बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के दबाव में प्राइमरी स्कूलों में संगीत और शारीरिक शिक्षा (पीई) शिक्षकों की भर्ती योजना को रद्द कर दिया। इस सरकार का नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। उनके इस फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। 
बांग्लादेश के हिफाजत-ए-इस्लाम और इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने इन पदों को "गैर-इस्लामी" करार दिया। इन लोगों ने म्यूजिक टीचरों के बजाय धार्मिक शिक्षकों की भर्ती की मांग करते हुए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन की धमकी दी। 
इस धमकी के बाद, यूनुस प्रशासन ने अगस्त 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद जारी किए गए नियमों में संशोधन करते हुए, चुपचाप म्यूजिक और शारीरिक शिक्षा के सहायक शिक्षकों के पदों को हटा दिया।
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प्राथमिक और जन शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, मसूद अख्तर खान ने इस बदलाव को मामूली बताते हुए कहा कि पदों की कम संख्या से "प्रभावी नतीजे" नहीं मिलेंगे। आलोचकों ने इस यू-टर्न को इस्लामी लॉबिंग के आगे झुकना और "सांस्कृतिक फासीवाद" करार दिया है, और रद्द किए गए पदों को बहाल करने की मांग की है।
यह निर्णय को बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी पहचान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। मूल भर्ती विज्ञापन में सामान्य, धार्मिक, संगीत और शारीरिक शिक्षा के लिए चार सहायक शिक्षक पद शामिल थे। संगीत और पीई को शामिल करना समग्र शिक्षा की दिशा में एक प्रगतिशील कदम था। प्रदर्शनकारियों और शिक्षाविदों का तर्क है कि यह फैसला बच्चों के विकास को कमजोर करता है।
ढाका विश्वविद्यालय के संगीत शिक्षक अजीजुर रहमान तुहिन ने कहा, "सभ्यता कला, साहित्य और संस्कृति से जीवित रहती है। संगीत को बाहर करने से मानसिक और शारीरिक विकास बाधित होगा।" थिएटर विभाग के इस्राफील शाहीन ने टिप्पणी की, "कोई भी देश सिर्फ धर्म से नहीं पनप सकता। संस्कृति कभी भी धर्म का विरोध नहीं करती।"
जगन्नाथ विश्वविद्यालय छात्र फ्रंट के महासचिव शमसुल आलम मारूफ ने इस नीतिगत बदलाव को "सांस्कृतिक फासीवाद" बताया और यूनुस प्रशासन पर बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास की कीमत पर बाज़ार-केंद्रित होने का आरोप लगाया। ढाका यूनिवर्सिटी की हेमा चकमा ने कुछ छात्र संघ प्रतिनिधियों पर राष्ट्रगान को 'पैगन' गीत कहने का आरोप लगाते हुए, अंतरिम सरकार के इन विषयों को खत्म करने के प्रयासों को नफरत के साथ खारिज किया।
इस फैसले के तुरंत बाद, राजधानी ढाका में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। ढाका विश्वविद्यालय (DU) संगीत, नाटक और नृत्य विभागों के छात्र प्रतिष्ठित अपराजेय बांग्ला प्रतिमा के सामने एकत्र हुए, जहाँ उन्होंने नारे लगाए, गीत गाए और पदों की बहाली की मांग की। जगन्नाथ विश्वविद्यालय (JnU) के छात्रों ने स्कल्पचर स्क्वायर पर मानव श्रृंखला बनाई, पूरे परिसर में मार्च किया और विरोध में गीत गाए। गायक शायन ने धर्म को संगीत के विपरीत बताने वाली धारणा का विरोध करने का आग्रह किया।
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अगस्त 2024 में छात्र विरोध प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद सेना ने वहां अंतरिम सरकार बनवाई है। अंतरिम सरकार ने इस्लामी समूहों को खुश करने के लिए बार-बार सांस्कृतिक सुधारों पर नरमी दिखाई है। महिलाओं के अधिकारों पर बनी सुधार समिति को भंग करने जैसे पिछले समझौते धार्मिक दबाव के आगे झुकने की इच्छा का संकेत देते हैं। Hefazat-e-Islam जैसे कट्टरपंथी समूह सशक्त हो रहे हैं। आलोचकों ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी पहचान खतरे में है। सवाल यह है कि क्या यूनुस प्रशासन समग्र शिक्षा का बचाव करेगा या देश की धर्मनिरपेक्ष आत्मा की कीमत पर इस्लामी दबावों के आगे और झुकेगा?