अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के बीच ट्रंप सरकार ने स्मार्टफोन, लैपटॉप और सेमीकंडक्टर चिप्स को टैरिफ़ से छूट दी है। आखिर क्यों? क्या यह अमेरिकी टेक कंपनियों को राहत देने की रणनीति है?
डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से चौंकाया है! स्मार्टफोन, लैपटॉप और चिप्स को भारी-भरकम 145% टैरिफ़ से छूट देकर उन्होंने वैश्विक व्यापार युद्ध में नया मोड़ ला दिया। यह छूट तकनीकी दिग्गजों और उपभोक्ताओं के लिए राहत की साँस जैसी है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह ट्रंप का मास्टरस्ट्रोक है या सियासी दबाव में लिया गया फ़ैसला? यह भारत और विश्व अर्थव्यवस्था के लिए क्या मायने रखता है?
दरअसल, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा ने साफ़ किया है कि स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर चिप्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर 145% की भारी-भरकम टैरिफ़ दर लागू नहीं होगी, जो विशेष रूप से चीन से आयातित कुछ सामान पर लगाई गई थी। इस क़दम ने ऐपल, सैमसंग और एनवीडिया जैसी वैश्विक तकनीकी कंपनियों को राहत दी है। अब उपभोक्ताओं के लिए क़ीमतों के स्थिर रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
ट्रंप ने हाल ही में वैश्विक व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी टैरिफ़ की घोषणा की थी। इसके तहत सभी देशों पर 10% और चीन पर 125% तक टैरिफ़ लगाने की बात कही गई थी। इस नीति का उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना था। हालाँकि, इन टैरिफ़ ने वैश्विक व्यापार युद्ध को तेज कर दिया, खासकर अमेरिका और चीन के बीच। चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी सामानों पर 125% टैरिफ़ लगा दिया, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ गया। जब चीन ने भी 125% तक टैरिफ़ को बढ़ाने की घोषणा कर दी तो अमेरिका ने कुछ सामानों पर 145% तक इसको बढ़ा दिया था।
इस बीच, ट्रंप ने 90 दिनों के लिए अधिकांश देशों पर टैरिफ को स्थगित कर दिया, लेकिन चीन पर टैरिफ़ को और सख़्त कर दिया। अब स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप और चिप्स को छूट देने का फ़ैसला इस नीति में एक अप्रत्याशित मोड़ है, जिसे तकनीकी उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन ने स्मार्टफोन, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव, प्रोसेसर, मेमोरी चिप्स और सेमीकंडक्टर बनाने वाली मशीनों को टैरिफ से मुक्त करने का फ़ैसला इसलिए लिया, क्योंकि ये उत्पाद ज़्यादातर अमेरिका में निर्मित नहीं होते। इन पर भारी टैरिफ़ लगाने से उपभोक्ता कीमतें आसमान छू सकती थीं। इसका असर अमेरिकी जनता और तकनीकी कंपनियों पर पड़ता। यूबीएस बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगर चीन से आयातित ऐपल के iPhone 16 Pro Max पर 145% टैरिफ लागू होता है, तो इसकी कीमत $1,199 से बढ़कर $2,000 तक हो सकती थी।
इस छूट से ऐपल, सैमसंग, एनवीडिया और ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जैसी कंपनियों को बड़ा लाभ होगा। ये कंपनियाँ वैश्विक सप्लाई चेन पर निर्भर हैं, और टैरिफ से उनकी लागत में भारी बढ़ोतरी हो सकती थी। इसके अलावा, यह कदम अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी राहत भरा है।
स्मार्टफोन और लैपटॉप की कीमतें बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ता, खासकर तब जब ये उत्पाद उनकी दैनिक जरूरतों का हिस्सा हैं। इस छूट से महँगाई पर कुछ हद तक नियंत्रण रहेगा, जो ट्रंप प्रशासन के लिए एक सियासी फायदा भी हो सकता है।
ऐपल और सैमसंग जैसी कंपनियाँ, जो चीन और अन्य एशियाई देशों में अपने उत्पाद बनाती हैं, अब बिना अतिरिक्त लागत के अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगी। इसके अलावा, सेमीकंडक्टर उद्योग भी इस छूट से मज़बूत होगा।
यह निर्णय वैश्विक सप्लाई चेन को कुछ हद तक स्थिर करेगा। चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ़ नहीं लगने से उत्पादन और वितरण की प्रक्रिया बिना किसी बड़े व्यवधान के जारी रह सकेगी।
भारत के मामले में यह निर्णय अहम है, क्योंकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी से उभर रहा है। हाल ही में ऐपल ने भारत से 600 टन iPhone अमेरिका भेजे, ताकि चीन पर लगे टैरिफ़ से बचा जा सके। ट्रंप की इस छूट से भारत को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ हो सकता है, क्योंकि कंपनियाँ अब भारत जैसे वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग सेंटर पर और निवेश कर सकती हैं।
हालांकि, भारत पर ट्रंप के 10% आधारभूत टैरिफ अभी लागू हैं, लेकिन 90 दिनों की छूट अवधि के दौरान भारत व्यापार समझौते को तेज करने की कोशिश कर रहा है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं करेगा, लेकिन वह अमेरिका के साथ आपसी संवेदनशीलता के आधार पर व्यापार बढ़ाने को तैयार है।
ट्रंप प्रशासन का यह ताज़ा फैसला उनकी टैरिफ़ नीति में एक रणनीतिक बदलाव को दिखाता है। एक तरफ़, वे चीन पर दबाव बनाए रखना चाहते हैं तो दूसरी तरफ़, स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसी ज़रूरी चीजों को छूट देकर वे अमेरिकी उपभोक्ताओं और तकनीकी उद्योग को नाराज करने से बच रहे हैं। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह छूट स्थायी होगी या केवल अस्थायी राहत है।
ट्रंप प्रशासन का स्मार्टफोन, लैपटॉप और चिप्स को जवाबी टैरिफ़ से छूट देना एक रणनीतिक क़दम है। यह उपभोक्ताओं और तकनीकी उद्योग को राहत देता है। यह निर्णय वैश्विक सप्लाई चेन को स्थिर रखने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर तत्काल दबाव कम करने की कोशिश है। भारत जैसे देशों के लिए यह विनिर्माण और व्यापार के नए अवसर खोल सकता है, लेकिन टैरिफ़ युद्ध की अनिश्चितता बनी रहेगी। क्या यह छूट ट्रंप की व्यापार नीति में स्थायी बदलाव का संकेत है या केवल एक अस्थायी रणनीति, यह आने वाले महीने तय करेंगे। फ़िलहाल, यह तकनीकी उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक क़दम है, लेकिन वैश्विक व्यापार युद्ध का अंत अभी दूर लगता है।