दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर और प्रख्यात राजनीतिक टिप्पणीकार अपूर्वानंद ने हाल ही में एक ऐसी स्थिति का सामना किया जिसने भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है।