अमेरिका में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख संगठन ने व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के उस बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने भारत के ब्राह्मणों पर रूस से तेल खरीद के ज़रिए भारतीय लोगों की क़ीमत पर मुनाफाखोरी करने का आरोप लगाया। इस संगठन ने इसे हिंदू-विरोधी घृणा का हथियार करार देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से नवारो को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।

अमेरिका स्थित हिंदू पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी कलेक्टिव यानी HinduPACT की इकाई अमेरिकन हिंदूज अगेंस्ट डिफेमेशन यानी AHAD ने पीटर नवारो के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। संगठन ने नवारो के इस बयान को न केवल सांस्कृतिक अपमान बताया, बल्कि इसे भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाला भी करार दिया।

नवारो के बयान पर विवाद

फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में 31 अगस्त को पीटर नवारो ने भारत पर रूस से तेल खरीद के लिए 50% टैरिफ लगाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का बचाव करते हुए कहा था, 'मैं भारतीय लोगों से कहना चाहूंगा, कृपया समझें कि यहां क्या हो रहा है। आपके पास ब्राह्मण हैं जो भारतीय लोगों की कीमत पर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। इसे रोकने की जरूरत है।' उन्होंने भारत को 'क्रेमलिन के लिए लॉन्ड्रोमैट' और 'टैरिफ का महाराजा' करार देते हुए दावा किया कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर, उसे रिफाइन करके यूरोप और अन्य जगहों पर प्रीमियम कीमत पर बेच रहा है, जिससे रूस-यूक्रेन युद्ध को वित्तीय मदद मिल रही है।

नवारो ने यह भी सवाल उठाया कि 'विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता होने के नाते प्रधानमंत्री मोदी पुतिन और शी जिनपिंग के साथ क्यों सहयोग कर रहे हैं।' इसके अलावा नवारो ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी की भगवा वस्त्रों में ध्यान करते हुए एक तस्वीर साझा की थी, जिसे HinduPACT ने हिंदू आध्यात्मिकता का मजाक उड़ाने का प्रयास बताया।
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HinduPACT की प्रतिक्रिया

HinduPACT के कार्यकारी अध्यक्ष अजय शाह ने नवारो के बयान को हिंदू-विरोधी घृणा का हथियार करार देते हुए कहा, 'यह विदेश नीति नहीं है। यह हिंदुओं को औपनिवेशिक विचारधारा के जरिए बांटने की कोशिश है, जो रिश्तों को बनाता नहीं, बल्कि नष्ट करता है। नवारो जैसे लोगों का अमेरिकी राजनीति में कोई स्थान नहीं है।' उन्होंने नवारो के बयान को औपनिवेशिक रूढ़ियों का फिर से आगमन बताया, जिसका उद्देश्य हिंदू समाज को बाँटना और भारत को अन्यायपूर्ण देश के रूप में पेश करना है।

HinduPACT की अध्यक्ष दीप्ति महाजन ने नवारो द्वारा साझा की गई प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर पर आपत्ति जताते हुए कहा, 'भगवा रंग पवित्र है। प्रार्थना कोई प्रोपेगेंडा नहीं है। नवारो इस तस्वीर के ज़रिए क्या कहना चाहते थे? अगर यह हिंदू धर्म को निशाना बनाने की कोशिश थी तो यह धार्मिक शत्रुता है। अगर यह भारत के नेतृत्व को निशाना बनाने की कोशिश थी तो यह कूटनीतिक लापरवाही है। दोनों ही मामलों में यह गंभीर उल्लंघन है।'

AHAD ने कहा कि नवारो का बयान दुनिया भर के 1.2 अरब हिंदुओं की गरिमा को खतरे में डालता है और विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच रिश्ते को कमजोर करता है। संगठन ने अमेरिकी प्रशासन से नवारो को बर्खास्त करने की मांग की।

भारत में तीखी प्रतिक्रिया 

नवारो के बयान पर भारत में भी तीखी प्रतिक्रिया हुई। कई लोगों ने इसे जातिवादी और हिंदू-विरोधी करार दिया। शिवसेना यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "भारत के संदर्भ में 'ब्राह्मण' शब्द का इस्तेमाल जानबूझकर किया गया। इसे अमेरिकी संदर्भ में 'बोस्टन ब्राह्मण' से जोड़कर समझाने की कोशिश न करें।" प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने भी नवारो की आलोचना करते हुए कहा कि उनका बयान औपनिवेशिक मानसिकता को दिखाता है। नवारो के बयान का मजाक उड़ाते हुए कई मीम्स वायरल हुए। 

'बोस्टन ब्राह्मण' का अर्थ क्या?

कुछ जानकारों का कहना है कि अमेरिका में 'बोस्टन ब्राह्मण' शब्द 19वीं सदी में लेखक ओलिवर वेंडेल होम्स सीनियर द्वारा गढ़ा गया था, जो न्यू इंग्लैंड के धनी, प्रोटेस्टेंट और अंग्रेजी मूल के अभिजात वर्ग को दिखाता है। यह शब्द सामाजिक और आर्थिक अभिजात वर्ग के लिए उपयोग किया जाता है और इसका भारतीय जाति व्यवस्था से कोई सीधा संबंध नहीं है। हालाँकि, भारत के संदर्भ में 'ब्राह्मण' शब्द का इस्तेमाल संवेदनशील माना जाता है और कई लोगों ने नवारो के बयान को जानबूझकर जातिगत भावनाओं को भड़काने वाला बताया।
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राजनीतिक असर

नवारो का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूस से तेल खरीद और शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ में रूस और चीन के साथ भारत के बढ़ते सहयोग को लेकर 50% टैरिफ लगाया है, जिसमें 25% टैरिफ रूस से तेल खरीद के लिए दंड के रूप में है।

भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत का तेल आयात वैश्विक बाजारों को स्थिर करने और कीमतों को नियंत्रित करने में मदद कर रहा है। उन्होंने द हिंदू अखबार में लिखा, 'भारत को क्रेमलिन का लॉन्ड्रोमैट कहना पूरी तरह गलत है। भारत ने रूस से तेल आयात में कोई नियम नहीं तोड़ा और यह व्यापार यूक्रेन युद्ध से पहले भी मौजूद था।'