आख़िर अमेरिका में वह हो गया जिसकी आशंका लंबे समय से जताई जा रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप जिन शक्तियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उन शक्तियों ने अपना असली, क्रूर और विभत्स चेहरा दिखा दिया। ट्रंप समर्थकों ने अमेरिकी कांग्रेस पर ही हमला बोल दिया। यह तब हुआ जब संसद जो बाइडन के राष्ट्रपति होने की औपचारिकता पूरी करने के लिये बैठी थी। ख़बर लिखे जाने तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, सैकड़ों घायल हैं। तक़रीबन सौ लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है और अमेरिका में इस बारे में चर्चा चल रही है कि ट्रंप को अपना कार्यकाल पूरा होने के पहले ही महाभियोग लगा कर हटा दिया जाए। 
अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। पिछले दो सौ साल में हारने वाले नेताओं ने आपत्तियाँ हज़ारों की हों, अदालत का दरवाज़ा खटखटाया हो लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि कुर्सी पर बैठा हुआ राष्ट्रपति चुनावी प्रक्रिया को लगातार डिस्क्रेडिट करे और यह मानने को तैयार न हो कि वह हार गया है। और जब सारे दरवाज़े बंद हो जाएँ तो अपने समर्थकों को संसद पर ही हमले के लिए उकसाए।