्तान के क्रिप्टो काउंसिल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच अप्रैल में हुए समझौते को इस मुलाकात ने आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। WLF, जिसमें ट्रम्प के बेटों—एरिक ट्रम्प और डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर—और दामाद जेरेड कुशनर की 60% हिस्सेदारी है, ने पाकिस्तान में ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी आधारित वित्तीय प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए यह समझौता किया है। इस समझौते की घोषणा 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले हुई थी, जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा दिया था।
इसके अलावा, पाकिस्तान के क्रिप्टो काउंसिल ने बिनेंस के संस्थापक चांगपेंग झाओ (CZ) को अपने सलाहकार के रूप में नियुक्त किया, जिसने इस समझौते को और अधिक विश्वसनीयता प्रदान की। हालांकि WLF और पाकिस्तान के क्रिप्टो काउंसिल ने दावा किया कि यह समझौता केवल आर्थिक है, लेकिन आसिम मुनीर की व्यक्तिगत भागीदारी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक निहितार्थों के साथ जोड़ दिया। कुल मिलाकर इस मीटिंग में क्रिप्टोकरंसी पर बात खुलकर हुई।
बैठक के दौरान, ट्रम्प और मुनीर ने आतंकवाद-निरोधक सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता, और आर्थिक विकास जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की। पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और खुफिया तंत्र इसे आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी हितों के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी मानते हैं। क्योंकि अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी के बाद खुरासान आतंकी समूह (ISIS-K) जैसे आतंकी समूहों के उभार पर मिलकर लड़ने की चर्चा हुई।
कुल मिलाकर ट्रम्प और आसिम मुनीर की मुलाकात एक जटिल जियो पॉलिटिक्स खेल का हिस्सा है। जिसमें सजिद तराड़ जैसे प्रभावशाली बिजनेसमैन, क्रिप्टो-लिंक्ड नेटवर्क और रिपब्लिकन से जुड़ी लॉबिंग फर्म्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह मुलाकात ईरान-इसराइल तनाव और भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में भी रणनीतिक महत्व रखती है।