बीजिंग ने कहा है कि चीन और भारत एशिया के डबल इंजन है और इसने ट्रंप के टैरिफ़ के ख़िलाफ़ भारत का समर्थन किया है। ट्रंप के टैरिफ़ दबाव के बीच भारत-चीन रिश्तों में नया मोड़ आ सकता है। क्या हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा फिर से रणनीतिक विकल्प बनेगा?
रूस ने वांग यी के दौरे और भारत-चीन रिश्तों में सकारात्मक बदलाव का स्वागत किया है। रूसी राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने कहा कि ब्रिक्स और SCO में मजबूत सहयोग वैश्विक चुनौतियों का जवाब दे सकता है।
1988 में राजीव गांधी की चीन यात्रा ने गरमाहट लाई। 1990 के दशक में व्यापार बढ़ा, और 2006 में नाथू ला पास खुला। लेकिन 2017 में डोकलाम गतिरोध, 2019 में अनुच्छेद 370 का हटना, और 2020 में गलवान झड़प ने रिश्तों को फिर तनावपूर्ण बना दिया।