चीन खनिज संपदा के बदले निवेश करने की बातें कर रहा है। इसीलिए इसलाम की सबसे ख़ालिस हुकूमत को इसलाम का सबसे बड़ा दुश्मन भी सबसे बड़ा दोस्त नज़र आने लगा है। क्योंकि यदि इतिहास के पन्ने पलटें तो मजहबों, ख़ासकर इसलाम का सोवियत रूस और माओवादी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमतों से बड़ा दुश्मन न आज तक हुआ है और न शायद होगा।
यानी फ़िलहाल की लड़ाई इसलाम और पश्चिम की संस्कृतियों की लड़ाई नहीं थी बल्कि इसलाम के भीतर ही बिगड़े या भटके हुए और ख़ालिस इसलामियों के बीच सत्ता की लड़ाई थी।