Trump EU tariffs: राष्ट्रपति ट्रंप एक तरफ तो पीएम मोदी से दोस्ती का हाथ फिर से बढ़ा रहे हैं। कारोबार की बातें कर रहे हैं। दूसरी तरफ वो यूरोपीय संघ से भारत और चीन पर रूस से तेल खरीदने की वजह से 100% टैरिफ लगाने को कह रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ (ईयू) से भारत और चीन पर 100 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने का आग्रह किया है। यह मांग रूस के तेल खरीद को लेकर मॉस्को पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है। यह मांग यूक्रेन युद्ध जल्द से जल्द खत्म कराने के नाम पर की गई है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने वाशिंगटन में अमेरिकी और ईयू अधिकारियों की बैठक में वर्चुअल भाग लेते हुए यह प्रस्ताव रखा।
ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, "राष्ट्रपति का मानना है कि स्पष्ट रणनीति यह है कि हम सभी नाटकीय टैरिफ लगाएं और इन्हें तब तक बनाए रखें जब तक चीन रूसी तेल खरीदना बंद न कर दे। तेल के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं।" एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ईयू द्वारा लगाए गए किसी भी टैरिफ को 'मिरर' करने को तैयार है, यानी भारत और चीन के आयात पर समान स्तर के शुल्क लगाएगा। यह कदम व्हाइट हाउस की उस निराशा को बताता है, जो यूक्रेन-रूस शांति बातचीत का कोई नतीजा न निकलने से सामने आया है।
भारत और चीन रूस के प्रमुख तेल खरीदार हैं, जो मॉस्को की अर्थव्यवस्था को युद्ध के दौरान सहारा दे रहे हैं। यूक्रेन के हवाई हमलों में तेजी के बीच ट्रंप ने रूस को बातचीत की मेज पर लाने के लिए आर्थिक हथियारों का इस्तेमाल तेज करने का संकेत दिया है। यूक्रेन के प्रधानमंत्री भी इस बैठक में शामिल हुए थे।
पिछले महीनों में ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीद के लिए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया। भारत ने इसे 'अनुचित और असंगत' बताते हुए पश्चिमी देशों की दोहरी नीति पर सवाल उठाए हैं। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा था कि यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत में अमेरिका ने ही भारत को रूसी ऊर्जा आयात को प्रोत्साहित किया था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रहे। चीन, जो रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है, पर अभी तक अमेरिका ने समान सख्ती नहीं दिखाई है। वहां शुल्क 30 प्रतिशत पर सीमित हैं।
ईयू ने अब तक रूस को अलग-थलग करने के लिए प्रत्यक्ष प्रतिबंधों पर जोर दिया है, न कि टैरिफ पर। कई यूरोपीय देशों के चीन और भारत के साथ गहरे व्यापारिक संबंध हैं, इसलिए इस प्रस्ताव पर सतर्कता बरती जा रही है। ट्रंप ने मंगलवार को ही सोशल मीडिया पर भारत के साथ ट्रेड डील को पॉजिटिव बताया था, लेकिन उनका यह नया कदम तनाव बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईयू इस पर सहमत होता है, तो वैश्विक व्यापार पर गहरा असर पड़ेगा। भारत-रूस व्यापार पिछले वर्ष 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो महामारी पूर्व के मुकाबले 5.8 गुना अधिक है। ट्रंप की यह रणनीति यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के उनके दावे 'कुछ घंटों में' को साकार करने का प्रयास लगता है, लेकिन भारत और चीन की प्रतिक्रिया का इंतजार है।