इलाज के मामले में ही नहीं, दवाएं बनाने में भी दुनिया भारत की कद्र करती है, लेकिन इस बात के संदर्भ स्पष्ट होने चाहिए। सीधे ‘मेडिकल और फार्मा इंडस्ट्री का पावरहाउस’ बोल देने से गलतफहमी की गुंजाइश रह जाती है। भारत के डॉक्टरों की दुनिया में अच्छी ख्याति रही है लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि प्राइवेट मेडिकल चेन्स की बढ़ती मेहरबानियों के बावजूद विकसित देशों की तुलना में इलाज यहां आज भी सस्ता पड़ता है। इस क्षेत्र में भारत की एक प्रसिद्धि दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल के लिए भी है लेकिन इसकी चर्चा प्रायः मरीजों की लाचारी से जुड़कर होती है।