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ईरानी छात्र यूनिवर्सिटी में पुलिस प्रवेश रोकने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हुए।

ईरान में तीन दिनों की हड़ताल, हालात का असर भारत के निर्यात पर

ईरान में मॉरल (नैतिक) पुलिस खत्म किए जाने की खबरों के बीच वहां के प्रदर्शनकारियों ने देश में तीन दिन के हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल आज सोमवार से शुरू हो चुकी है। ईरान के अटॉर्नी जनरल ने कल रविवार को मॉरल पुलिस को खत्म किए जाने और हिजाब कानून पर विचार करने की घोषणा की थी। 

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सोशल मीडिया पोस्ट और शार्ग जैसे स्थानीय समाचार पत्र के हवाले से बताया है कि अटॉर्नी जनरल के बयान के बाद, ईरान की सड़कों पर नैतिकता पुलिस की मौजूदगी बहुत कम हो गई है। हड़ताल का असर कुछ शहरों में दिख रहा है। छोटे शहरों में दुकानें और अन्य संस्थान बंद नजर आ रहे हैं।  
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द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी बुधवार को तेहरान के आज़ादी स्क्वायर पर एक रैली करने जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्तों में लगातार हड़ताल और जनता की लामबंदी के आह्वान बढ़ रहे हैं।

ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता समाचार एजेंसी का दावा है कि शनिवार तक 64 नाबालिगों सहित 470 प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं। एजेंसी ने गिरफ्तार लोगों की संख्या 18,210 और सुरक्षाकर्मियों की मौत की संख्या 61 बताई है। हालांकि, आंतरिक मंत्रालय का दावा है कि मरने वालों की संख्या 200 है।
रॉयटर्स के अनुसार अटार्नी जनरल मोहम्मद जाफर मोंतेजरी ने नैतिकता पुलिस को भंग करने के बारे में बयान दिया था। हालांकि, आंतरिक मंत्रालय ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। नैतिक पुलिस इसी मंत्रालय के तहत आती है। शनिवार को ईरानी अधिकारियों ने कहा था कि वे उस कानून की समीक्षा करेंगे जिसमें सभी महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपना सिर ढकने की जरूरत होती है।
ईरान में 22 साल की महसा अमीनी की मौत के लिए नैतिक पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया था। अमीनी को हिजाब पहनने के अनिवार्य नियम का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। जबकि अधिकारियों का दावा है कि 16 सितंबर को दिल का दौरा पड़ने से महसा की मौत हो गई थी। प्रदर्शनकारियों का मानना ​​​​है कि गिरफ्तारी के बाद महसा अमीनी को प्रताड़ित किया गया, उसी दौरान उसकी मौत हुई। अमीनी की मौत के बाद पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। 
भारत के निर्यात पर असरः इस बीच ईरान ने पिछले हफ्ते से भारत से चाय और बासमती चावल के आयात के लिए नए कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करना पूरी तरह बंद कर दिया है। हालांकि इस अचानक रोक की कोई वजह ईरानी खरीदारों की ने नहीं बताई है। लेकिन भारतीय निर्यातकों का मानना ​​है कि ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन की वजह से दुकानें, होटल और बाजार बंद हैं। इसलिए तमाम चीजों की खपत भी कम हो गई है।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक ईरान के हालात का सीधा असर भारतीय चाय और बासमती के निर्यात पर पड़ा है। भारतीय निर्यातकों ने बताया कि एक साल में भारत से लगभग 30-35 मिलियन किलोग्राम चाय और लगभग 1.5 मिलियन किलोग्राम बासमती चावल ईरान आयात करता है। भारतीय निर्यातकों ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भी उनके निर्यात पर असर पड़ा है।
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क़मर वहीद नक़वी
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