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काबुल धमाकों के बाद अमेरिका का पलटवार, ISIS पर की एयर स्ट्राइक

अमेरिका ने पलटवार करते हुए आतंकवादी संगठन आईएसआईएस पर एयर स्ट्राइक की है। काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाकों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वे इसके दोषियों को चुन-चुनकर मारेंगे। इन बम धमाकों की जिम्मेदारी आईएसआईएस के गुट इसलामिक स्टेट ऑफ़ खोरासान या आईएस (के) ने ली थी। 

अमेरिका ने कहा है कि ड्रोन के जरिये की गई यह स्ट्राइक पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के ननगरहार प्रांत में की गई है और शुरुआती संकेत मिले हैं कि इसमें बम धमाकों के लिए जिम्मेदार शख़्स को मार गिराया गया है। कैप्टन बिल अर्बन ने कहा कि इसमें किसी भी आम नागरिक को नुक़सान नहीं पहुंचा है। 

काबुल एयरपोर्ट के बाहर गुरुवार शाम को कई बम धमाके हुए थे, जिनमें अब तक 170 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 72 अफ़ग़ान नागरिक, 28 तालिबानी और 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल हैं। इसके अलावा 200 लोग घायल भी हुए हैं। 

आईएस देगा जवाब?

इस बीच, तालिबान की ओर से अमेरिकी नागरिकों को अफ़ग़ानिस्तान से निकालने के लिए रखी गई 31 अगस्त की डेडलाइन भी नज़दीक आ रही है। अमेरिका की इस एयर स्ट्राइक के बाद आईएसआईएस भी जवाबी हमला कर सकता है और ऐसे में अमेरिका सभी नागरिकों को 31 अगस्त तक निकाल पाएगा, यह भी बड़ा सवाल है। 

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बाइडन की हुई थी आलोचना

एयरपोर्ट के बाहर हुए धमाकों के बाद जो बाइडन की काफ़ी आलोचना हो रही थी। बाइडन पर आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का दबाव था। बाइडन सामने आए थे और उन्होंने कहा था, “इस हमले को अंजाम देने वालों के साथ-साथ अमेरिका को नुक़सान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को यह पता है कि हम माफ नहीं करेंगे, हम भूलेंगे नहीं। हम आपका शिकार करेंगे और आपको इसका खामियाजा भुगताना होगा।”

अमेरिकी सांसदों का पत्र 

अमेरिका के 68 सांसदों ने भी बाइडन से पूछा था कि वे बताएं कि उनके पास इस बात की क्या योजना है तालिबान पाकिस्तान को अस्थिर कर उससे परमाणु हथियार न हासिल कर ले। बाइडन को लिखे पत्र में सांसदों ने पूछा है कि वे अफ़ग़ानिस्तान को लेकर आगे की योजना के बारे में बताएं। 

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अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी और नैटो देशों की सेनाएं 2001 में आई थीं और बीते दो महीनों में उन्होंने पूरी तरह इस मुल्क़ को छोड़ दिया। हालांकि काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में हजारों अमेरिकी सैनिक तैनात हैं लेकिन अमेरिकी लोगों के वहां से निकलते ही वे भी यहां से चले जाएंगे। 

हाल ही में अल-क़ायदा सहित कई संगठनों के ख़ूंखार आतंकदवादियों को अफ़ग़ानिस्तान की जेलों से रिहा कर दिया गया है, यह भी अमेरिका ही नहीं पूरा दुनिया के लिए सिरदर्द का कारण बन चुका है।

संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़, आईएस (के) के पास 500 से 1,500 लड़ाके हैं और इसने काबुल के आसपास अपनी स्थिति को मजबूत किया है। यह आतंकवादी संगठन उन लड़ाकों को जो तालिबान के अमेरिका के साथ हुए शांति समझौते से नाराज़ हैं, उन्हें भर्ती कर रहा है। इसके अलावा सीरिया, इराक़ से आने वाले लड़ाके भी उसके साथ आ रहे हैं। 

खूंखार है आईएस (के) 

लेकिन बहुत कम लड़ाके होने के बाद भी आईएस (के) बेहद खूंखार है और यह 2021 के शुरुआती चार महीनों में 77 हमले कर चुका है। यह पिछले साल इसी अवधि में किए गए हमलों से तीन ग़ुना ज़्यादा है। मई में इसने काबुल में स्थित शिया लड़कियों के स्कूल पर हमला कर दिया था, इसमें 85 लोगों की मौत हो गई थी और 300 घायल हो गए थे। 

आईएसआईएस के सरगना अबु बकर-अल बग़दादी का ही सपना इसलामिक स्टेट ऑफ़ ख़ोरासान बनाने का था। वह चाहता था कि उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान, लेबनान, फिलिस्तीन, पाकिस्तान, इराक़, आधा ईरान, सीरिया, तुर्कमेनिस्तान, जॉर्डन और अफ़ग़ानिस्तान के साथ ही हिंदुस्तान के भी कुछ इलाक़ों को शामिल कर इसलामिक स्टेट ऑफ़ ख़ोरासान बनाया जाए। 

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क़मर वहीद नक़वी
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