यूक्रेन ने भारत सरकार और यूरोपीय संघ (ईयू) के सामने औपचारिक रूप से यह मुद्दा उठाया है कि रूसी सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ईरान में बने ड्रोनों में भारत के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे पाए गए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेनी अधिकारियों ने इस मामले को पिछले साल से कम से कम दो बार भारतीय विदेश मंत्रालय के सामने राजनयिक कम्युनिकेशन के जरिए उठाया है।
यूक्रेनी जांच में पाया गया कि रूस जिन ड्रोनों का इस्तेमाल उसके खिलाफ कर रहा है, उनके कलपुर्जे या तकनीक भारत की है। यूक्रेन ने कहा है कि विषय इंटरटेक्नोलॉजी (Vishay Intertechnology) और बेंगलुरु-मुख्यालय वाली औरा सेमीकंडक्टर (Aura Semiconductor) के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे शाहिद-136 मानवरहित युद्धक ड्रोनों (UCAVs) में इस्तेमाल किए गए हैं। ये ड्रोन, जो अपनी कम लागत के लिए जाने जाते हैं, रूस द्वारा 2022 के अंत से यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमलों के लिए उपयोग किए जा रहे हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से बताया गया कि विषय इंटरटेक्नोलॉजी का एक "ब्रिज रेक्टिफायर E300359", जो भारत में असेंबल किया गया था। ड्रोन के वोल्टेज रेगुलेटर यूनिट में लगाया हुआ। इसके अलावा, औरा सेमीकंडक्टर का एक PLL आधारित सिंग्नल जनरेटर चिप AU5426A ड्रोन के जाम-प्रूफ एंटीना और सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम में पाया गया। यूक्रेन की रक्षा खुफिया एजेंसी (HUR) ने इन भारतीय मूल के पुर्जों की मौजूदगी को अपने आधिकारिक फेसबुक और टेलीग्राम चैनलों पर भी बताया है।

यूक्रेन के आरोप पर भारत का रुख 

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भारत का दोहरे उपयोग (ड्यूल-यूज) वाले सामानों का निर्यात इसके गैर-प्रसार संबंधी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों और मजबूत घरेलू कानूनी ढांचे के अनुरूप है। यह सुनिश्चित करने के लिए उचित सावधानी बरती जाती है कि ऐसे निर्यात हमारे किसी भी कानून का उल्लंघन न करें।"
सूत्रों ने बताया कि तकनीकी रूप से इन कंपनियों ने किसी भी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं किया है, क्योंकि ये पुर्जे दोहरे इस्तेमाल की श्रेणी में आते हैं, जो नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यानी कंपनी ने तो इन्हें लोगों के इस्तेमाल के लिए तैयार किया लेकिन उसका इस्तेमाल फाइटर ड्रोन में किया गया।

पुर्जों का डायवर्जन और भारत की कार्रवाई 

रिपोर्ट्स के अनुसार, ये इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे भारत से पश्चिम एशिया के देशों में वैध रूप से निर्यात किए गए थे। जहां से शायद इन्हें रूस या ईरान की ओर डायवर्ट किया गया। यूक्रेन द्वारा मुद्दा उठाए जाने के बाद, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई में इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे और चिप निर्माताओं के यहां दौरा किया ताकि उन्हें दोहरे उपयोग वाले सामानों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बारे में जागरूक किया जा सके।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, "भारत कड़ाई से प्रतिबंधित सामानों के निर्यात पर रोक लगाता है। हालांकि, एक बार जब ये सामान वैध तीसरे देशों को निर्यात हो जाते हैं, तो उनके अंतिम उपयोग का पता लगाना लगभग असंभव हो जाता है। यह हर खुले अर्थतंत्र के लिए एक चुनौती है।"

यूक्रेन का नजरिया और ग्लोबल संदर्भ  

यूक्रेन ने यह मुद्दा जुलाई में नई दिल्ली में यूरोपीय संघ के दूत डेविड ओ’सुलिवन के दौरे के दौरान भी उठाया था। ओ’सुलिवन ने रूस से संबंधित संस्थाओं, जिसमें भारत के वडिनार रिफाइनरी (जो आंशिक रूप से रूस की रोजनेफ्ट के स्वामित्व में है) के खिलाफ यूरोपीय संघ के नवीनतम प्रतिबंध पैकेज के बारे में भारतीय अधिकारियों को जानकारी दी थी। यूक्रेन की वायु सेना के आंकड़ों के अनुसार, रूस ने जुलाई 2025 में 6,129 शाहेद-प्रकार के ड्रोनों का उपयोग किया। यूक्रेन की रक्षा खुफिया एजेंसी ने यह भी बताया कि रूसी ड्रोनों और अन्य हथियारों में अमेरिका और चीन की कंपनियों के पुर्जे भी पाए गए हैं।

भारतीय कंपनियों की प्रतिक्रिया

विषय इंटरटेक्नोलॉजी, जो एक अमेरिकी चिप निर्माता है, ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए कोई जवाब नहीं दिया। वहीं, औरा सेमीकंडक्टर के सह-संस्थापक किशोर गंती ने कहा कि उनकी कंपनी सभी लागू राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण कानूनों का पूरी तरह से पालन करती है। उन्होंने कहा, "हमें इस संभावना से गहरी चिंता है कि हमारे किसी भी पुर्जे अनधिकृत तीसरे पक्ष के चैनलों के माध्यम से रक्षा निर्माताओं तक पहुंचे हैं। यह हमारे वितरण समझौतों का उल्लंघन है।"