आज के मेन स्ट्रीम मीडिया को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये लोग डर की दुकान खोलना चाहते हैं! राष्ट्रवाद के नाम पर देश को नफ़रत की आग में झोंकना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि इन्होंने आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को ख़राब करने का ठेका ले रखा है। आज दर्शक और नागरिक की परिभाषा क्या होती है; वो मिटाने की कोशिश की जा रही है। लोकतंत्र के मायने क्या होते हैं, राष्ट्रवाद क्या होता है, निष्पक्षता क्या होती है, उनकी लोगों के प्रति, देश के प्रति ज़िम्मेदारी क्या होती है। इन सारे सवालों को मीडिया बहुत पीछे छोड़ चुका है। यही कारण है कि भारतीय मीडिया अपनी विश्वसनीयता को लगातार खोते जा रहा है।