इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस महीने के अंत में 29 दिसंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने जा रहे हैं। वो ईरान के बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के विस्तार और इस खतरे से निपटने के लिए हमले की ज़रूरत के बारे में ब्रीफिंग देने वाले हैं। शनिवार को एनबीसी न्यूज ने सूत्रों का हवाला देते हुए यह रिपोर्ट दी है। यानी इसराइल फिर से ईरान पर हमले की योजना बना रहा है। वो ईरान के बैलेस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से घबरा गया है। ईरान का बैलेस्टिक मिसाइल प्रोग्राम अपने पुरानी रफ्तार पर लौट आया है। पिछले युद्ध में इसराइल को ईरान की बैलेस्टिक मिसाइलों से काफी नुकसान पहुंचा था। ईरान की बैलेस्टिक मिसाइलों ने ईरान के आयरन डोम की सारी कहानियों को ध्वस्त कर दिया था।

एनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इसराइली अधिकारियों में बढ़ती चिंता है कि ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ा रहा है। नेतन्याहू इस मुद्दे को ट्रंप के ध्यान में लाना चाह रहे हैं, ताकि ईरान पर फिर से हमला किया जा सके। रिपोर्ट में योजनाओं की सीधी जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति और योजनाओं के बारे में ब्रीफिंग प्राप्त चार पूर्व अमेरिकी अधिकारियों का हवाला दिया गया है। एनबीसी (नेशनल ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन) अमेरिका का प्रतिष्ठित न्यूज चैनल है।

यह घटनाक्रम इस साल की शुरुआत में ईरान और इसराइल के बीच लगभग दो सप्ताह तक चले युद्ध के कुछ महीनों बाद सामने आया है। उस युद्ध के दौरान, इसराइल ने कथित तौर पर ईरान के बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, ईरान की बैलेस्टिक मिसाइलें इसराइल की एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम (जैसे आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एरो) के खिलाफ काफी प्रभावी साबित हुईं। कई ईरानी बैलेस्टिक मिसाइलें इसराइली सुरक्षा को भेदकर इसराइली शहरों, सैन्य ठिकानों और बुनियादी ढांचे पर गिरीं, जिससे नागरिक क्षेत्रों में नुकसान हुआ और लोग हताहत हुए। ईरान ने सैकड़ों मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ प्रतिशत ही लक्ष्य पर पहुंचीं, लेकिन उन्होंने इसराइल की रक्षा की सीमाओं को उजागर कर दिया और महत्वपूर्ण क्षति पहुंचाई।

एनबीसी रिपोर्ट में सूत्रों को कोट करते हुए यह भी कहा गया कि इसराइली अधिकारी चिंतित हैं कि ईरान अपनी उन परमाणु साइटों का पुनर्निर्माण कर रहा है, जिन्हें जून में इसराइल-ईरान युद्ध के दौरान अमेरिका ने बमबारी करके नष्ट कर दिया था।

हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इसराइली अधिकारियों के लिए अधिक तात्कालिक चिंता ईरान के कथित प्रयास हैं कि वह अपनी क्षतिग्रस्त बैलेस्टिक मिसाइल उत्पादन सुविधाओं का पुनर्निर्माण कर रहा है और अपनी क्षतिग्रस्त वायु रक्षा प्रणालियों की मरम्मत कर रहा है। वर्तमान में, ईरान अपने मिसाइल कार्यक्रम को तेजी से बहाल करने में लगा हुआ है, और रिपोर्ट्स के अनुसार उसने अपने मिसाइल भंडार को युद्ध पूर्व स्तर पर पहुंचा दिया है। यानी ईरान-इसराइल युद्ध से पहले ईरान में बैलेस्टिक मिसाइलों का जो प्रोडक्शन जारी था, अब वो फिर से हो रहा है।


