बांग्लादेश इतिहास की अवैध संतति है। किसी भी संप्रभु देश के बारे में ऐसी बात लिखना अच्छा नहीं लगता। लेकिन सच यही है। इस देश के बनने की कामना किसी ने नहीं की थी, कालचक्र कुछ इस तरह चला कि भारत के पूर्वी हिस्से में नकारात्मक ऊर्जा से भरा एक नया देश खड़ा हो गया और जिसने उसके निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका निभाई उसे ही आंखे दिखाने लगा।
इंदिरा का बांग्लादेश बनाम मोदी का बांग्लादेश
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

मोदी सरकार की घरेलू नीति से लेकर विदेश नीति तक अब सिर्फ हिन्दू-मुसलमान के आसपास घूमती रहती है। कैसे कहीं से कुछ ऐसा मिल जाये ताकि इस मुद्दे को जिन्दा रखा जाये और वोट की फसल काटी जाती रहे। लेकिन इन सब के बीच भारत एक नाकाम विदेश नीति कं भंवर जाल में फंस कर रह गया है। बांग्लादेश इसका आदर्श उदाहरण है। वरिष्ठ पत्रकार राकेश कायस्थ ने बांग्लादेश के बहाने इसी का विश्लेषण किया है, पढ़ियेः
राकेश कायस्थ युवा व्यंग्यकार हैं। उनका व्यंग्य संग्रह 'कोस-कोस शब्दकोश' बहुत चर्चित रहा। वह 'प्रजातंत्र के पकौड़े' नाम से एक व्यंग्य उपन्यास भी लिख चुके हैं।