पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर क्या पाकिस्तान में और भी ताक़तवर होने वाले हैं और चुनी हुई सरकार कमजोर होगी? ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं कि पाकिस्तान के संविधान में संशोधन किए जाने वाले हैं। इन संशोधनों में पाकिस्तान सेना के अधिकार और नियंत्रण वाले प्रावधान भी जुड़े हैं। अब, विश्लेषक इसे सेना प्रमुख को और अधिकार दिए जाने के तौर पर देख रहे हैं।

पिछले छह महीनों में दिखा है कि आसिम मुनीर न केवल सैन्य बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक क्षेत्रों में भी अपना दबदबा कायम रखे हुए हैं। अब एक विवादास्पद संवैधानिक संशोधन की तैयारी है जिसे 27वें संशोधन के रूप में जाना जा रहा है। यह संशोधन अनुच्छेद 243 में बदलाव की बात करता है, जो पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के कमांड और कंट्रोल से संबंधित है। सरकारी स्तर पर गोपनीयता बरती जा रही है, लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी के एक ट्वीट ने इसकी पोल खोल दी। बिलावल ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उनकी पार्टी से इस संशोधन के लिए समर्थन मांगा है।

पाक में सिविल-मिलिट्री असंतुलन बढ़ेगा?

यह खबर पाकिस्तान की सियासी गलियारों में भूचाल ला रही है, जहां सेना का नागरिक शासन पर लंबे समय से साया पड़ा हुआ है। संशोधन को मुनीर के पद और उनकी शक्तियों को संवैधानिक संरक्षण देने का प्रयास माना जा रहा है, खासकर तब जब उनकी आधिकारिक रिटायरमेंट तिथि 28 नवंबर 2025 है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान की सिविल-मिलिट्री असंतुलन को और गहरा कर देगा।

बिलावल के ट्वीट से शुरू हुई बहस

पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज यानी पीएमएल-एन के एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उनकी पार्टी से 27वें संवैधानिक संशोधन के लिए समर्थन मांगा है। बिलावल ने नौ प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया है, जिनमें संवैधानिक अदालत की स्थापना, जजों के स्थानांतरण, कार्यकारी मजिस्ट्रेटों की पुनर्स्थापना, राष्ट्रीय वित्त आयोग के तहत प्रांतीय हिस्सेदारी की सुरक्षा हटाना, शिक्षा और जनसंख्या नियोजन को संघीय नियंत्रण में लाना, चुनाव आयोग में नियुक्तियों का गतिरोध समाप्त करना शामिल हैं। लेकिन सबसे विवादास्पद है अनुच्छेद 243 में संशोधन। वर्तमान में यह अनुच्छेद कहता है, 'संघीय सरकार सशस्त्र बलों का नियंत्रण और कमांड रखेगी।'

बिलावल भुट्टो जरदारी ट्वीट

बिलावल के ट्वीट ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया। पूर्व पाकिस्तानी सीनेटर मुस्तफा नवाज खोखर ने एक्स पर लिखा, '27वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य अनुच्छेद 243 में छेड़छाड़ करना है, जो सशस्त्र बलों के नियंत्रण, कमांड और सेवा प्रमुखों की नियुक्ति से संबंधित है। बाकी सब शोर है।' इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी भू-राजनीतिक विशेषज्ञ बाकिर सज्जाद ने इसे 'शर्मनाक सत्ता हड़पने का प्रयास' करार दिया और कहा, 'अगर संसद ने इसे मंजूरी दी, तो यह पूरा विश्वासघात होगा। क्या राजनीतिक दल फिर बिक जाएंगे?'

अनुच्छेद 243 में बदलाव के मायने

पाकिस्तान के कानून एवं न्याय राज्य मंत्री बरिस्टर अकील मलिक ने जियो न्यूज को बताया कि 1973 के संविधान लागू होने के बाद पहली बार किसी अधिकारी को फील्ड मार्शल बनाया गया है, जिसे संवैधानिक ढांचे में रखने की जरूरत है। संशोधन अनुच्छेद 243 को संशोधित कर फील्ड मार्शल रैंक को कानूनी मान्यता देगा, जो वर्तमान में संविधान या आर्मी एक्ट में दर्ज नहीं है। इससे मुनीर के कार्यकाल को विस्तार मिल सकता है और उनकी शक्तियों को संघीय सरकार के नियंत्रण से अलग कर सैन्य कमांड को मजबूत किया जा सकता है।
यह कदम अप्रत्याशित नहीं है। मई 2025 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया था, जो अयूब खान के बाद दूसरा ऐसा मामला है। अयूब खान ने 1958 के सैन्य तख्तापलट के बाद खुद को यह पद दिया था। अब फील्ड मार्शल रैंक बिना संवैधानिक आधार के है, जिससे मुनीर का भविष्य अस्पष्ट है। अब यह संशोधन इसे संवैधानिक वैक्यूम से बचाने का प्रयास माना जा रहा है।

मुनीर का बढ़ता क़द

पिछले कुछ महीनों में मुनीर पाकिस्तान के डी फैक्टो शासक बन चुके हैं। उन्होंने तीन महीनों में तीन बार अमेरिका का दौरा किया, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की और न केवल रक्षा नीति बल्कि विदेश नीति व आर्थिक योजना में हस्तक्षेप किया। जून 2025 में व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ लंच मीटिंग पहली ऐसी घटना थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख को अकेले सम्मानित किया। ट्रंप ने उन्हें पाकिस्तान का बेहद अहम व्यक्ति कहा। अक्टूबर में मुनीर द्वारा ट्रंप को रेअर अर्थ मिनरल सौंपते हुए एक वायरल तस्वीर में पीएम शरीफ पीछे नजर आए। इसे नागरिक सरकार के हाशिए पर धकेले जाने के रूप में देखा गया।

सिविलियन कंट्रोल का अंत होगा?

पूर्व अमेरिकी राजदूत जालमाय खलीलजाद ने एक्स पर सवाल उठाया, 'अनुच्छेद 243 में संशोधन सशस्त्र बलों पर सिविलियन अथॉरिटी को ख़त्म करने का प्रयास तो नहीं? क्या सेना प्रमुख को कमांडर-इन-चीफ बनाया जाएगा?' पाकिस्तान के संवैधानिक विशेषज्ञ भी चेता रहे हैं कि मौजूदा संवैधानिक ढांचा पूरी तरह तबाह हो सकता है। विपक्षी दलों और सिविल सोसाइटी संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। भारत के लिए भी यह घटना अहम है क्योंकि मुनीर भारत-विरोधी बयानबाजी करते रहे हैं और ऐसे में उनकी ताक़त का बढ़ना भारत के लिए भी सचेत करने वाली घटना हो सकती है।