ईरान का बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम क्या है

ईरान के पास मध्य पूर्व में सबसे बड़ा और सबसे विविध बैलेस्टिक मिसाइल भंडार है, जिसमें 2025 तक अनुमानित 3,000 से अधिक मिसाइलें शामिल हैं। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) एयरोस्पेस फोर्स द्वारा संचालित होता है और इसराइल तथा अमेरिका जैसे क्षेत्रीय दुश्मनों के खिलाफ एक बड़े डिफेंस के रूप में काम करता है। इसमें शॉर्ट-रेंज (SRBM, 300-1,000 किमी) और मीडियम-रेंज बैलेस्टिक मिसाइलें (MRBM, 1,000-3,000 किमी) शामिल हैं, जिनमें से कई परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम हैं। ईरान ने सटीकता, गतिशीलता (रोड-मोबाइल लॉन्चर) और भूमिगत सुविधाएं में सुधार किया है। कई मिसाइलें सॉलिड फ्यूल वाली हैं, जो तेज लॉन्च हो सकती हैं। ईरान ने 2,000 किमी की रेंज तक सीमित रखने वाली मिसाइलें बनाने का दावा किया है, लेकिन कुछ वैरिएंट हल्के पेलोड के साथ आगे तक पहुंच सकते हैं।

फतह-2 हाइपरसोनिक मिसाइल

ईरान के पास प्रमुख मिसाइलों में शामिल हैं: फतह-110 फैमिली (SRBM, ~300 किमी रेंज, उच्च सटीकता), शहाब-3/गद्र/एमाद (MRBM, 1,300-2,000 किमी), सेज्जिल (दो-स्टेज सॉलिड-फ्यूल, ~2,000-2,500 किमी), और खैबर शेकन/हज कासेम (सॉलिड-फ्यूल, ~1,400 किमी, प्रिसिजन-गाइडेड)। विशेष रूप से, फतह-2 हाइपरसोनिक मिसाइल ईरान की एडवांस तकनीक का प्रतीक है। यह फतह-1 का अपग्रेडेड संस्करण है, जिसमें हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) वारहेड है, जो मिड-कोर्स मैन्यूवरिंग की क्षमता रखता है। इसकी रेंज लगभग 1,400 किमी है, लंबाई - 12 मीटर, वजन 3,500-4,100 किग्रा, और यह MACH 13-15 तक की गति प्राप्त कर सकती है। फतह-2 वायुमंडल के अंदर और बाहर मैन्यूवर कर सकती है, जिससे यह मिसाइल रक्षा प्रणालियों को चकमा देने में सक्षम होती है। ईरान का दावा है कि यह आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है। 

जून के ईरान-इसराइल युद्ध में क्या हुआ था

जून 2025 के 12-दिवसीय युद्ध में ईरान ने- 530 बैलेस्टिक मिसाइलें और 1,000 से अधिक ड्रोन इसराइल पर दागे। इसराइल की मल्टी-लेयर्ड डिफेंस (आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग, एरो) और अमेरिकी सहायता के बावजूद, कुछ मिसाइलें भेदने में सफल रहीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 500 मिसाइलों में से 6% रिहायशी इलाकों में गिरीं, जिससे हताहत (IDF आंकड़ों के अनुसार 28 मारे गए, हजारों घायल) और नुकसान हुआ। ईरानी मिसाइलों ने छोटे बैराज में इसराइली इंटरसेप्शन की कमज़ोरियों को उजागर किया। फतह-2 जैसी एडवांस मिसाइलों ने विशेष रूप से इसराइली एरो सिस्टम को चुनौती दी, कुछ मामलों में उन्हें सफलतापूर्वक भेदा । 

अमेरिका के दखल के बाद युद्ध रुक गया। इसके बाद ईरान ने तेजी से पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी, चीन से पूर्ववर्ती सामग्री आयात करते हुए प्रतिबंधों के बावजूद वो तैयारी में जुट गया। दिसंबर 2025 तक, ईरान ने अपने मीडियम-रेंज ("हैवी") मिसाइल स्टॉक को 2,000 तक बहाल कर लिया है, फैक्टरियां चौबीसों घंटे चल रही हैं। लक्ष्य है 2,000 मिसाइलों की एक साथ सैल्वो क्षमता विकसित करना, ताकि डिफेंस को सैचुरेट किया जा सके। फतह-2 का इस्तेमाल और विकास ईरान की रणनीति का केंद्र है।