अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787-8 का क्रैश होना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि बोइंग की लंबे समय से चली आ रही समस्याओं, भारत में सुरक्षा मानकों की जांच की खामियों और मुनाफे की हवस का नतीजा है। 265 इंसानों की ज़िंदगी को देखते-देखते राख में बदल देने वाले इस हादसे पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि ‘हादसे को कोई रोक नहीं सकता’, लेकिन क्या सचमुच हादसों का कोई ज़िम्मेदार नहीं होता?
गृहमंत्री का बयान हादसों को ईश्वरीय इच्छा मानने जैसा लगता है, जबकि हादसे हमेशा सिस्टम की विफलता का नतीजा होते हैं। एक समय था जब ऐसे हादसों के बाद मंत्री इस्तीफा दे देते थे, जैसे लाल बहादुर शास्त्री ने रेल दुर्घटना के बाद किया था। लेकिन आज ज़िम्मेदारी तय करने की बात कम ही होती है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने जाँच शुरू होने की पुष्टि की, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह हादसा टाला जा सकता था?
बोइंग 787 और हादसों का इतिहास
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर को 2011 में लॉन्च किया गया था। यह ईंधन-कुशल और 50% कार्बन फाइबर कंपोजिट से बना अत्याधुनिक विमान है। अहमदाबाद हादसा इस मॉडल का पहला घातक हादसा है, लेकिन इससे पहले कई तकनीकी समस्याएं सामने आई थीं:
2013: जापान एयरलाइंस के 787 में बोस्टन हवाई अड्डे पर बैटरी में आग लगी। उसी महीने, एक अन्य 787 को जापान में आपात लैंडिंग करनी पड़ी। अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने 787 की उड़ानों पर तीन महीने का प्रतिबंध लगाया।
अन्य समस्याएं: इंजन में बर्फ जमना, ईंधन रिसाव, और फ्लैप खराबी जैसी शिकायतें दर्ज हुईं।
बोइंग के अन्य मॉडल, खासकर 737 MAX, के हादसों ने कंपनी की साख को ज्यादा नुकसान पहुंचाया:
- 2018: लायन एयर फ्लाइट 610, इंडोनेशिया में क्रैश, 189 लोगों की मौत।
- 2019: इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302, 157 लोगों की मौत।
- 2024: दक्षिण कोरिया में बोइंग विमान क्रैश, 180 लोगों की मौत।
- 2024: अलास्का एयरलाइंस के 737 MAX 9 का दरवाजा उड़ान में उड़ गया।
भारत में भी बोइंग हादसे हुए
1978: एयर इंडिया फ्लाइट 855 (बोइंग 747), मुंबई में अरब सागर में क्रैश, 95 लोगों की मौत।
2010: मैंगलोर हादसा (बोइंग 737-800), रनवे से फिसलकर खाई में गिरा, 158 लोगों की मौत।
आँकड़ों के अनुसार, बोइंग के विमान 6,000 से ज्यादा दुर्घटनाओं में शामिल रहे, जिनमें 415 घातक थे और 9,000 से ज्यादा लोगों की जान गयी।
FAA और DGCA की भूमिका
विमानों की सुरक्षा और गुणवत्ता की जाँच के लिए अमेरिका में FAA और भारत में डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ सिविल एविएशन (DGCA) जिम्मेदार हैं। लेकिन बोइंग के मामले में इन पर लापरवाही के आरोप लगे:
FAA: 737 MAX हादसों के बाद, FAA पर बोइंग के साथ मिलीभगत के आरोप लगे। जांच में पता चला कि FAA ने बोइंग को स्व-प्रमाणन की छूट दी थी, जिससे सुरक्षा जांच कमजोर हुई।
DGCA: अहमदाबाद हादसे से पहले इस बोइंग 787-8 की आखिरी रखरखाव जांच कब हुई, यह स्पष्ट नहीं है। क्या DGCA ने एयर इंडिया के रखरखाव प्रोटोकॉल की पूरी जांच की थी? यह सवाल जांच का हिस्सा है।
विमानन विशेषज्ञ जॉन एम. कॉक्स के अनुसार, "अगर रखरखाव या गुणवत्ता जांच में चूक हुई, तो यह हादसे का बड़ा कारण हो सकता है।" हादसे की जांच में यह साफ़ होगा कि क्या भारत में सुरक्षा मानकों को लागू करने वाला तंत्र अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा।
बोइंग की मुनाफ़ा संस्कृति
बोइंग की स्थापना विलियम ई. बोइंग ने 15 जुलाई 1916 को सिएटल, वाशिंगटन में की थी। शुरुआत में इसका नाम "पैसिफिक एयरो प्रोडक्ट्स कंपनी" था, जिसे 1917 में "बोइंग एयरप्लेन कंपनी" बनाया गया। कंपनी ने प्रथम विश्व युद्ध में सैन्य विमान बनाए और बाद में वाणिज्यिक विमानन में कदम रखा। शुरू में बोइंग इंजीनियरिंग और अनुसंधान पर जोर देती थी, और इसकी साख बेदाग थी।
