थाईलैंड के प्रियाह विहार मंदिर पर कब्जे को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर तनाव बढ़ गया। सैन्य झड़पों में कई लोगों की मौत हो चुकी है। हज़ारों लोगों को सीमा से निकाला गया। यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट में पहले से ही विचाराधीन है।
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर शिव मंदिर के लिए लंबे समय से चला आ रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार भी विवाद का केंद्र प्राचीन हिंदू मंदिर परिसर, विशेष रूप से प्रियाह विहार और प्रसात ता मुएन थॉम मंदिर हैं, जो दांग्रेक पर्वतमाला (Dangrek mountains) में स्थित हैं। यह विवाद 9वीं से 11वीं सदी में खमेर साम्राज्य द्वारा निर्मित शिव मंदिरों के स्वामित्व और आसपास की जमीन को लेकर है। दोनों देशों के बीच तनाव खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। जिसमें ड्रोन, सैन्य झड़पें, तोपों से गोलाबारी और हवाई हमले शामिल हैं। पूरी तरह युद्ध के हालात हैं।
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद की जड़ें औपनिवेशिक युग में हैं। 1904 में फ्रांस और सियाम (आधुनिक थाईलैंड) के बीच हुए समझौते में दांग्रेक पर्वत की वाटरशेड लाइन को सीमा के रूप में माना गया था। हालांकि, 1907 में फ्रांसीसी सर्वेक्षकों द्वारा बनाए गए नक्शे ने इस रेखा से हटते हुए प्रियाह विहार मंदिर को कंबोडिया के क्षेत्र में दिखाया। थाईलैंड ने इस नक्शे को स्वीकार नहीं किया, लेकिन कई दशकों तक कोई औपचारिक आपत्ति दर्ज नहीं की।
1959 में कंबोडिया इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में ले जाया। 1962 में ICJ ने 9-3 के फैसले में प्रियाह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा घोषित किया। उसने कहा कि थाईलैंड ने 1907 के नक्शे को पहले स्वीकार किया था। हालांकि, आसपास की 4.6 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं हुआ। 2013 में ICJ ने स्पष्ट किया कि मंदिर के साथ-साथ उसके आसपास का क्षेत्र भी कंबोडिया का है और थाईलैंड को वहां से अपनी सेना हटानी होगी।
2008 में कंबोडिया द्वारा प्रियाह विहार को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित करने की कोशिश ने तनाव को और बढ़ाया। थाईलैंड ने दावा किया कि इस नामांकन में आसपास की विवादित भूमि को भी शामिल किया गया है, जिसे वह अपना मानता है। इसके परिणामस्वरूप 2008-2011 के बीच सैन्य झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 34 लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए।
हाल के घटनाक्रम
2025 में यह विवाद फिर से भड़क उठा, विशेष रूप से प्रसात ता मुएन थॉम मंदिर के आसपास, जो प्रियाह विहार से लगभग 140 किलोमीटर पश्चिम में है। इस मंदिर को भी खमेर साम्राज्य ने 9वीं से 11वीं सदी में बनाया था और यह भगवान शिव को समर्पित है। हाल के प्रमुख घटनाक्रम इस प्रकार हैं:
फरवरी 2025 में तनाव की शुरुआत: फरवरी में कंबोडियाई सैनिकों और उनके परिवारों ने प्रसात मुएन थॉम मंदिर में कंबोडियाई राष्ट्रगान गाया, जिसे थाई सैनिकों ने कंबोडिया की संप्रभुता का दावा मानकर इसका विरोध किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसने दोनों देशों में राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़काया।
मई 2025 में सैन्य झड़प: 28 मई को एमराल्ड ट्रायंगल (कंबोडिया, थाईलैंड और लाओस की तीन तरफा सीमा) क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी हुई, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई। कंबोडिया ने दावा किया कि थाई सैनिकों ने "बेवजह घुसपैठ" की, जबकि थाईलैंड ने इसे आत्मरक्षा बताया।
जून 2025 में ICJ में अपील: कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेट ने 1 जून को घोषणा की थी कि कंबोडिया मुएन थॉम, ता मुएन तोच, और ता क्रा बेई मंदिरों के आसपास के विवादित क्षेत्रों के स्वामित्व को तय करने के लिए ICJ में अपील करेगा। उन्होंने कहा कि यदि थाईलैंड इस अपील में शामिल नहीं होता, तब भी कंबोडिया अकेले मामला दायर करेगा।
जुलाई 2025 में हिंसक टकराव: 24 जुलाई को दोनों देशों के बीच भारी गोलीबारी, रॉकेट हमले, और हवाई हमले हुए। थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर कंबोडियाई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इस टकराव में कम से कम दो नागरिकों की मौत हुई और नौ अन्य घायल हुए। कंबोडिया ने दावा किया कि थाईलैंड ने पहले हमला किया, जबकि थाईलैंड ने इसे जवाबी कार्रवाई बताया।
राजनयिक और आर्थिक तनाव: कंबोडिया ने थाई फिल्मों और टीवी शो पर प्रतिबंध लगाने और थाईलैंड से बिजली और इंटरनेट सेवाओं का बहिष्कार करने की घोषणा की। जवाब में, थाईलैंड ने सात सीमा प्रांतों में सीमा को लगभग बंद कर दिया, जिससे पॉइपेट जैसे व्यस्त सीमा क्षेत्र में स्थानीय व्यवसायों और टुक-टुक चालकों को भारी नुकसान हुआ।
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने शांति और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता जताई, लेकिन कहा कि कंबोडिया अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए सैन्य बल सहित सभी साधनों का उपयोग करेगा। उन्होंने ICJ में अपील को "विवाद को हमेशा के लिए खत्म करने" का प्रयास बताया। पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन, जो अब सीनेट अध्यक्ष हैं, ने भी सैन्य जवाब की वकालत की है।
थाईलैंड की प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनेवात्रा ने शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की, लेकिन सैन्य दबाव और राष्ट्रवादी भावनाओं के बीच उनकी स्थिति कमजोर दिख रही है। थाई विदेश मंत्रालय ने ICJ के हस्तक्षेप को खारिज करते हुए द्विपक्षीय वार्ता पर जोर दिया। थाई सेना ने "उच्चस्तरीय यानी बड़े ऑपरेशन" की चेतावनी दी है।
दोनों देशों में राष्ट्रवादी समूहों ने तनाव को और भड़काया है। थाईलैंड में शिनेवात्रा सरकार पर "राष्ट्रीय हितों को बेचने" का आरोप लग रहा है, जबकि कंबोडिया में हुन सेन के नेतृत्व में राष्ट्रवादी बयानबाजी बढ़ रही है।
कंबोडिया और थाईलैंड के बीच प्रियाह विहार और मुएन थॉम जैसे प्राचीन मंदिरों को लेकर विवाद ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी भावनाओं का उभार है। 24 जुलाई 2025 की हिंसक झड़पों ने दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। कंबोडिया का ICJ में अपील करने का फैसला और थाईलैंड की द्विपक्षीय वार्ता की मांग इस विवाद को जटिल बना रही है। स्थानीय निवासियों की शांति की अपील के बावजूद, राष्ट्रवादी उन्माद और सैन्य तैनाती से स्थिति नाजुक बनी हुई है। यदि दोनों देश शांति और कूटनीति को प्राथमिकता नहीं देते, तो यह विवाद क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।