अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद सऊदी अरब की लंबी चुप्पी बेहद रहस्यमय और विस्मयकारी है। यह वही सऊदी अरब है, जिसके पैसे से चलने वाले मदरसों से निकले हुए छात्रों ने बहावी इसलाम को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया और खुद को तालिबान (छात्र) घोषित कर दिया।
जिस तालिबान को पाला-पोसा, उसी की जीत पर क्यों चुप है सऊदी अरब?
- दुनिया
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- 26 Aug, 2021

तालिबान जिस बहावी इसलाम की स्थापना के लिए आन्दोलन चलाने का दावा करता है जो सऊदी अरब के पैसे से फला फूला, अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर उसके काबिज़ होने के बाद सऊदी अरब चुप क्यों है?
सऊदी अरब, उसका पैसा और इसलाम की उसकी व्याख्या जिस तालिबान आन्दोलन का मूल है, वह सऊदी अरब ही तालिबान से किनारा किए हुए है, चुप है। उसका बयान बेहद औपचारिक है। उसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं है।
रियाद ने अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण स्थापित होने के बाद से सिर्फ इतना कहा है कि लोगों के जान-माल की रक्षा की जानी चाहिए और यह भी कि वह अफ़ग़ानिस्तान की जनता की इच्छाओं का सम्मान करता है। बस। लेकिन क्यों?