भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल गर्म है, लेकिन इस जंग से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक़ है फ़र्ज़ी ख़बरों का बाज़ार, जो न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से चल रहा है! बीती रात जब दोनों देशों के बीच तनातनी चरम पर थी, कुछ बड़े-बड़े मीडिया हाउस ने ऐसी ख़बरें चलाईं कि सुनकर दिमाग चकरा जाए- 'इस्लामाबाद पर भारतीय सेना का कब्ज़ा', 'पाकिस्तान के PM की गिरफ्तारी', 'कराची पोर्ट तबाह', और 'लाहौर में भारतीय जेट्स की बमबारी!' लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ये सब झूठ था! कुछ मीडिया हाउसों ने सफाई जारी की और कुछ ने तो अब माफी भी मांगी है। तो सवाल है कि आख़िर ये अफ़वाहें क्यों फैल रही हैं? क्या है इसके पीछे का खेल? और सबसे बड़ा सवाल, क्या हमारा मीडिया सच दिखाने के लिए है या सिर्फ ड्रामा बेचने के लिए?

पुराने वीडियो, गेम्स की क्लिप्स, और बिना पुष्टि वाली एक्स पोस्टों को आधार बनाकर चैनलों ने टीआरपी की दौड़ में सच को ताक पर रख दिया। सरकार को मजबूरन एक हफ्ते में दूसरी बार एडवायज़री जारी करनी पड़ी, जिसमें मीडिया को लाइव सैन्य कवरेज और फ़र्ज़ी ख़बरों से दूर रहने की हिदायत दी गई।