क्या मुख्यधारा का मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से निभा रहा है? क्या बेरोज़ग़ारी, ग़रीबी, महंगाई जैसे मुद्दों पर डिबेट होती है या सत्ता पक्ष से सवाल किया जाता है? यदि नहीं तो क्यों?