डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सनसनीखेज चेतावनी दी है! उन्होंने कहा है कि ईरान बिना शर्त आत्मसमर्पण करे। ट्रंप की कड़ी चेतावनी ने मध्य पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। क्या यह पूरी तरह युद्ध की ओर इशारा है, या कूटनीति की नई चाल? 
इसराइल-ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच डोनाल्ड ट्रंप की तेहरान को चेतावनी ने नया मोड़ ला दिया है। यह चेतावनी ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दी है। ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा, 'ईरान के अयातुल्ला अली खामेनेई को बिना शर्त आत्मसमर्पण करना होगा। हमें पता है कि वह कहाँ छिपे हैं।' ट्रंप ने आगे कहा, 'हमारी धैर्य की सीमा ख़त्म हो रही है। यह अंतिम चेतावनी है।' उनकी इस पोस्ट में न तो कोई समझौते की बात थी और न ही कूटनीतिक चर्चा का जिक्र। इससे संकेत मिलता है कि क्या यह भयंकर युद्ध की ओर एक क़दम है।
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इसके अलावा ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि वह फिलहाल खामेनेई को निशाना नहीं बनाएंगे, लेकिन यह स्थिति बदल सकती है। ट्रुथ सोशल पर कई धमकी भरे पोस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि फिलहाल वह ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनी को खत्म करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका हत्या कर सकता है, लेकिन ऐसा करने से बच रहा है।

उन्होंने ऐसा न करने का एकमात्र कारण अमेरिकी नागरिकों और सैनिकों के खिलाफ किसी भी जवाबी कार्रवाई से बचना बताया। उन्होंने कहा, "हमें ठीक-ठीक पता है कि तथाकथित 'सर्वोच्च नेता' कहां छिपा हुआ है। वह एक आसान निशाना है, लेकिन वहां सुरक्षित है- हम उसे खत्म (हत्या!) नहीं करने जा रहे, कम से कम अभी तो नहीं।' उन्होंने आगे कहा, "लेकिन हम नहीं चाहते कि नागरिकों या अमेरिकी सैनिकों पर मिसाइलें दागी जाएं। हमारा धैर्य अब जवाब दे रहा है।" इसके बाद उन्होंने पूरी तरह बड़े अक्षरों में पोस्ट किया- "बिना शर्त आत्मसमर्पण!"

राष्ट्रपति की ये पोस्ट तब आई हैं, जब उन्होंने ईरान के 95 लाख निवासियों को खाली करने को कहा था और जी7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़ दिया था।

यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब इसराइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। इसराइल ने ईरान पर लगातार पांच दिनों तक हमले किए, जिससे ईरान को काफी नुकसान हुआ है। हाल में इसराइल ने ईरान के परमाणु सुविधाओं और सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं। इसके जवाब में ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी। ट्रंप की यह पोस्ट इस बात का संकेत देती है कि अमेरिका अब इस संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकता है। 

हाल में ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। 2018 में उन्होंने इस समझौते से अमेरिका को बाहर कर लिया था। इसके बाद से ईरान और अमेरिका के बीच संबंध और बिगड़ गए। हाल ही में ट्रंप ने कहा था कि अगर ईरान परमाणु समझौते की मेज पर नहीं आता तो अमेरिका ऐसी बमबारी करेगा जैसी पहले कभी नहीं देखी गई। 
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बता दें कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। ईरान के सहयोगी रूस और चीन ने इसराइली हमले की निंदा की है। यूरोपीय संघ ने भी इस स्थिति पर चिंता जताई है और कहा कि वह मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता करने को तैयार है। इसराइली प्रधानमंत्री ने कहा है कि हम अपने सहयोगी अमेरिका के साथ मिलकर क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए काम कर रहे हैं।

ईरान ने अभी तक ट्रंप की इस चेतावनी पर आधिकारिक रूप से कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, ईरानी सैन्य अधिकारियों ने पहले कहा था कि वे किसी भी बाहरी हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगे। 

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने हाल ही में एक बयान में कहा था, 'हम अपने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी कीमत पर तैयार हैं।'

जानकारों का मानना है कि ट्रंप की यह चेतावनी एक रणनीतिक कदम हो सकता है जिसका मक़सद ईरान पर दबाव बनाना और उसे कूटनीतिक मेज पर लाना है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान युद्ध की ओर एक ख़तरनाक क़दम हो सकता है। 
ट्रंप की इस चेतावनी के बाद सभी की नजरें ईरान की प्रतिक्रिया और अमेरिका की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या यह सिर्फ एक धमकी है, या वास्तव में मध्य पूर्व में एक बड़े सैन्य संघर्ष की शुरुआत? यह सवाल वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि ट्रम्प का यह बयान मध्य पूर्व की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।