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पुतिन क्यों बोले- 'यूक्रेन युद्ध जितनी जल्दी ख़त्म हो उतना बेहतर'?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जोर देकर कहा है कि रूस लड़ाई को तेजी से ख़त्म करने का लक्ष्य बना रहा है। उन्होंने मीडिया कर्मियों से कहा है, 'हमारा लक्ष्य है... इस संघर्ष को समाप्त करना। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि यह सब समाप्त हो जाए, और जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा होगा।' तो सवाल है कि क्या यह युद्ध शांतिवार्ता से ख़त्म होगा या फिर किसी अन्य माध्यम से? आख़िर व्लादिमीर पुतिन ने क्या संकेत दिए हैं?

पुतिन ने क्या कहा है और रूस की मौजूदा स्थिति कैसी है, यह जानने से पहले यह जान लें कि हाल में रूस की तरफ़ से कैसे बयान आए हैं। रूस ने हाल ही में यूक्रेन और अमेरिका पर उसकी चिंताओं को अनसुना करने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका रूस को कमजोर करने के लिए यूक्रेन को युद्ध के मैदान के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। इधर, मास्को के सैन्य प्रमुख ने कहा है कि रूसी सेना अब पूर्वी डोनेट्स्क क्षेत्र पर नियंत्रण करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां बखमुत शहर लड़ाई का केंद्र बन गया है। क्या ये बयान युद्ध को ख़त्म करने के संकेत देते हैं?

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बहरहाल, यह युद्ध यूक्रेन के लिए तो विनाशकारी साबित हुआ ही है, लेकिन इससे रूस भी कम प्रभावित नहीं हुआ है। बड़ी संख्या में उसके सैनिकों के वहाँ मारे जाने की ख़बरें आती रही हैं। मारियूपोल की बमबारी और बूचा के नरसंहार से रूस की बदनामी हुई है। यूक्रेनी सेना को इज़ियुम से सामूहिक कब्रें मिली हैं और नागरिकों को दी गई यातना के प्रमाण भी मिले हैं जिनके आधार पर नरसंहार और बंदी प्रताड़ना के केस तैयार किए जा रहे हैं। हालाँकि रूस ने बूचा में मिली सामूहिक कब्रों और नागरिकों की लाशों की तरह इज़ियुम में मिली सामूहिक कब्रों और यातना के सबूतों को यूक्रेन की साज़िश बता कर निष्पक्ष जाँच कराने की बात की है। 

रूस अंतरराष्ट्रीय मंच पर पश्चिमी देशों से अलग-थलग पड़ गया है। हालाँकि, भारत, चीन सहित कई देशों ने रूस से व्यापार जारी रखा है, लेकिन यह काफ़ी साबित नहीं हो रहा है।

इस युद्ध की वजह से रूस की अर्थव्यवस्था भी काफी ज़्यादा प्रभावित हुई है। अमेरिका और यूरोपीय देश सहित पश्चिमी दुनिया रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाई हुई है और उसने रूस के साथ अधिकतर व्यापार को बंद कर दिया है। 
पुतिन के पारंपरिक मित्रों- चीन, भारत और तुर्की को इस लड़ाई के शुरू होने के साथ ही उस महँगाई की चिंता भी है जो युद्ध के कारण बढ़ी है।

आसमान छूती तेल, गैस, कोयला, खाद्यान्न और उर्वरकों की कीमतों की वजह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति डावाँडोल है। रूस ने रियायती दरों पर तेल, गैस और उर्वरक बेच कर चीन, भारत और तुर्की जैसे मित्र देशों को थोड़ी राहत देने की कोशिशें की है। लेकिन यह तो वही बात हो गई कि पहले तमाचा मारो और फिर उस घाव को सहलाकर दिलासा दो। क्या इससे इन देशों में महंगाई कम हुई?

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क्या बातचीत होगी?

बहरहाल, पुतिन ने कहा है, 'सभी संघर्ष किसी न किसी तरह बातचीत से ख़त्म होते हैं... हमारे विरोधी (कीव में) जितनी तेजी से इसे समझेंगे, उतना ही बेहतर होगा।'

मास्को में अधिकारियों ने हाल के महीनों में बार-बार कहा है कि उन्होंने यूक्रेन के साथ बातचीत से इंकार नहीं किया है। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पर राजनयिक चैनलों को बंद करने का आरोप लगाया। बता दें कि ज़ेलेंस्की ने कहा है कि पुतिन के सत्ता में रहने के दौरान वह बातचीत नहीं करेंगे। अक्टूबर महीने में ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साफ़ तौर पर कह दिया था कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ तब तक कोई बातचीत नहीं करेंगे, जब तक कि यूक्रेनी क्षेत्रों का वापस विलय यूक्रेन में नहीं हो जाता या वो इलाके यूक्रेन को वापस नहीं सौंपे जाते।

ज़ेलेंस्की वाशिंगटन की एक ऐतिहासिक यात्रा से लौटे हैं, जहाँ उन्होंने कांग्रेस को बताया है कि उनका देश 'जीवित और सक्रिय' है और इसका समर्थन करना वैश्विक सुरक्षा में एक निवेश है।

वाशिंगटन में बुधवार को उनका एक नायक के रूप में स्वागत किया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को पहली बार पैट्रियट मिसाइल रक्षा प्रणाली सहित लगभग 1.8 बिलियन डॉलर की सैन्य आपूर्ति की है।

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इस पर पुतिन ने चेतावनी दी है कि यह संघर्ष को और बढ़ा सकता है। एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे इसे व्यर्थ कर रहे हैं। यह सिर्फ संघर्ष को लंबा खींच रहा है, बस इतना ही है।'

पुतिन की सभी प्रतिक्रियाएँ पिछले दो-तीन दिनों में आई हैं। यानी एक तरफ़ तो वह चेता रहे हैं कि यूक्रेन को बाहर से मिलने वाले किसी भी सहयोग से संघर्ष और बढ़ सकता है तो वह युद्ध को जल्द ख़त्म करने की बात भी कह रहे हैं। युद्ध ख़त्म होगा या नहीं, इस सवाल का जवाब इस सवाल के जवाब से भी मिल सकता है कि क्या युद्ध से आगे होने वाले नुक़सान को रूस आगे भी सहता रह सकता है?

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क़मर वहीद नक़वी
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