लेकिन 1997 में मैकडॉनेल डगलस के साथ विलय ने बोइंग की कार्यसंस्कृति को बदल दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि:
मुनाफे पर जोर: लागत कटौती और शेयरधारक मूल्य बढ़ाने पर ध्यान बढ़ा, जिससे गुणवत्ता प्रभावित हुई।
संस्कृति में बदलाव: इंजीनियरों की बजाय मैनेजरों का दबदबा बढ़ा।
उत्पादन दबाव: तेज डिलीवरी की मांग ने गुणवत्ता जांच को कमजोर किया।
737 MAX: MCAS सिस्टम को जल्दबाजी में लागू किया गया, और लागत बचाने के लिए पायलटों को अपर्याप्त प्रशिक्षण दिया गया।
आउटसोर्सिंग: सस्ते उत्पादन के लिए कई हिस्सों का निर्माण आउटसोर्स किया गया, जिससे गुणवत्ता नियंत्रण कमजोर हुआ।
इन बदलावों ने बोइंग की साख को ठेस पहुंचाई।
चेतावनी की अनदेखी
बोइंग के पूर्व इंजीनियरों ने कंपनी की प्रथाओं पर गंभीर आरोप लगाए:
सैम सालेहपुर: 2024 में उन्होंने दावा किया कि 787 के निर्माण में शॉर्टकट अपनाए गए, जिससे विमान की संरचना कमजोर हो सकती है। इसके बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
जॉन बार्नेट: बोइंग के एक अन्य व्हिसलब्लोअर ने 777 और 787 में दोषपूर्ण पुर्जों और सुरक्षा जाँच की अनदेखी के आरोप लगाए। 2024 में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जिसे आत्महत्या बताया गया। उनके परिवार और समर्थकों ने इसे संदिग्ध माना और बोइंग पर सवाल उठाए। हालांकि, बोइंग ने इन आरोपों से इनकार किया, लेकिन बार्नेट की मौत ने कंपनी की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए।
हड़तालें और कर्मचारी असंतोष
बोइंग में कर्मचारियों का असंतोष हड़तालों के रूप में सामने आया:
2008: इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मशीनिस्ट्स एंड एयरोस्पेस वर्कर्स (IAM) ने 57 दिनों तक हड़ताल की। कारण: वेतन, पेंशन, और नौकरी सुरक्षा।
2024: सितंबर 2024 में 33,000 कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू की, जो लागत कटौती और खराब कार्यसंस्कृति के खिलाफ थी।
हड़तालों ने उत्पादन और गुणवत्ता नियंत्रण को प्रभावित किया। कार्यसंस्कृति में बदलाव के कारण:
- सुरक्षा के बजाय डिलीवरी डेडलाइन पर जोर।
- व्हिसलब्लोअरों को दबाने की कोशिश।
- इंजीनियरों की बजाय मैनेजरों का दबदबा।
बोइंग पर सरकारी प्रतिबंध
बोइंग की समस्याओं के कारण कई सरकारों ने प्रतिबंध लगाए:
- 2013: FAA ने 787 की बैटरी समस्याओं के कारण उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया।
- 2019: 737 MAX हादसों के बाद FAA, यूरोपीय यूनियन एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA), और भारत ने 20 महीने के लिए उड़ानों को रोका।
- 2024: FAA ने बोइंग के उत्पादन विस्तार पर सीमित प्रतिबंध लगाए, क्योंकि कंपनी सुरक्षा ऑडिट में विफल रही।
बोइंग की आर्थिक स्थिति
नुकसान: 737 MAX हादसों और ग्राउंडिंग से 30 अरब डॉलर का नुकसान।
ऋण: 2024 तक 50 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज।
शेयर गिरावट: अहमदाबाद हादसे के बाद शेयर 7% गिरे।
बोइंग का मुख्य प्रतिस्पर्धी एयरबस है, जिसने A320neo और A350 जैसे मॉडल के साथ बाजार में बढ़त बनाई। एयरबस की सुरक्षा और ईंधन दक्षता बोइंग से बेहतर मानी जाती है। 2023 तक, एयरबस ने बोइंग को ऑर्डर और डिलीवरी में पीछे छोड़ दिया।
अहमदाबाद हादसा केवल एक त्रासदी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। बोइंग की मुनाफे की हवस ने इसकी कार्यसंस्कृति को बदल दिया, जिससे गुणवत्ता और सुरक्षा प्रभावित हुई। FAA और DGCA जैसी एजेंसियों की चूक ने हादसों की परिस्थितयाँ गढ़ीं। गृहमंत्री अमित शाह का बयान जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने जैसा है। भारत सरकार और DGCA को रखरखाव और जांच प्रक्रियाओं को सख्त करना होगा। बोइंग को अपनी प्राथमिकताएं बदलनी होंगी, ताकि वह अपनी साख बचा सके।