अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज पर कहा कि इसराइल-हमास के बीच ग़ज़ा युद्धविराम समझौते के तहत सभी बंधकों की रिहाई सोमवार तक हो सकती है। ट्रंप ने इस सौदे को मध्य पूर्व में व्यापक शांति की दिशा में पहला कदम बताते हुए कहा, "यह ग़ज़ा से कहीं अधिक है। यह मध्य पूर्व में शांति है। यह एक यकीन न आने वाली बात है।" इसी के साथ व्हाइट हाउस ने ट्रंप के लिए पीस प्रेसिडेंट शब्द का इस्तेमाल किया है, जिसका अपना मकसद है। इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के ग़ज़ा पीस प्लान की फिर से तारीफ करते हुए इसराइल के पीएम और ग़ज़ा नरसंहार के आरोपी नेतन्याहू की तारीफ की है। 
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर इस समझौते की घोषणा की थी। फॉक्स न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "हम सोचते हैं कि वे सभी सोमवार को वापस आ जाएंगे, और इसमें मृत बंधकों के शव भी शामिल होंगे।" उन्होंने मृत बंधकों के शवों की वापसी को लेकर चुनौतियों का जिक्र किया, यह कहते हुए कि "वे गहरी जमीन में दफन हैं। यह एक भयानक स्थिति है।" फिर भी, उन्होंने आश्वासन दिया कि "बहुत कुछ हो रहा है" और पर्दे के पीछे प्रयास जारी हैं।
इस समझौते को ट्रंप ने पूरी दुनिया के सहयोग का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया एकजुट हो गई है, ईमानदारी से कहें तो। ऐसे कई देश शामिल हुए हैं जिनका आपको कभी सोचा भी न हो।" उन्होंने दावा किया कि युद्ध समाप्ति के बाद ग़ज़ा का पुनर्निर्माण होगा, जिसमें क्षेत्र के धनी देशों की मदद से इसे सुरक्षित और समृद्ध स्थान बनाया जाएगा। ट्रंप ने कहा, "ग़ज़ा को हम मानते हैं कि यह बहुत सुरक्षित जगह बनेगा और पुनर्निर्मित होगा। हम इसमें सफल बनाने और शांत बनाए रखने में मदद करेंगे। मुझे लगता है कि यह शांतिपूर्ण हो जाएगा।"
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ग़ज़ा प्लान का पहला चरण अगले 72 घंटों में पूरा होगा

पहले चरण के तहत इसराइल और हमास ने बंधकों और कैदियों की अदला-बदली पर सहमति जताई है। यह आदान-प्रदान समझौते के अमल के 72 घंटों के अंदर होगा, जिसमें सभी जीवित इजरायली बंधकों को लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले रिहा किया जाएगा। इसराइल अपनी सेना को एक पूर्वनिर्धारित लाइन तक पीछे हटाएगा, जो शांति की दिशा में प्रारंभिक कदम माने जा रहे हैं। यह समझौता मिस्र में अप्रत्यक्ष वार्ताओं के माध्यम से पूरा हुआ। यह घटनाक्रम हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले की दूसरी वर्षगांठ के एक दिन बाद आया। कतर, मिस्र और तुर्की के मध्यस्थों ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि ट्रंप ने अपने दामाद जेरेड कुश्नर और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ को बातचीत के लिए भेजा। इसराइल की ओर से रणनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर ने प्रतिनिधित्व किया।

पीस प्रेसिडेंट ट्रेंड कर रहा है

यह समझौता वर्षों से चले आ रहे इसराइल-हमास संघर्ष को समाप्त करने वाला है। घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर 'पीस प्रेसिडेंट' ट्रेंड कर रहा है, और ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार की संभावना पर भी टिप्पणी की है। लोग सोशल मीडिया पर ट्रंप को पीस प्रेसिडेंट लिख रहे हैं। व्हाइट हाउस ने भी इस बारे में लिखा है। शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कारों की आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है। 

मोदी ने ट्रंप और नेतन्याहू की तारीफ की 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्री ग़ज़ा शांति योजना के पहले चरण पर सहमति बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इसका जोरदार स्वागत किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए मोदी ने कहा कि बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता में वृद्धि से ग़ज़ा के लोगों को राहत मिलेगी तथा यह स्थायी शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने इस समझौते को इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के मजबूत नेतृत्व को श्रेय दे डाला। हालांकि नेतन्याहू ग़ज़ा जनसंहार के आरोपी हैं।

युद्ध अपराधी हैं नेतन्याहू 

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर युद्ध अपराधों के आरोप लगते हुए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने 21 नवंबर 2024 को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। आईसीसी ने नेतन्याहू और तत्कालीन रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को युद्ध अपराधी घोषित करते हुए कहा कि वे युद्ध के तरीके के रूप में भुखमरी का उपयोग, मानवता के खिलाफ हत्या, उत्पीड़न और अन्य अमानवीय कृत्यों के लिए जिम्मेदार हैं। न्यायालय ने यह भी पाया कि नेतन्याहू और गैलेंट ने नागरिक आबादी पर जानबूझकर हमले का निर्देश देने के अपराध में भी भूमिका निभाई। 
आईसीसी के 125 सदस्य देशों को नेतन्याहू की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है, यदि वे उनके क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े इस अंतरराष्ट्रीय निकाय के फैसले ने नेतन्याहू की वैश्विक यात्राओं को प्रभावित किया है, और कई देशों ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। नेतन्याहू ने इस फैसले को एंटी-सेमिटिक करार देते हुए खारिज किया है।