पाकिस्तान ने गुरुवार को भारत के साथ व्यापार, शिमला समझौता समेत तमाम द्विपक्षीय समझौतों और हवाई क्षेत्रों को निलंबित करने सहित अन्य कदमों की घोषणा की। यह कदम उसने पहलगाम में हुए घातक हमले के मद्देनजर भारत द्वारा उसके खिलाफ उठाए गए आक्रामक कदमों के जवाब में उठाया है। भारत ने बुधवार को सिंधु जल समझौता निलंबित, पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने और अटारी बॉर्डर बंद करने की घोषणा की थी। इसके अलावा पाकिस्तान के टॉप राजनयिक को तलब करके बताया कि पाकिस्तान एम्बैसी में कार्यरत सैन्य सलाहकार अवांछित घोषित कर दिए गए हैं, उन्हें भारत छोड़ना होगा। एम्बैसी में कर्मचारियों की संख्या भी कम कर दी गई।

इस्लामाबाद में गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) की बैठक हुई। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, आंतरिक मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सशस्त्र बलों के प्रमुखों सहित शीर्ष सरकारी और सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, बैठक में भाग लेने वालों ने राष्ट्रीय सुरक्षा माहौल और क्षेत्रीय स्थिति, विशेष रूप से पहलगाम हमले के मद्देनजर चर्चा की, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और 17 लोग घायल हो गए।

बयान में कहा गया, "पर्यटकों की हत्या पर चिंता जताते हुए पाकिस्तान की समिति ने 23 अप्रैल 2025 को घोषित भारतीय उपायों की समीक्षा की और उन्हें एकतरफा, अन्यायपूर्ण, राजनीति से प्रेरित, अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना करार दिया।"

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान शिमला समझौते सहित भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित रखने के अधिकार का प्रयोग करेगा, जब तक कि भारत पाकिस्तान के अंदर आतंकवाद को बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय हत्याओं और कश्मीर पर अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन न करने के अपने स्पष्ट व्यवहार से बाज नहीं आता।"

भारत की तरह ही पाकिस्तान ने भी भारतीय नागरिकों को जारी किए गए सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत सभी वीजा निलंबित कर दिए हैं और सिख धार्मिक तीर्थयात्रियों को छोड़कर उन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इसमें कहा गया है, "एसवीईएस के तहत वर्तमान में पाकिस्तान में मौजूद भारतीय नागरिकों को सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर 48 घंटे के भीतर बाहर निकलने का निर्देश दिया गया है।" पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को भी अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया है और उन्हें "तुरंत लेकिन 30 अप्रैल 2025 से पहले" वहां से चले जाने का निर्देश दिया है।

शिमला समझौता क्या है

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के बीच हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हस्ताक्षरित एक शांति संधि थी। यह समझौता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ, जिसमें भारत की सैन्य सहायता से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) स्वतंत्र हो गया था। इस समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे।

शिमला समझौते की खास बातें

यह समझौता भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता स्थापित करना था।


कश्मीर मुद्दाः दोनों देशों ने सहमति जताई कि सभी विवाद, विशेष रूप से कश्मीर मुद्दा, द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से हल किए जाएंगे। यह समझौता तीसरे पक्ष या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप को खारिज करता है।


नियंत्रण रेखा (LoC): 17 दिसंबर 1971 की युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा (Line of Control) के रूप में स्थापित किया गया, जिसे दोनों देश बिना एकतरफा बदलाव के सम्मान करने के लिए सहमत हुए।


शांति और सहयोग: दोनों देशों ने शत्रुता और टकराव को समाप्त करने, शांति, मैत्री और सहयोग को बढ़ावा देने का वचन दिया।

युद्धबंदियों की वापसी: भारत ने 93,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को वापस करने और युद्ध के दौरान कब्जाए गए अधिकांश क्षेत्रों को लौटाने का फैसला किया।


बांग्लादेश की मान्यता: समझौते ने पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का मार्ग प्रशस्त किया।

भारत को क्या नुकसान होगा

पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को सस्पेंड करने का भारत पर सीधा और तात्कालिक प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन इसके दीर्घकालिक नुकसान और जियो पॉलिटिक्स परिणाम महत्वपूर्ण हो सकते हैं। संभावित नुकसानों का विश्लेषण पेश है:


कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण: शिमला समझौता कश्मीर को एक द्विपक्षीय मुद्दा मानता था, जिसके तहत भारत ने संयुक्त राष्ट्र या अन्य तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को लगातार खारिज किया। समझौते के निलंबन से पाकिस्तान अब कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश कर सकता है। इससे भारत की उस नीति को चुनौती मिल सकती है, जिसमें वह कश्मीर को आंतरिक मामला बताता रहा है, खासकर 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद।


नियंत्रण रेखा (LoC) पर तनाव में वृद्धि: समझौते ने LoC को एक स्थायी सीमा के रूप में मान्यता दी थी, जिसे दोनों देशों को सम्मान करना था। सस्पेंशन से पाकिस्तान LoC पर एकतरफा कार्रवाई या उकसावे की कोशिश कर सकता है, जिससे सीमा पर संघर्ष बढ़ सकता है। पहले भी, जैसे कि 1999 के कारगिल युद्ध में, पाकिस्तान ने LoC का उल्लंघन किया था, और अब इस समझौते के अभाव में ऐसी घटनाओं की संभावना बढ़ सकती है।


क्षेत्रीय अस्थिरता और युद्ध का खतरा: शिमला समझौता दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग का आधार था। इसके सस्पेंशन से भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव और बढ़ सकता है, जिससे सैन्य टकराव का खतरा पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह कदम 2019 के बाद दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर संकट पैदा कर सकता है, खासकर जब दोनों देश परमाणु हथियारों से लैस हैं।


राजनयिक और व्यापारिक नुकसान: समझौते के निलंबन से दोनों देशों के बीच बची-खुची राजनयिक और व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो सकती हैं। पाकिस्तान ने पहले ही वाघा सीमा पर व्यापार और भारतीय उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है। इससे भारत के कुछ व्यापारिक हित प्रभावित हो सकते हैं, विशेष रूप से अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार में, जो पाकिस्तान के रास्ते होता है।


आतंकवाद पर नियंत्रण में कमी: शिमला समझौता अप्रत्यक्ष रूप से दोनों देशों को आतंकवाद और शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को रोकने के लिए प्रेरित करता था। इसके सस्पेंशन से पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा, की गतिविधियां बढ़ सकती हैं, जिससे भारत में आतंकी हमलों का खतरा बढ़ेगा।


अंतरराष्ट्रीय दबाव और छवि पर असर: यदि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है, तो भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को और मजबूती से रखना होगा। इससे भारत की कूटनीतिक ऊर्जा और संसाधन प्रभावित हो सकते हैं। भारत के सिंधु जल संधि निलंबन और पाकिस्तान के शिमला समझौता सस्पेंड करने से दोनों देशों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आलोचना का सामना करना पड़ सकता है, जिससे भारत की वैश्विक छवि पर असर पड़ सकता है।